5 Dariya News

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोविड बन्दिशें 15 जून तक बढ़ाईं परन्तु कल से दर्जावार छूटों के दिए आदेश

दुकानें शाम छह बजे तक खोली जा सकतीं, प्राईवेट दफ्तर 50 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम कर सकते, विवाह/संस्कार समेत सभाओं पर 20 व्यक्तियों की इजाजत

5 Dariya News

चंडीगढ़ 07-Jun-2021

राज्य में अनलॉक प्रक्रिया सम्बन्धी दर्जावार पहुँच अपनाते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को कुछ छूटों के साथ कोविड बन्दिशें 15 जून तक बढ़ाने के आदेश दिए। इन छूटों में शाम छह बजे तक दुकानें खोलने और प्राईवेट दफ्तर 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने शामिल हैं।मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि रात का कर्फ्यू शनिवार समेत हफ्ते के दिनों में शाम 7 बजे से प्रात:काल 6 बजे तक लागू रहेगा परन्तु रविवार को रेगुलर वीकैंड कर्फ्यू जारी रहेगा।पॉजिटिव दर 3.2 प्रतिशत तक गिरने और एक्टिव मामलों के घटने के चलते मुख्यमंत्री ने विवाह और संस्कार समेत भीड़ों में 20 व्यक्तियों की आज्ञा दे दी। राज्य में आने वालों के लिए प्रवेश प्रतिबंध (नेगेटिव कोविड टैस्ट/टीकाकरण) को खत्म कर दिया गया है।सामाजिक दूरी और कोविड नियमों की पालना के साथ भर्ती परीक्षाओं की मंजूरी दे दी हालाँकि मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन तरीके को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए खेल प्रशिक्षण को भी आज्ञा दे दी और खेल और युवा सेवाएं विभाग को कहा गया कि इस सम्बन्धी जरूरी हिदायतें और दिशा-निर्देश जारी किये जाएँ जिनकी सख्ती से पालना की जानी चाहिए।मंत्रियों, सीनियर पुलिस और प्रशासकीय अधिकारियों और स्वास्थ्य माहिरों के साथ कोविड स्थिति की वर्चुअल समीक्षा करते हुये मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को कहा कि स्थानीय स्थिति के आधार पर वीकैंड समेत अन्य दिनों के लिए गैर जरूरी दुकानें खोलनी निर्धारित की जा सकतीं परन्तु यह यकीनी बनाया जाये कि कोविड से बचने के लिए भीड़ को टाला जाये। सरकारी दफ्तरों के बारे उन्होंने कहा कि सम्बन्धित कार्यालय का प्रमुख हाजिरी संबंधी फैसला ले सकता है परन्तु जोखिम के कारण सह बीमारी/दिव्यांग कर्मचारियों को छूट दी जाये।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि नजीजों के आधार पर अगर केसों में गिरावट जारी रही तो अन्य छूटें आने वाले हफ्तों में दीं जाएंगी। माहिरों की सलाह अनुसार अन्य स्थितियों को देखते हुये अगर और सुधार हुआ तो एक हफ्ते बाद जिम्म और रैस्टोरैंट 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोले जा सकेंगे। 

उन्होंने कहा कि जिम्म और रैस्टोरैंट के मालिकों और कामगारों को खोलने से पहले टीकाकरण लगा लेंमुख्यमंत्री ने कहा कि मामलों में गिरावट और टैस्टों में वृद्धि के बावजूद पंजाब लापरवाह होने का खतरा मोल नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि वायरस का बदलता स्वरूप चिंता का विषय है हालाँकि कोविड मौत दर (सी.एफ.आर.) पहली लहर की अपेक्षा कम है।मुख्यमंत्री ने गाँवों में कोरोना मुक्त ग्रामीण अभ्यान की रफ्तार पर संतोष प्रकट किया जहाँ कि 1.5 करोड़ व्यक्तियों (37 लाख घरों) को पहले ही स्क्रीन किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इन कोशिशों के नतीजे के तौर पर 5889 पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है जिनको प्रोटोकॉल के अनुसार मदद मुहैया करवाई गई है। हफ्ते दर हफ्ते की पॉजिटिविटी दर 9 प्रतिशत से कम होकर केवल 3 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने हालाँकि यह भी कहा कि स्क्रीनिंग और टेस्टिंग प्रक्रियाओं को मजबूत किये जाने की जरूरत पर जोर दिया जिससे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को महामारी से निजात मिल सके।ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाईकौसिस) का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय के दौरान राज्य में म्यूकोरमाईकौसिस के 381 मामले हैं जिनमें से 38 ठीक हो चुके हैं जबकि 265 इलाज अधीन हैं। उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि इलाज के लिए दवाएँ भरपूर मात्रा में मौजूद हैं और उनकी सरकार की तरफ से इनकी सप्लाई प्रक्रिया को और मजबूत करने की कोशिशें जारी हैं जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि जरूरी दवाओं की राज्य में कोई कमी नहीं है। मामलों को अच्छी तरह सँभालने के लिए मुख्यमंत्री ने विभागों को टेस्टिंग का समय घटाने के लिए कहा। उन्होंने आगे कहा कि कोविड के बाद पेश आने वाली समस्याओं का गहराई से अध्ययन करना चाहिए जिससे इनके बेहतर ढंग से इलाज को ढूँढा जा सके। इस सम्बन्ध में उन्होने फ्लाइंग सिख मिलखा सिंह की मिसाल दी जिनको कोविड से ठीक होने बाद में छुट्टी दे दी गई थी परन्तु फिर अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको यह बताया गया है कि पटियाला के अस्पतालों के 20 प्रतिशत मरीज वह हैं जिनको ठीक होने के बाद दोबारा भर्ती करवाना पड़ा।पंजाब के कोविड माहिर समूह के प्रमुख डा. के. के. तलवाड़ ने मीटिंग के मौके पर बताया कि 30 प्रतिशत कोविड मरीज कोविड से ठीक होने के बाद समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें लक्षण आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों को ठीक होने के लिए तकरीबन तीन महीने का समय लग रहा है इसलिए उनकी सख्त निगरानी करने की जरूरत है।