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भारत सरकार द्वारा दिनकर गुप्ता डायरैक्टर जनरल/ डीजीई की सूची में शामिल

आईपीएस के 1987 बैंच के 11 अधिकारी में से एक हैं गुप्ता

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चंडीगढ़ 30-May-2020

केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी ने पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता को डायरैक्टर जनरल / डीजीई के पद के लिए नियुक्त करने के लिए मंज़ूरी दे दी है।एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, गुप्ता आईपीएस के 1987 बैंच के 11 आधिकारियों में से एक हैं, जिसमें मूल रूप में देश भर में 100 से अधिक आईपीएस अधिकारी थे, भारत सरकार द्वारा डीजीपी स्तर के साथ साथ डीजीपी (केंद्र) के सामानंतर के पदों के लिए भी अधिकार दिए जाएंगे और श्री गुप्ता उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, एच.पी., जम्मू कश्मीर, यू पी, उत्तराखंड, राजस्थान) के अकेले आईपीएस अधिकारी हैं जिसको इतने अधिकार दिए गए हैं।पंजाब कैडर के सेवा निभा रहे एक अन्य आईपीएस अधिकारी जिसको डीजीपी के तौर पर केंद्र में डीजीपी के पदों पर रखने का अधिकार दिया गया है वह हैं आर ए डब्ल्यू के प्रमुख सामंत गोयल।दिनकर गुप्ता, अप्रैल 2018 में भारत सरकार द्वारा एडीजीपी के तौर पर सूचीबद्ध किये जाने वाले आईपीएस के 1987 बैंच के 20 अधिकारियों में से एक थे और वह पंजाब के अकेले अधिकारी थे।गुप्ता को ऑल इंडिया सर्वे के आधार पर फेम इंडिया मैगज़ीन ने देश के शिखर के 25 आईपीएस अफसरों में भी चुना था। सूची में इंटेलिजेंस ब्यूरो, आर एंड डब्ल्यू, डीजी एनएसजी आदि के चीफ़ भी शामिल थे।ख़ास तौर पर दिनकर गुप्ता इस समय 7 फरवरी, 2019 से पुलिस के डायरैक्टर जनरल, पंजाब के पद पर तैनात हैं। लगभग 80000 से अधिक पुलिस फोर्स पंजाब के प्रमुख के तौर पर तैनात होने से पहले गुप्ता पुलिस इंटेलिजेंस, पंजाब के डायरैक्टर जनरल के तौर पर भी तैनात थे। इसमें पंजाब स्टेट इंटेलिजेंस विंग, स्टेट एंटी टैरैरिस्ट स्कुऐड (एटीएस) और ऑरगनाइजड क्राइम कंट्रोल यूनिट (ओसीसीयू) की सीधी निगरानी शामिल है।एक तजुर्बेकार और नामवर अधिकारी, गुप्ता ने जून 2004 से जुलाई 2012 तक, एमएचए के साथ केंद्रीय डैपूटेशन पर आठ साल सेवा निभाई, जहाँ उन्होंने एमएचए के डिगनेटरी प्रोटैकशन डिविजऩ के प्रमुख समेत कई संवेदनशील और अहम कार्य निभाए।उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के दौर के दौरान 7 सालों से अधिक समय के लिए लुधियाना, जालंधर और होशियारपुर जिलों के सीनियर पुलिस कप्तान (जि़ला पुलिस प्रमुख) के तौर पर सेवा निभाई है। उन्होंने 2004 तक बतौर डीआईजी (जालंधर रेंज), डीआईजी (लुधियाना रेंज), डीआईजी (काऊंटर -इंटेलिजेंस), पंजाब और डीआईजी (इंटेलिजेंस) सेवाएं निभाई।राज्य में उसकी पिछली अन्य जिम्मेदारियों में एडीजीपी प्रशासन और कम्युनिटी पुलिसिंग (2015 -17), एडीजीपी प्रोवीज़निंग एंड मॉडरनाईज़ेशन (2014 -2015), एडीजीपी लॉ एंड आर्डर (2012 -2015), एडीजीपी सुरक्षा (2012 -2015), एडीजीपी ट्रैफिक़, (2013 -2014), डीआईजी रेंज (2002 और 2003 -04 में 1 साल से अधिक), एसएसपी (जनवरी 1992 से जनवरी 1999 से 7 साल) शामिल हैं।

दिनकर गुप्ता को बहादुरी के लिए पुलिस मैडल (1992) और एक उच्च स्तरीय ड्यूटी के प्रति बेमिसाल साहस, स्पष्ट बहादुरी और समर्पण के प्रदर्शन के लिए बार टू पुलिस मैडल, बहादुरी के लिए (1994), दिया गया था। उनको विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुलिस मैडल से भी सम्मानित किया गया था और विशेष सेवा (2010) के लिए प्रैजीडैंटस पुलिस मैडल दिया गया था।गुप्ता जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डी.सी. (यूएसए) और अमेरिकन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन डीसी में विजिटिंग प्रोफैसर भी रह चुके हैं, जहाँ उनको जनवरी-मई 2001 में ‘घेराबन्दी अधीन सरकारें: आतंकवाद और आतंकवादी को समझना’ नामक एक पाठ्यक्रम तैयार करने और सिखाने के लिए बुलाया गया था।1999 में गुप्ता को लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, लंदन में लीडरशिप और एक्सीलेंस में 10 हफ्ते के गुरूकुल प्रोग्राम में शामल होने के लिए ब्रिटिश कौंसिल द्वारा ब्रिटिश चेवैनिंग गुरूकुल सकॉलरशिप से सम्मानित किया गया।उन्होंने स्कॉटलैंड यार्ड, लंदन और न्यूयार्क पुलिस विभाग समेत कई अंतरराष्ट्रीय पुलिस बलों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने प्रमुख अमरीकी थिंक टैंक्स और यूनिवर्सिटियों में भाषण भी दिया है। उन्होंने 1996 में इंटरपोल द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक सम्मेलन में भारत की नुमायंदगी की।वह नवंबर 1997 में भारतीय मूल के एक ब्रिटिश नागरिक द्वारा किये गए दोहरे कत्ल के मुकदमे के सम्बन्ध में भारतीय आपराधिक कानूनों के माहिर के तौर पर क्राउन प्रौसीक्यूशन सर्विस की विनती पर यूके गए। वह 2002 में ‘रिस्पौंडिंग टू इंटरनेशनल टैरोरिजम’ पर कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए दोबारा यू.के. गए। 1997 में उनको सुपरकॉप, उनके द्वारा अपराध डेटाबेस प्रबंधन और विलेज इन्फर्मेशन सिस्टम के लिए तैयार किये गए एक सॉफ्टवेयर संबंधी डीजीपीज़ / आईजीपीज़ कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के दौरान प्रस्तुति देने के लिए न्योता दिया गया।लगभग 31 सालों के अपने करियर के दौरान श्री गुप्ता ने बहुत से कम्युनिटी पुलिसिंग और लोक-समर्थकीय प्रोजैक्ट लांच किये। 1995 में एसएसपी जालंधर होने के तौर पर उन्होंने एक पुनर्वास प्रोजैक्ट - कोशिश की शुरुआत की। क्योंकि कोशिश इन कबीलों के मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए एक विलक्षण प्रोजैक्ट था, इसलिए राष्ट्रीय मानव अधिकार अयोग के चेयरमैन ने 1996 में जालंधर जिले (जहाँ प्रोजैक्ट लांच किया गया था) के गन्नापिंड गाँव जाकर इस विलक्षण पहल के लिए जालंधर पुलिस की सराहना की।अगस्त 2013 में, गुप्ता ने पंजाब पुलिस हेल्पलाइन डायल 181 के डिजाइन और लांच का संकल्प लिया, जो सार्वजनिक शिकायत निवारण हेल्पलाइन थी। पुलिस-पब्लिक संपर्क केंद्र की शुरूआत की गई, जोकि समाज के सभी कमजोर वर्गों, महिलाओं और बुजुर्ग नागरिकों के लिए पहले से ही एक बड़ा वरदान बनकर उभरी है। राज्य पुलिस के तुरंत और सक्रिय हस्तक्षेप द्वारा उनको समय पर सहायता प्रदान करना शामिल था। पंजाब देश का पहला राजय है जिसने इस लोक समर्थकीय पहल को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया और लागू किया है।