5 Dariya News

सरकार देश के 6 लाख गांवों में से 15 प्रतिशत को अगले चार साल में डिजीटल गांव में बदलेगी : रविशंकर प्रसाद

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रेवाड़ी 25-Dec-2019

दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को हरियाणा के रेवाड़ी स्थित गुरावड़ा गांव को डिजीटल गांव घोषित करते हुए कहा कि सरकार देश के 6 लाख गांवों में से 15 प्रतिशत को अगले चार साल में डिजीटल गांव में बदलेगी। इससे गांव के निवासियों को एक क्लिक पर सरकार की सैकड़ों योजनाएं मिलने लगेंगी और उन्हें शहरों-ब्लॉक-तहसील तक नहीं जाना होगा। उन्होंने इसके साथ ही देश भर में भारत नेट से जुड़े 1.3 लाख गांवों को मार्च 2020 तक फ्री वाई-फाई सेवा देने का भी ऐलान किया। भारत नेट योजना के तहत सरकार देश की ढाई लाख पंचायतों और उससे जुड़े गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ रही है और वहां पर द्रुत गति वाई-सेवा देने का लक्ष्य रख रही है। रेवाड़ी के गुरावड़ा गांव को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निकाय सीएससी, कॉमन सर्विस सेंटर, ने डिजीटल गांव में बदला है। जहां हर घर को इंटरनेट-वाईफाई कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है।दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम ढाई लाख ग्राम पंचायत में से 1.3 लाख पंचायत तक भारत नेट पहुंचा चुके हैं। इसके माध्यम से इंटरनेट सेवाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए हम मार्च 2020 तक भारत नेट से जुड़े सभी गांव में फ्री वाई-फाई सेवा देंगे। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस सुशासन दिवस पर इस गांव को डिजीटल गांव में बदलकर उन्हें खुशी हो रही है। 

इसकी वजह यह है कि स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी का कहना था कि लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रशासन को उत्तरदायी बनाना होगा।डिजीटल सशक्ता से यह काम काफी सरल होगा। एक क्लिक पर आम नागरिक कोई भी सरकारी सेवा हासिल कर पाएगा।गांव गुरावड़ा की सीएससी पर उपलब्ध सेंवाओं का अवलोकन करते हुए केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सीएससी की संचालिका सोनू बाला के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि बेटियां आगे बढ़ रही हैं और सोनू बाला जैसी होनहार बेटियों ने अन्य बेटियों व महिलाओं को भी डिजिटली साक्षर बनाने के लिए आगे आना चाहिए। सीएससी सेंटर पर क म्प्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर रही दसवीं पास व 42 वर्षीय सुनीता देवी की सोच की प्रशंसा करते हुए प्रोत्साहित किया।कॉमन सर्विस सेंटर के सीईओ डा. दिनेश त्यागी ने कहा कि डिजीटल गांव की घोषणा 2015-16 के बजट में की गई थी। हमने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच गांवों को डिजीटल बनाया। उसकी सफलता को देखते हुए सरकार ने हमें देश के 700 जिलों में हर जिले का एक-एक डिजीटल गांव बनाने का दायित्व दिया है। इसके माध्यम से लोगों को उनके गांव में बैंकिंग सेवा, टेलीमेडिसन, टेलीएजुकेशन सहित सैकड़ों सेवाएं दी जाती हैं। लोगों को डिजीटल साक्षर बनाने का भी कार्य किया जाता है। इसके अलावा यहां पर एलईडी बल्ब, सैनेटरी नैपकिन, पेपर बैग बनाने का भी कार्य किया जाता है। जिससे डिजीटल गांव के प्रशासनिक खर्च को पूरा किया जा सके। सबसे खास बात यह है कि इंटरनेट की पहुंच से लोग डिजीटली सशक्त हो रहे हैं।