5 Dariya News

34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति, अंतरिक्ष वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन ने निभाया अहम रोल

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नई दिल्ली 29-Jul-2020

केंद्रीय कैबिनेट ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने हेतु गठित समिति द्वारा तैयार किए गए एनईपी 2019, और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए। लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी, बॉटम-अप परामर्श प्रक्रिया की गई।"नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टी.एस.आर. सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव, की अध्यक्षता में 5-सदस्यीय समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को प्रस्तुत की थी।24 जून, 2017 को, सरकार ने प्रख्यात वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 31 मई, 2019 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी।राज्य सरकारों और भारत सरकार के मंत्रालयों को डीएनईपी 2019 पर उनके विचारों और टिप्पणियों को आमंत्रित करने के लिए पत्र लिखे गए। प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 पर विभिन्न हितधारकों से प्राप्त लगभग दो लाख सुझावों का एक तकनीकी सचिवालय और एनसीईआरटी द्वारा विश्लेषण किया गया था। इसके बाद, स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए गठित दो समितियों ने तकनीकी सचिवालय और एनसीईआरटी द्वारा सुझावों पर प्रस्तुत विश्लेषणात्मक रिपोर्ट की जांच की गई।इस प्रकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने से पहले मंत्रालय द्वारा प्रारूप एनईपी 2019 एवं उस पर प्राप्त सुझावों, विचारों और प्रतिक्रियाओं का गहन और व्यापक परीक्षण किया गया।केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय लोकाचार में निहित एक वैश्विक सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली के निर्माण की परिकल्पना करती है, और सिद्धांतों के साथ संरेखित है, ताकि भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके।"