5 Dariya News

‘परीक्षा पर्व-2’ पर एक दिवसीय ओरियन्टेशन एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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शिमला 02-Feb-2020

हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान (हिप्पा) में ‘परीक्षा पर्व-2’ पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय ओरियन्टेेशन एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष वन्दना कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का विषय विद्यार्थियों में परीक्षा से संबंधित दबाव को कम करना था। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा बच्चों से संबंधित विभिन्न विषयों पर नियमित तौर पर कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं ताकि लोगों को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की विशेषज्ञ ज्योति चोथीवाला ने ‘परीक्षा पर्व-विद्यार्थियों में दबाव प्रबन्धन की आवश्यकता तथा महत्व’ पर जानकारी सांझा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयोग पूरे देश में परीक्षा से संबंधित दबाव से निपटने के लिए विद्यार्थियों, अध्यापकों और अभिभावकों को जागरूक कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘परीक्षा पर चर्चा’, ‘मन की बात’, ‘परीक्षा पर्व’ तथा उनकी पुस्तक ‘एग्ज़ाम वारियर’ के माध्यम से विद्यार्थियों की परीक्षा संबंधी दबाव की समस्या को उचित रूप से संबोधित किया है।इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आईजीएमसी) शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के डा. दिनेश दत्त शर्मा ने दबाव के मानसिक प्रभावों तथा इसके ईलाज से संबंधित विभिन्न विषयों पर जानकारी दी तथा उपस्थित लोगों के प्रश्नों के जबाव दिए। उन्होंने कहा कि दबाव हर आयु के व्यक्ति पर होता है तथा इसके लक्षणों को शीघ्र पहचानकर ईलाज करवाना बेहद आवश्यक है।हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. अनिता शर्मा ने परीक्षा से संबंधित दबाव प्रबन्धन पर उपयोगी जानकारी सांझा की। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों पर परीक्षा के दबाव तथा इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर एक प्रस्तुति दी।इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष वन्दना कुमारी ने इस अवसर पर विशेषज्ञांे को सम्मानित किया।कार्यक्रम में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया, जिनमें प्रदेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य भी शामिल थे।