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मीरा कुमार के लिए हैट्रिक आसान नहीं

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सासाराम (बिहार) 08-Apr-2014

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार बिहार की सासाराम संसदीय सीट से हैट्रिक बनाने की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन इस बार उनके लिए जीत पाना आसान नहीं होगा। 2009 लोकसभा चुनाव से विपरीत इस बार इस आरक्षित सीट से तीन दलित उम्मीदवारों -कांग्रेस की मीरा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छेदी पासवान और जनता दल (युनाइटेड) से के.पी.रमैया- के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।मीरा सासाराम से वर्तमान सांसद हैं। मृदुभाषी मीरा काफी शिक्षित और पिता दिवंगत कांग्रेसी नेता बाबू जगजीवन राम की विरासत को आगे ले जा रही हैं। जगजीवन राम ने आजादी के बाद हुए चुनाव के बाद से लेकर छह जुलाई 1986 को अपने निधन तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की पूर्व अधिकारी मीरा कुमार इस बार हैट्रिक बनाने को लेकर आश्वस्त हैं। 

मीरा के करीबी ने बताया, "मीरा की वजह से ऐसा लग रहा है कि यह सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी।"वह उन कोयरी जाति के मतदाताओं को भी लुभाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे उनके पति ताल्लुक रखते हैं।मीरा ने पहली बार तीन बार के भाजपा सांसद मुनी लाल को हराया था। पूर्व नौकरशाह को मीरा ने 2009 में फिर हाराया था।सासाराम एक अर्ध शहरी इलाका है, जो कैमूर और रोहतास जिले में पड़ता है। यहां मतदाताओं की संख्या 15,86,484 है। यह एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी है। इधर भाजपा उम्मीदवार पासवान मोदी लहर की वजह से अपनी जीत तय मान रहे हैं। 

पासवान के समर्थक मुन्ना कुमार ने कहा, "मीरा को उन्होंने 1989 और 1991 में हराया था, और वह उन्हें दोबारा हराएंगे।"

पासवान को उनकी जातियों, ऊंची जातियों और अन्य जातियों का समर्थन प्राप्त है, जो मोदी की छवि से प्रभावित हैं। इसके अतिरिक्त पासवान का कहना है कि मोदी नजदीकी वाराणसी सीट से लड़ रहे हैं, जो उनके लिए फायदेमंद रहेगा। फरवरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके जद (यू) उम्मीदवार आंध्र प्रदेश के नेल्लोर निवासी हैं। रमैया ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महादलितों के विकास और सशक्तिकरण की कई योजनाओं को लागू करने में मदद की है। जद (यू) के एक नेता ने कहा, "जद (यू) का जाति समीकरण अलग है, इसे महादलित, अत्यधिक पिछड़ी और पिछड़ी जातियों से बड़ी संख्या में वोट मिलने की उम्मीद है।"