5 Dariya News

बल्ले से नहीं तो गेंद से टीम की जीत में अपना योगदान देकर खुश हूं : अक्षर पटेल

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अहमदाबाद 25-Feb-2021

मोटेरा के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट मैच में जीत के हीरो रहे लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल ने कहा है कि वह खुश हैं कि बल्ले से नहीं तो वह गेंद से ही भारतीय टीम की जीत में अपना योगदान दे रहे हैं। अपने स्पिन गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम ने मोटेरा के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन गुरुवार को इंग्लैंड को 10 विकेट से हराकर चार मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 की लीड ले ली।अपने घरेलू मैदान पर खेलने उतरे अक्षर ने मैच की पहली पारी में छह और दूसरी पारी में पांच विकेट लिए। उनके इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन आफ द मैच का पुरस्कार मिला।भारत को जीत के लिए 49 रन बनाने थे, जो उसने बिना विकेट गंवाए 7.4 ओवर में बना लिए। रोहित शर्मा 25 गेंदों पर तीन चौकों और एक छक्के की मदद से नाबाद 25 तथा शुभमन गिल 21 गेंदों पर एक चौके और एक छक्के की मदद से 15 रन बनाकर नाबाद रहे।अक्षर ने मैच के बाद कहा, "जब इसी तरह का प्रदर्शन होता है तो बहुत अच्छा लगता है। लेकिन जब नहीं होता है तो बहुत ही मुश्किल लगता है। मुझे लगता है कि मुझे फिलहाल अपने इसी फॉर्म को आगे भी जारी रखना चाहिए। मैं उन चीजों के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा हूं कि क्या मुश्किल है और क्या आसान है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं बल्ले से नहीं तो गेंद से ही टीम की जीत में अपना योगदान दे रहा हूं और मैं इसे सकारात्मक रूप से ले रहा हूं।"गेंदबाजी में अपनी ताकत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि मैं जब भी गेंद डालता हूं कि तो विकेट टू विकेट डालता हूं। मैं बल्लेबाजों को ज्यादा रूम नहीं देता हूं। मैं जानता हूं कि बल्लेबाज गलती करेगा तो मुझे विकेट मिलेगा। मेरी हमेशा यह सोच रहती है कि मैं बल्लेबाज के लिए रन बनाना मुश्किल करूं। आजकल बल्लेबाज के दिमाग में यही रहता है कि अगर वह एक या दो ओवर मेडन खेल जाता है तो फिर वह गलत शॉट मारने की कोशिश करता है और विकेट मिलने की संभावना होती है।"अक्षर जब गेंदबाजी करते हैं तो विकेटकीपर ऋषभ पंत पीछे से उन्हें वसीम भाई वसीम भाई की आवाज लगाते हैं। इसके पीछे के राज को लेकर उन्होंने कहा, "जब मैं आर्म बॉल अंदर डालता हूं कि पंत मुझसे कहता है कि तुम वसीम (अकरम) भाई की तरह ही आर्म बॉल अंदर डालते हो। तो इसी वजह से वह मुझे वसीम भाई कहकर बुलाते हैं।"