5 Dariya News

केंद्र सरकार किसानों के साथ-साथ लोगों द्वारा चयनित नेताओं की आवाज भी दबाने में जुटी : परनीत कौर

किसानों की आवाज राष्ट्रपति तक ना पहुंचने देना जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर डाका

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पटियाला/नई दिल्ली 24-Dec-2020

सांसद एवं पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने की कड़े शब्दों में में निंदा की है। मौजूदा हालात को उन्होंने देश के सभी अन्नदाताओं की तोहीन बताया है। दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन से रिहा होने के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में पटियाला के सांसद श्रीमती परनीत कौर ने कहा कि आज कांग्रेस के राज्यसभा लोकसभा सदस्य और केंद्रीय वर्किंग कमेटी और यूथ कांग्रेस के नेता ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कार्यालय से श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी की अध्यक्षता में देश के राष्ट्रपति को दो करोड किसानों द्वारा काले खेती कानून रद्द करने की टेशन सौंपने के लिए पैदल चले थे, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा इन जनप्रतिनिधियों को एआईसीसी के कार्यालय के बाहर ही वेरी गेट लगाकर रोक लिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेताओं द्वारा तीन सदस्य प्रतिनिधिमंडल को ऑडिशन देने की अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन के गेट के बाहर तक जाने की मांग को भी दरकिनार कर दिया गया। श्रीमती परनीत कौर ने कहा कि केंद्र सरकार का आदेश के अन्नदाता प्रति यह उदासीन रवैया देश के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे अन्नदाता हमारा सम्मान हैं और हम तब तक पिक नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस राज्य के खेती अर्थ चारे और किसानी को तबाह करने करने वाले इन काले कानूनों और भाजपा की अध्यक्षता वाली केंद्र सरकार के किसान विरोधी मंसूबों को किसी भी हालत में सफल नहीं होने देंगे। मति परनीत कौर ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा हड्डी गला देने वाली सर्दी में दिल्ली अपने अधिकार की मांग को लेकर बैठे किसानों के परिवारों की हंगामी सहायता के लिए हेल्पलाइन 1091 और पुलिस हेल्पलाइन 112 चलाने के फैसले की भरपूर प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे पहले भी पंजाब सरकार के सामने संघर्ष दौरान अन्य दाताओं के परिवार के साथ पूरी तरह से खड़ी हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को काले खेती कानूनों को तुरंत प्रभाव से वापस लेने के लिए  कहा है। उन्होंने कहा कि देश के अनुस पादन में मंगते से आत्मनिर्भर बनाने वाले किसानों की भावना का सम्मान किया जाए ना के उन्हें दिल्ली बॉर्डर की सड़कों पर धरने पर बैठने के लिए मजबूर किया जाए।