5 Dariya News

पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों वाली महिला मुलाजिमों को फ्रंटलाईन ड्यूटी पर नहीं किया जायेगा तैनात-डीजीपी

मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद यह फ़ैसला फ्रंटलाईन वॉरियरज़ के लिए टेली कौंसलिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की नयी एप पर प्रगटायी जा रही चिंता के मद्देनजऱ लिया गया

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चंडीगढ़ 05-May-2020

पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने मंगलवार को पहले से स्वास्थ्य समस्याओं वाले पुलिस कर्मियों और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों वाली महिला मुलाजिमों को फ्रंटलाईन ड्यूटी करने से रोक दिया है जिससे कोविड के जोखिम को घटाया जा सके।इस फ़ैसले को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंज़ूरी दे दी है जिसके अंतर्गत उन्होंने डीजीपी को कोविड-19 के विरुद्ध जंग डटकर लड़ रहे कोरोना वॉरियरज़ की सुरक्षा और कल्याण के उपायों को यकीनी बनाने के लिए कहा है।डीजीपी ने कहा कि चिंतित पुलिस कोरोना योद्धों और उनके परिवारों के लिए नयी लांच की गई टेली -कांऊसलिंग सुविधा पर प्राप्त हुई बहुत सी काल में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता ज़ाहिर की गई थी। इस समय राज्य भर में कफ्र्यू लागू करने और राहत कामों में लगभग 48,000 से अधिक पुलिस मुलाजि़म लगे हुए हैं। यह सुविधा 20 अप्रैल को पुलिस अधिकारियों और उनके परिवारों को कोविड के मनोवैज्ञानिक पक्षों से निपटने के लिए अपेक्षित जानकारी और कौशल से लैस करने और संक्रमण की समीपता के उच्च खतरे का डटकर मुकाबला करने के लिए शुरू की गई थी। महिला पुलिस मुलाजिमों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के सम्बन्ध में कई कॉल प्राप्त हुई जोकि 5 वर्ष या इससे कम आयु के बच्चों की माताएं हैं या छोटे बच्चों को दूध पिलाने वाली माताएं थी, जिनकी मौजुदगी बच्चों के लिए बहुत अपेक्षित होती है। डीजीपी ने कहा कि छोटे बच्चों से अलग होना मुश्किल और चिंता का कारण बन रहा था, खासकर उन मामलों में जहाँ पति और पत्नी दोनों पुलिस फोर्स के मैंबर थे। उन्होंने कहा कि इन चिंताओं के जवाब के तौर पर ऐसी महिलाओं को फ्रंटलाईन पर तैनात न करने का फ़ैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस जैसी चिंताएं विभिन्न डाक्टरी मुद्दों, ख़ास कर साँस लेने में तकलीफ़ आदि से जूझ रहे कर्मचारियों के सम्बन्ध में भी थी जो उनके जोखिम को और बढ़ा सकती हैं।इस सम्बन्ध में रेंज आईजीपी / डीआईजीज़, कमिश्नर और एसएसपीज़ को ज़रूरी निर्देश जारी किये गए हैं जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि पहले से मौजूद मैडीकल समस्या वाले पुलिस अधिकारी और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों वाली महिला पुलिस मुलाजिम अपनी विशेष स्थिति के मद्देनजऱ फ्रंटलाईन ड्यूटी पर तैनात नहीं हैं।पंजाब पुलिस की तरफ से चेन्नई स्थित एनजीओ मास्टरमाईंड फाउंडेशन के साथ मिल कर शुरू की गई टेली-काऊंसलिंग सेवा सम्बन्धी जानकारी देते हुये श्रीमती गुरपीत दिओ, एडीजीपी (कम्युनिटी अफेअरज़, पंजाब) ने बताया कि फाउंडेशन के डायरैक्टर, कर्नल थियागराजन ने राज्य की पुलिस को 10 शिक्षित मनोवैज्ञानिकों के पैनल की सेवाएं देने की पेशकश की थी, जो इस विलक्षण पहलकदमी के लिए स्वैइच्छा से काम करना चाहते थे।

गुप्ता ने कहा कि फाउंडेशन दिमाग़ सम्बन्धी स्वास्थ्य वर्कशॉप और इंटरऐकशन सैशनों के लिए टेली-काऊंसलिंग के साथ साथ वीडियो काउंसलिंग सेवाएं भी प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘माईंडकेयर’ एप को गुग्गल प्ले स्टोर से मुफ़्त डाउनलोड किया जा सकता है।इस प्रयास की शुरुआत के दो हफ़्तों के अंदर एप-आधारित हेल्पलाइन पर लगभग 130 कॉलें प्राप्त हुई और जिनमें से 104 कॉल काऊंसलिंग के द्वारा हल की गई हैं जबकि लगभग 23 मामलों में काऊंसलिंग जारी है। बाकी केस प्रशासनिक मुद्दों से सम्बन्धित हैं।कुल सी कॉल में से एक तिहाई कॉल पुलिस कर्मचारियों की पत्नियों या अन्य पारिवारिक सदस्यों की थीं जिनको घर में अकेले कोरोना वायरस के डर से निपटने और पुलिस कर्मचारी पति की घर में ग़ैर मौजुदगी के दौरान छोटे बच्चों और बुज़ुर्ग माँ बाप सम्बन्धी जिम्मेदारियां निभाना या घर से बाहर तैनात पति के स्वास्थ्य और सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं थी।डीजीपी ने आगे बताया कि कोरोनावायरस के संक्रमण की संभावना और महामारी के संदर्भ में भविष्य संबंधी अनिश्चितता के कारण पैदा हुए डर और चिंता सम्बन्धी प्रश्न भी थे। प्रशासनिक मुद्दों जैसे कि तबादले और विभागीय कार्यवाही से सम्बन्धित कुछ कॉल भी थी जिसमें कॉल करने वालों को विभागीय उच्च अधिकारियों के पास पहुँच करने के लिए कहा गया था।एप ऑडियों गाईड थैरेपी, साईकोमैट्रिक टैस्ट प्रदान करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर लेख भी मुहैया किये गए हैं। यह आम समस्याओं जैसे कि तनाव, चिंता आदि को संबोधित करता है और इसमें मानसिकता के विकास के लिए प्रशिक्षण शामिल है। चिंता और उदासी जैसी समस्याओं का स्वै-मूल्यांकन करने के लिए इस एप पर कई व्यापक तौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले मनोवैज्ञानिक प्रश्न पत्र उपलब्ध हैं। इस ई-मेल के द्वारा अपने नतीजों के आधार पर समस्या से निपटने के लिए हल भी प्रदान करता है। डीजीपी के अनुसार विभाग द्वारा पुलिस सेवा के अंदरूनी वटसऐप समूहों पर सर्विस संबंधी जानकारी व्यापक तौर पर प्रसारित की गई है।पंजाबी में एक दिलचस्प जानकारी भरपूर वीडियो बनाई गई है और पंजाब पुलिस कर्मचारियों के साथ सांझी की गई है जिसमें महामारी के मानसिक प्रभाव जैसेकि कोरोना विषाणु के पुलिस मुलाजिमों के स्वास्थ्य और कार्य प्रणाली और प्रभाव संबंधी बताया गया है। इसके इलावा यह एप चिंता और तनाव के साधारण उपायों का सुझाव देता है जैसे कि अच्छी नींद को यकीनी बनाने के लिए सलाह, समय -समय पर डाक्टरी जांच, पारिवारिक सदस्यों और दोस्तों के साथ लगातार बातचीत, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ बातचीत करना और समस्याओं को सांझा करना, बहुत सारा पानी पीना आदि।इसके अलावा डीजीपी पंजाब की विनती पर पंजाब आईपीएस ऑफिसर्ज वाईवज़ एसोसिएशन (पिपसोवा) के डाक्टर सदस्यों ने पंजाब पुलिस के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए जागरूकता वीडियो बनाई है, जिसमें कोविड के मूलभूत चेतावनी के संकेतों और सावधानियों संबंधी बताया गया है जिनकी ज़रूरत है जिससे इस वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है।