5 Dariya News

विश्व शांति के लिए गुरु नानक जी की समावेशी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है : सलाहकार के.के. शर्मा

गुरु नानक जी की जयंती पर 2 दिवसीय पंजाबी सम्मेलन का उद्घाटन किया

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जम्मू 29-Feb-2020

उपमहाद्वीप की आध्यात्मिक और रहस्यमय विरासत में गुरु नानक जी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उपराज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा ने कहा कि आज के संदर्भ में सिख धर्म के प्रतीक की शिक्षाएं अधिक प्रासंगिक हैं और हमें मानव जाति की समग्रता के उनके संदेश का प्रसार सुनिश्चित करना चाहिए।सलाहकार ने यह बात यहां अभिनव थिएटर में गुरु नानक जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाशा अकादमी द्वारा आयोजित दो दिवसीय पंजाबी सम्मेलन में कही।इस समारोह में पूर्व वीसी पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला प्रो जसपाल सिंह, पूर्व एचओडी पंजाबी, दिल्ली विश्वविद्यालय डॉ. जसबीर सिंह, पूर्व प्रधान जेकेएसजीपीसीसी सुदर्शन सिंह वज़ीर, सचिव जेकेएएसीएल मुनीर-उल-इस्लाम, बुद्धिजीवी, लेखक, कवि और विभिन्न क्षेत्रों के लोग मौजूद थे।सलाहकार ने कहा कि गुरु भारत की सामूहिक आध्यात्मिक विरासत का एक हिस्सा है और उनका जम्मू-कष्मीर के साथ एक विशेष सम्बंध था और उन्होंने ईश्वर की एकता और समावेशिता के अपने संदेश को फैलाने के लिए यूटी के अधिकांश हिस्सों की यात्रा की। उन्होंने कहा कि अब विश्व स्तर पर उनका संदेश फैलाना और शांतिपूर्ण तथा संजीदा जीवन के लिए उनकी शिक्षाओं का पालन करना हम पर निर्भर करता है।

इस प्रकार के सेमिनारों के आयोजन के लिए अकादमी की प्रशंसा करते हुए, सलाहकार ने कहा कि उन्हें स्थानीय भाषाओं और बोलियों में गुरु के सभी कार्यों और शिक्षाओं का अनुवाद करने के लिए एक व्यापक अभ्यास करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी शिक्षाओं से आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करें। पूर्व उपकुलपति पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला ने इस अवसर पर बोलते हुए, गुरु के जीवन और शिक्षाओं पर एक विस्तृत दृष्टिकोण दिया और आधुनिक समय और दैनिक जीवन में इन की प्रासंगिकता भी बताई।पूर्व एचओडी पंजाबी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने गुरु की शिक्षाओं के दर्शन पर एक अवलोकन दिया।इस अवसर पर बोलते हुए, पूर्व प्रधान जेकेएसजीपीसीसी ने शांतिपूर्ण जीवन और आपसी सह-अस्तित्व के लिए गुरु के उपदेशों, योगदान और प्रासंगिकता के बारे में जानकारी दी।सचिव, जेकेएएसीएल ने भी इस अवसर पर बात की और गुरु नानक जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक अकादमी द्वारा की गई गतिविधियों का एक संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने सिख धर्म के दर्शनशास्त्र पर भी ध्यान दिया।