5 Dariya News

तीन दर्जन स्कूलों के पास नहीं मान्यता

स्टूडैंटस की बजाए करवा रहे हैं यात्री बीमे

5 दरिया न्यूज (पी.कौशिक प्रवीण)

घरौण्डा 05-Apr-2014

घरौण्डा क्षेत्र मे लगभग 3 दर्जन गैर मान्यता प्राप्त स्कूल चले रहे हैं। इनमें से दर्जन भर तो स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने मान्यता प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन कंडीशन पूरी न करने पर उन्हें मान्यता नहीं मिली। करीब दो दर्जन भर स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने मान्यता प्राप्त करने के लिए अप्लाई करना उचित नहीं समझा। बावजूद इसके ये स्कूल चल रहे हैं। शहर या गांव के हर गली मोहल्लों में इस प्रकार के अनेक स्कूल खुले हैं, जिनका हिसाब भी विभाग के पास नहीं है। अब तो लोग घरों में भी स्कूल खोल कर बैठे हुए हैं। अभिभावकों का कहना है कि गैर मान्यता प्राप्त स्कूल शिक्षा विभाग की मिलीभगत से चल रहे हैं। विभाग इन्हें खुद ही बंद नहीं करना चाहता। अभिभावक सुभाष का कहना है कि जिस प्रकार बिना लाइसेंस के लोग वाहन नहीं चला सकते, उसी प्रकार से बिना मान्यता के स्कूल कैसे चल रहे हैं।

बारहवीं पास पढ़ाते हैं बच्चों को अधिकतर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में 12वीं पास अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। आजकल तो कुछ लोग जहां से 10+2 पास करते हैं, वहीं पर पढ़ाना शुरू कर देते हैं। जिस स्कूल में अध्यापक ही मैट्रिक या 12वीं पास होंगे, वहां पर क्या पढ़ाया जाता होगा इसका अंदाजा तो आपको लग ही गया होगा।अभिभावकों की आंखों में झोंक रहे धूल

गैर मान्यता प्राप्त स्कूल अभिभावकों की आंखों धूल झोंक रहे हैं। ये स्कूल प्रचार के दौरान अपने स्कूल को मान्यता प्राप्त बताते हैं, जिससे अभिभावकों इनके बहकावे में आ जाते हैं। पोस्टर व पंफ्लेट्स में भी मान्यता प्राप्त लिखा होता है, लेकिन असलियत कुछ ओर ही होती है। आजकल स्कूलों के पम्फलैटों की भरमार अखबारों मे देखने को मिल रही है। अखबार खोलो तो प्रतिदिन दो चार स्कूलों के पम्फलेट नजर आएगें । जिनमे मान्यता प्राप्त स्कूल भी शामिल हैं। इन पम्फलेटों मे हकीकत से ज्यादा स्कूलों मे सुविधाएं देने की तारीफ लिखकर ये अभिभावकों को गुमराह करते नजर आते हैं। जबकी जमीनी हकीकत इन वायदों से काफी दूर होती है। ऐसा कहना है अभिभावकों का। आज भी घरौण्डा क्षेत्र मे स्कूल मकानो मे चल रहै हैं। ओर शिक्ष विभाग सब कुछ जानते हुए भी चुप क्यूं है। जिनके पास शर्तोंनुसार पूरी सुविधाएं नही है। अब तो प्ले वे स्कूल के नाम पर मान्यता प्राप्त स्कूल भी शोषण मे जुटे हैं।

शिक्षा का मंदिर बना लूट का अड्डा

अध्यापक कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि इन स्कूलों को बच्चों के भविष्य व शिक्षा से कोई मतलब नहीं है। इन्हें तो केवल शिक्षा के नाम पर लूटने से मतलब है। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल अब लूट का अड्डा बन चुके हैं। फीस के नाम पर स्कूल छात्रों का शोषण कर अपनी प्रापर्टी बनाते हैं।साथ ही अघ्यापकों की मजबुरियों का फायदा उठाते हैं । कम वेतन देकर ज्यादा वेतन पर साईन करवाकर कर ये सरकार को आर्थिक चूना लगा रहैे है । सालों साल इन स्कूल मालिकों की बढती जायदाद पर सरकार या टैक्स विभाग का ध्यान न जाना संदेह की स्थिति को जन्म देता है। चर्चा है कि कल तक किरायों की बिल्डिगों मे छोटा सा स्कूल चलाने वाले आज करोडों की जायदाद के मालिक कैसे बन गये। इस पर प्रशासन का ध्यान न जाना चर्चा का विषय है। स्कूलो मे सरकार द्वारा फीसों के लिए कोर्ई मापदण्ड न निर्धारित किये जाने से मनमानी करते हैं स्कूल।

स्टूडैंट बीमे की बजाए अपने फायदे के लिए यात्री बीमा करवाते हैं स्कूल

मान्यता प्राप्त स्कूल मे वाहनो मे आने जाने वाले छात्रो का बीमा न करवा कर यात्री बीमा करवाने की भी चर्चा है। पता चला है छात्रों का बीमा करवाने वर स्कूलों का ज्यादा राशी खर्च करनी पडती है और यात्री बीमा करवाने पर कम। किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर यात्राी बीमे मे कम राशी छात्र को मिलती है जबकी स्टूडैंट बीमा करवाने पर छात्र के अभिभावक को ज्यादा राशी मिलती है । मगर स्कूल अपना फायदा देखते हुए यात्री बीमा करवाते हैं। जो जांच का विषय है।

मान्यता लेने की शर्तें

प्राथमिक स्कूल चलाने के लिए आधा एकड़ जमीन, मिडल स्कूल के लिए एक एकड़, उच्च विद्यालय व सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए दो एकड़ जमीन होनी जरूरी होती है। मान्यता प्राप्त करने की फीस क्रमश: 1500, 3000, 5500, 10500 रुपये होती है, जिसमें 500 रुपये का फार्म भी इसी में शामिल होता है। 24 बाई 18 के क मरे व ऑनरशिप होनी चाहिए। गांव में स्कूल बनाने के लिए नगर योजनाकार से व शहर में बनाने के लिए एनओसी लेनी पड़ती है।जिला शिक्षा अधिकारी ने मुख्यालय से लैटर आने का हवाला देकर अपने कर्तव्य से पल्ला छाडते हुए ऐसे स्कूलों को शाषण करने का अवसर प्रदान कर दिया। ऐसा मानना है अभिभावकों का।

- आशा मुंजाल, जिला शिक्षा अधिकारी करनाल का तर्क-

अभी तक मुख्यालय से कोई लैटर नहीं आया है। जब भी कोई आदेश आएगा, तो इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।