5 Dariya News

अकाली दल ने हरपाल सिंह के निलंबन को ‘देरी से मामूली कार्रवाई’ करार दिया

बिक्रम सिंह मजीठिया ने मुख्यमंत्री से कहा कि हरपाल को नौकरी से हटाया जाए तथा उसके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए मुकद्मा दर्ज किया जाए

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अमृतसर 11-Apr-2020

शिरोमणी अकाली दल ने आज प्रसिद्ध रागी तथा पदम श्री भाई निर्मल सिंह का अंतिम संस्कार रोकने के लिए वेरका शमशानघाट को ताला लगाने वाले अध्यापक हरपाल सिंह के निलंबन को देरी से की मामूली  कार्रवाई करार दिया है तथा मांग की है कि उसे सरकारी नौकरी से हटाया जाए तथा उसके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए धारा 295-ए के तहत् मुकद्मा दर्ज किया जाए।इस संबधी मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि हरपाल सिंह को तत्काल नौकरी से हटाया जाना चाहिए, क्योंकि राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेकर उसने सरकारी कर्मचारी व्यवहार (आचरण) 1966 के नियम 6 को तोड़ा है। उन्होने कहा कि हरपाल के खिलाफ ड्यूटी से अनुपस्थित रहने तथा सरकारी अधिकारियों को ड्यूटी करने से रोकने के लिए भी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होने यह भी मांग की कि राजनीति में कूदने के बाद हरपाल को दिए गए वेतन की सारी राशि उससे वसूली जानी चाहिए।सरदार मजीठिया ने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि इस बात की एक अलग जांच करवाएं कि हरपाल सिंह को कांग्रेस पार्टी का पदाधिकारी कैसे नियुक्त किया गया है तथा उसके द्वारा कितनी बार अपनी पार्षद पत्नी के पद का गलत इस्तेमाल किया गया है? उन्होने कहा कि वह आशा करते हैं कि मुख्यमंत्री इस बात को समझेंगे कि हरपाल ने सिर्फ पदम श्री प्रसिद्ध रागी का ही अपमान नही किया, बल्कि वह शांति तथा साम्प्रदायिक सौहार्द्र के लिए भी एक खतरा है। उन्होने कहा कि इस स्कूल अध्यापक की कार्रवाईयों ने मुख्यमंत्री तथा पंजाबियों का नाम खराब किया है। इसीलिए एक स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नही है।अकाली नेता ने कहा कि बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सिखों तथा विभिन्न रागी जत्थों द्वारा प्रकट किए रोष के बाद सरकार ने हरपाल सिंह के खिलाफ बहुत देरी से कार्रवाई की है। उन्होने कहा कि यही कारण है कि इस व्यक्ति के निलंबन को ध्यान हटाने के हथकंडे के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होने कहा कि सिखों की भावनाओं को शांत करने के लिए तत्काल इस अध्यापक के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई की जाए।

सरदार मजीठिया ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि हरपाल सिंह ने कोई पहली बार कानून नही तोड़ा है। उन्होने कहा कि सच्चाई यह है कि हरपाल अवैध गतिविधियां करने में अभ्यस्त है। उन्होने कहा कि उसकी गुंडागर्दी के आगे डिप्टी कमिशनर तथा पुलिस कमिशनर समेत अमृतसर का सिविल तथा पुलिस प्रशासन भी बेबस महसूस करता है। वह सरकारी मीटिंगों में कांग्रेसी पार्षद के तौर पर भाग लेता है जबकि वास्तव में पार्षद उसकी पत्नी परमिंदर कौर है। उन्होने कहा कि नगर निगम की एक मीटिंग में भाग लेने से रोकने पर हरपाल ने अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर को भी धमकी दी थी।सरदार मजीठिया ने कहा कि अमृतसर जिला प्रशासन हरपाल सिंह के मामले में टालमटोल वाला रवैया बनाए रखा था जबकि इसके बिल्कूल विपरित हरनामदासपूरा में एक कोरोना वायरस मरीज का अंतिम संस्कार रोकने पर जालंधर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 60 व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल केस दर्ज कर लिया था। उन्होने कहा कि यदि अमृतसर प्रशासन ने इसी तरह कार्रवाई की होती तो राज्य में कोविड-19 मरीजों के शवों का अपमान करने वाली दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं न होती।हरपाल सिंह के बारे अन्य जानकारी देते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि यह व्यक्ति अमृतसर के मजीठा ब्लॉक के गांव शहजादे के सरकारी प्राईमरी स्कूल में हेडमास्टर तैनात है, पर यह कभी भी स्कूल नही गया था। इसके बारे गांव के लोगों ने सरकार के पास बहुत सारी शिकायतें दी थी। उन्होने कहा कि यह व्यक्ति अनुपस्थित होते हुए भी स्कूल में अवैध ढ़ंग से अपनी उपस्थिति लगाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जबकि वह राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न रहता है। उन्होने कहा कि नियमों का उल्लंघन करते हुए हरपाल सिंह को पंजाब सरकार प्रदेश कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया है।