5 Dariya News

उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों को कोरोनावायरस जैसी बीमारियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए सहयोगी करने की आवश्यकता : डा बी सुरेश

सीजीसी लांडरा में ड्रग डिस्कवरी और ड्रग डिलीवरी में उभरती तकनीकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरु

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लांडरा 11-Feb-2020

फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया, नई दिल्ली के प्रेसीडेंट डा बी.सुरेश ने कहा कि खूंखार वायरेस कोरनोवायरेस के कारण इतनी मौतें हो चुकी है कि लोग अपने घर के बाहर निकलने से भी डरने लगे है। वह चंडीगढ़ ग्रुप आफ कालेज लांडरा में ड्रग डिस्कवरी एंड ड्रग डिलिवरी - करंट चैलेंज एंड फयूचर प्रास्पेक्ट्स में उभरते तकनीक पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान बोल रहे थे। अमेरिका, बेल्जियम, इटली और दुबई सहित संयुक्त राज्य के 40 से अधिक प्रख्यात वक्ताओं और उद्योग के विशेषज्ञों ने दवा खोज और विकास में वर्तमान मुद्दों के छात्रों और उभरते शोधकर्ताओं को जोड़ने के लिए सम्मेलन में शामिल हुए।काउंसिल आफ इंडिया, नई दिल्ली के प्रेसीडेंट डा बी सुरेश ने कहा कोरोनावायरस जैसी बीमारियों के लिए जीवन रक्षक दवाओं के अनुसंधान में शामिल भारी लागतों  के कारण उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे संयुक्त अनुसंधान का संचालन करें और खतरनाक बिमारियों के खिलाफ लड़ाई छेडें। उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न संस्थानों द्वारा अपने संबंधित विशेष केन्द्रों में निवेश करने के बजाय सभी एक ही क्षेत्र के अनुसंधान के लिए समर्पित हो और इस उद्देश्य के साथ एकजुट हो जाए जिससे संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सके और ऐसे महामारी से लड़ने के लिए तैयार भी रहें।उन्होंने दवा वितरण प्रणाली में नए विकास के बारे में बात करते हुए कहा बदलते समय ने दवाओं के सेवन के तरीके में ज़रुरी बदलाव लाएं हैं। 

ऐसे उपकरण अधिक सेलुलर स्तर पर लक्षित करने की क्षमता रखते हैं। इसके लिए न तो केवल फार्मा उद्योग से संबंधित बल्कि इन उन्नत प्रणालियों का पूरा उपयोग करने के लिए अपने ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ाने के लिए इंजीनियरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में युवा दिमाग की आवश्यकता होती है। आज मुद्दा योग्य व्यक्तियों की कमी नहीं है बल्कि सक्षम लोगों की कमी है। सक्षम होने के लिए उनकी आवश्यकताओं उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद भी सीखते रहना है और नवीनतम घटनाओं के अनुसार अधिक विशेषज्ञ ज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना है।वर्षों से पीसीआई द्वारा किए गए उल्लेखनीय सुधारों को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने 2014-15 में फार्मेसी के लिए राष्ट्रीय पाठयचर्या की शुरुआत के साथ तीन दशक के पुराने पाठयक्रम में बहुत ज़रुरी बदलाव लाए। इसको और मजबूत करने के लिए वर्ष 2020 में दो नए प्रोग्राम लाने की संभावना है जो है एम फार्मा फार्माक्यूटीकल सिस्टमस मैनेजमेंट इंजीनियरिंग पहलुओं और नई प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए और चिकित्सा उपकरणों में एक कोर्स जो भारत में तेजी से विस्तार करने वाला उद्योग है। इतना ही नहीं पीएचडी को सुपर स्पेशलिस्ट के साथ स्थानापन्न करने की भी योजना है जो अभ्यास से दृढ़ता से संचालित होते हैं।सीजीसी लांडरा के चेयरमैन सतनाम सिंह संधू तथा प्रेसीडेंट रशपाल सिंह धालीवाल ने कहा भारतीय दवा उद्योग अपने आश्रितों के लिए एक बहुत बड़ा दायरा बढ़ाता है और इस क्षेत्र में एक पुरस्कृत करियर बनाने के लिए व्यक्तियों को अपने भीतन व्यवसाय और विपणन कौशल विकसित करना होगा क्योंकि यह शोध के अलावा उनके लिए व्यापक विकल्प भी खोलेगा।