5 Dariya News

केंद्रीय सशस्त्र बलों की दुखद गाथा

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04-Jul-2020

CAPF यानी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल जिन्हें पहले Central Paramilitary Force भी कहा जाता है में  CRPF BSF CISF ITBP SSB आदि है जो पूरे देश मे आंतरिक सुरक्षा की हरेक डयूटी जैसे कानून व्यवस्था बनाना, दंगों के समय शांति स्थापित करना, जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों, नक्सल इलाकों में नक्सलियों , नार्थ ईस्ट में विद्रोहियों से लड़ना , देश में शांतिपूर्वक चुनाव कराना , आपदा यानी भूकंप, बाढ़ और तूफान इत्यादि के समय राहत कार्य करना, देश के अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की रक्षा करना जैसे    कार्य करते है। साथ ही साथ ये युद्ध के समय आर्मी की मदद भी करते है जैसे कारगिल में BSF ने आर्मी की मदद की और अभी लेह लदाख में ITBP आर्मी के साथ मिल कर चीनी सैनिकों का मुकाबला कर रही है। अभी हाल ही में कानपुर में 08 बहादुर सिपाहियों की शहादत के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने के लिए CRPF की टुकड़ी RAF को वहां तैनात किया गया है।  फरवरी 2019 में एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इन पैरामिलिट्री फोर्स और RPF ( रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा संगठित सेवा यानी Organised Group A Service का दर्जा दिया गया और फिर भारत सरकार ने जुलाई 2019 में कैबिनेट की मंजूरी के बाद गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय को इस Organised Service का लाभ इन बलों को देने और इस संबंध में कानून बनाने का आदेश दिया। रेल मंत्रालय ने कोर्ट और सरकार के आदेशों का पालन करते हुए इस Organised Service का लाभ RPF अधिकारियों को दिया इसके लिए जरूरी सेवा  नियम में बदलाव करते हुए इसे देश के अन्य Organised Service के जैसे कर दिया।

दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ( Home Ministry ) ने सभी पैरामिलिट्री के DG जो IPS होते है को इसका लाभ सभी अधिकारियों को देने और तय नियम के अनुसार जरूरी कार्यवाई करने का निर्देश दिया। एक साजिश के तहत इन फोर्स के DG जो खुद ही IPS होते है ने न तो नियम के अनुसार इसका लाभ पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारियों को दिया और न ही इसको लागू करने के लिए  सेवा नियमों (Service Rules) में बदलाव किया है। सुप्रीम कोर्ट के एक ही आदेश को जहाँ रेल मंत्रालय ने RPF के लिए सही तरीक़े से लागू किया वही गृह मंत्रालय में IPS लॉबी अपने स्वार्थ के लिए इस आदेश को पैरामिलिट्री में सही तरीके से लागू नही होने दे रहे है। इस कारण इस फोर्स के सभी अधिकारियों का मनोबल टूट गया और वो अपने हक के लिए फिर दिल्ली हाई कोर्ट की शरण मे है। देश के किसी भी Organised Service में उसी विभाग के अधिकारी Joint Secretary तक होते है लेकिन जिला और राज्य पुलिस में रहने वाले ये IPS जिनको इस फोर्स का कोई ज्ञान नही होता यहां आकर सीनियर पोस्ट पर विराजमान हो जाते है जिस कारण विभाग का कार्य सही तरीके से नही हो पाता और इसी कारण आज सभी जवान और अधिकारियों को अपने छोटे छोटे हक के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है।कोर्ट और सरकार के आदेश के बाद भी IPS अधिकारियों की साजिश के कारण पैरामिलिट्री फोर्स को अपना वाजिब हक नही  मिल पा रहा है जिससे उनका मनोबल गिरा है और बल में असंतोष है। आज पैरा मिलिट्री के कार्मिक और अधिकारी अपने हक के लिए कोर्ट और देश की जनता की तरफ देख रहे है। आशा है देश की अदालत एक बार फिर उन्हें इनका हक देते हुए इसे सही तरीके से लागू नही करने वालों को उचित न्यायिक दंड देगी और देश की जनता इनका हक नही देने वालों और साजिस करने वालों को सबक सिखाएगी।

जय हिंद।

जय भारत।

जय पैरामिलिट्री।