5 Dariya News

पराली जलाने के खतरे से निपटने के लिए गाँव स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे : विनी महाजन

नोडल अफसरों के द्वारा लगातार निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए 8 हॉटसपाटों की पहचान

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चंडीगढ़ 04-Sep-2020

आगामी खरीफ की फ़सल सीजन के दौरान धान की पराली को बिल्कुल न जलाने के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के अथक यत्नों के हिस्सेतौर पर पंजाब की मुख्य सचिव विनी महाजन की तरफ से शुक्रवार को समूह डिप्टी कमीशनरों को गाँव स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे ऐसी किसी भी घटना संबंधी तुरंत रिपोर्ट की जा सके।इस बार एक निवेकली किस्म का मोबाइल एप भी तैयार किया गया है जिससे राज्य भर में पराली के अवशेष को जलाने की घटनाओं संबंधी ताज़ा जानकारी मिल सके। यह राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट के पराली के अवशेष को जलाने से रोकने सम्बन्धी दिशा-निर्देश लागू करने के बारे में दिखाई जा रही प्रतिबद्धता का सूचक है।इस मामले के सभी पक्षों के साथ एक उच्च स्तरीय वर्चुअल समीक्षा मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों की तरफ से पराली के अवशेष को जलाने की घटनाओं को पूरी तरह रोकने के लिए विभिन्न विभागों की तरफ से अब तक की गई कार्यवाही का जायज़ा लिया। इस मीटिंग में किसानों के प्रतिनिधि, पी.ए.यू., आई.सी.ए.आर., एन.जी.ओज़, राज्य के सरकारी विभाग और दूसरे संबंधितों ने हिस्सा लिया।मुख्य सचिव ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ केंद्र सरकार को एम.एस.पी. के अलावा किसानों को धान पर प्रति क्विंटल के हिसाब के साथ 100 रुपए का वित्तीय लाभ देने के लिए कहा जा रहा है जिससे किसानों को धान की पराली की संभाल के लिए प्रोत्साहन मिल सके, परन्तु भारत सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई भी लाभ देने से इन्कार किया गया है। ऐसी किसी भी मदद की सूरत में राज्य सरकार के पास अपने बलबूते पर धान की पराली को जलाने की समस्या से निपटने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जायेगा। मुख्य सचिव ने किसानों को राज्य सरकार के साथ हिस्सेदार होकर पराली जलाने की इस प्रथा को त्याग देने की कसम खाने के लिए प्रेरित भी किया।

मुख्य सचिव ने आगे बताया कि नोडल अधिकारी विशेष तौर पर हॉटसपाट जिलों में नियुक्त किये जाएंगे, जहाँ पिछले साल के दौरान पराली जलाने की ज़्यादा घटनाएँ सामने आईं थीं। इस सम्बन्धी गतिविधियां गाँव स्तर पर माईक्रो स्तरीय योजनाबंदी के द्वारा आयोजित की जाएंगी। राज्य में 8 हॉटसपाट हैं जिनमें संगरूर, बरनाला, पटियाला, श्री मुक्तसर साहिब, मानसा, तरन तारन और फिऱोज़पुर जिले शामिल हैं। यह नोडल अधिकारी पी.आर.एस.सी. (पंजाब रिमोट सेंसिंग सैंटर, लुधियाना) द्वारा पराली जलाने की रिपोर्ट की गई घटनाओं की पुष्टि करेंगे। उन्होंने आगे निर्देश दिए कि पी.आर.एस.सी. और जि़ला स्तरीय कमेटियों के साथ तालमेल करने के लिए पंजाब मंडी बोर्ड कंट्रोल रूम स्थापित करेगा।मुख्य सचिव ने समूह जिलों के डिप्टी कमीशनरों को यह भी निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में पराली के अवशेष के सभ्यक भंडारण के लिए इंतज़ाम किये जाएँ और पराली जलाने की घटनाओं को बिल्कुल भी बरदाश्त न किया जाये। पंजाब रिमोट सेंसिंग एजेंसी के डायरैक्टर ने इस मौके पर बताया कि एक विशेष मोबाइल एप ऐसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए मददगार साबित होगा।मुख्य सचिव ने यह भी जानकारी दी कि डिप्टी कमीशनरों को ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग और खरीफ की फ़सल के सीजन की कटाई और खरीद के साथ जुड़ी प्रत्येक पक्ष के दरमियान तालमेल बनाया जाये जिससे पराली जलाने की समस्या पर नकेल डालने के लिए पुख़्ता इंतज़ाम किये जा सकें। मुख्य सचिव ने उनको गाँव स्तर पर सांझी ज़मीन, पशुओं के तालाब, गौशालाएं आदि में धान की पराली के अवशेष को संभाल कर रखने सम्बन्धी और इसके साथ ही बासमती के अवशेष, जिसको बाद में किसी के भी द्वारा पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, की सभ्य संभाल के लिए भी ज़रूरी इंतज़ाम करने के निर्देश दिए।उन्होंने इससे पहले डिप्टी कमीशनरों को अपने जिलों में चल रही आई.ई.सी. (सूचना शिक्षा और संचार) की गतिविधियों के प्रभावशाली प्रसार को यकीनी बनाने के लिए हिदायत की जिससे कोई भी किसान जागरूकता से वंचित न रह जाये। इस मौके पर कान्फ्ऱेंस में हिस्सा ले रहे प्रगतिशील किसानों ने भी इस फ़ैसले की हिमायत की और अलग-अलग आई.ई.सी. गतिविधियों के किसानों पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव का भी समर्थन किया।अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवाड़ी ने मुख्य सचिव को अवगत करवाया कि यह यकीनी बनाने के लिए ज़रुरी कदम उठाए जाएंगे कि किसी भी हारवैस्टर कम्बाईन को सुपर स्टराय मैनेजमेंट सिस्टम (एस.एम.एस) के बिना चलने की आज्ञा न दी जाये और कटाई के समय खेत में इसका प्रयोग यकीनी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत राज्य सरकार सभी ग्राम पंचायतों, पीएसीएस, कस्टम हायरिंग सैंटरों को अत्याधुनिक फ़सलीय अवशेष प्रबंधन उपकरण मुहैया करवाने के लिए वचनबद्ध है। राज्य सरकार की तरफ से पिछले दो सालों में लगभग 51000 मशीनें मुहैया करवाई गई हैं जिसमें सी.आर.एम. योजना के अंतर्गत अलग अलग व्यक्तिगत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी और सी.एच.सीज़ को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर यह मशीनें मुहैया करवाई गई हैं।उन्होंने आगे बताया कि समूह जि़ला स्तरीय कमेटियों को 8 सितम्बर, 2020 तक और 23500 सीआरएम मशीनें मंज़ूर करने और यह यकीनी बनाने के लिए कहा गया है कि मशीनें 10 अक्तूबर, 2020 तक ख़ुद किसानों के द्वारा खरीदी जाएँ।राज्य सरकार ने मशीनों के लिए अतिरिक्त फंड देने के लिए यह मामला भारतीय कृषि मंत्रालय के समक्ष उठाया है क्योंकि उपलब्ध मशीनों के लिए तीन गुणा आवेदक होने के कारण बहुत से आवेदक मशीनों से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि मशीनरी के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए सभी सीआरएम मशीनें पहल के आधार पर छोटे और सीमांत किसानों को बिना किसी किराये के मुहैया करवाई गई हैं।