5 Dariya News

जय किसान जय जवान , कितना सच कितना झूठ !

5 Dariya News

नई दिल्ली 07-Jul-2020

देश के केंद्रीय सुरक्षा बलों(CRPF,BSF,ITBP,CISF,SSB) का हमारी मातृभूमि की रक्षा में अभूतपूर्व योगदान हैं। युद्ध के दौरान सेना के जवानों के शव हम सबको रुला देते हैं परंतु इन केंद्रीय बलों के अधिकारियों व जवानों के शव पूरे साल बिना किसी सीधे युद्ध के बावजूद लगभग देश के हर हिस्से से आते रहते हैं। दोस्तों इस त्याग और बलिदान की भावना के उपरांत भी इन बलों को हमेशा सरकार व नौकरशाही से दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ रहा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की इन बलों के राजपत्रित अधिकारियों को सेना की भांति अपने बलों का नेतृत्व करने का अधिकार आज तक नहीं दिया जा रहा। बल्कि उसकी जगह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों को डेपुटेशन पर इनका सेनापति बनाया जाता है जिनका इन बलों के काम काज से,जवानों की जानकारी से कोई सरोकार नहीं होता। आप सब और विस्मित इस बात से होंगे कि लगभग 10 साल हाइकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ने व जितने के बाद भी इन बलों के अधिकारी आज भी अपने वेतन और भत्तों में बाकी अन्य विभागों के समकक्ष अधिकारियों से बराबरी का व्यवहार नहीं प्राप्त कर पाए। माननीय प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन्हें संगठित ग्रुप-ए सेवाओं (Organized Group-A Services) का दर्जा दे खूब प्रचार किया परंतु अभी भी उसे सही मायने में लागू नहीं किया।

इस फैसले से संबंधित सारे लाभ न देने के लिए सरकार खुद IPS Lobby के संगठन (IPS Association)  के साथ मिलकर दिल्ली हाइकोर्ट में केस लड़ रही है। साथियों सोच के देखिए कि हम कितने दोगले समाज के नागरिक हैं जिसमे हमारे नेता,सरकार,नौकरशाह किसी भी हद तक जाकर बेईमानी का खेल खेलते हैं वो भी उन सैनिकों के साथ जिनकी ज़िन्दगी और मौत देश को समर्पित है। ये वही सुरक्षा बल हैं जिनके पुलवामा हमले में शहादत के बाद पूरा देश रोया,छत्तीसगढ़ में कुर्बानी के बाद सरकारों ने अनगिनत कसमें खायीं, राजस्थान की जलती रेत और लदाख व अरुणाचल की जमाने वाली बर्फ में हड्डी गलाते लोग। जवानों से पेंशन का हक छीनना,कैंटीन में GST की मार,कोई Ex-serviceman का दर्जा न होना ये कुछ अन्याय हैं जिनकी मार इन बलों के जवान झेल रहे हैं। परंतु सोचिये की अपने ही घर के मालिक आप खुद न हो और राज्यों में पुलिस की दुर्दशा करके आये हुए लोग आपके हुक्मरान बना दिये जायें तो इससे बड़ा अन्याय और क्या होगा। हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उपरांत सरकार की संतुति मिलने पर भी नौकरशाहों द्वारा OGAS के लाभ न मिलने देना इत्यादि,क्या आप सबको ये देश के नागरिकों और सैनिकों के साथ द्रोह प्रतीत नहीं होता। देश के युवाओं को यह जानना होगा जिससे वे देश की दशा व सही दिशा दोनों तय कर सकें।

जय जवान! जय किसान!