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गुरु-शिष्य स्कीम से हरियाणा की नगाड़ा व बीन जोगी कला को मिलेगा संरक्षण : सौभाग्य वर्धन

कश्मीर की ब्लैक पोट्री को संरक्षित करने के लिए पहुंचे सफुरा गांव में

5 Dariya News (संजीव बंसल)

कुरुक्षेत्र 10-Dec-2019

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला के निदेशक सौभाग्य वर्धन ने कहा कि नोर्थ ईस्ट राज्यों की लुप्त हो रही लोक कला और शिल्प कला को संरक्षित करने के लिए गुरु-शिष्य योजना को अमलीजामा पहनाने का काम किया गया है। इस योजना के तहत नोर्थ ईस्ट के राज्यों से 2 से 4 लोक कलाओं को संरक्षित करने का निर्णय लिया है। अहम पहलू यह है कि हरियाणा राज्य में नगाड़ा, बीन बांसुरी और सारंगी की लोक कलाओं को सरंक्षित करने का काम शुरु किया गया है।निदेशक सौभाग्य वर्धन में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान केडीबी मीडिया सेंटर में विशेष बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी से संगीत प्रोफेसर पद से स्वयं सेवा निवृति लेने के बाद 7 फरवरी 2018 को एनजेडसीसी के निदेशक पद का कार्यभार सम्भाला है। हालांकि वे अपने परिवार की 14वीं पीढ़ी में संगीत विधा को आगे बढ़ा रहे है। उनका परिवार रामपुर सदारंग परम्परा से ही संगीत गायन से जुड़े हुए है, इसलिए संगीत उनके रोम-रोम में विराजमान है और वे लोक कला की बारीकियों से रुबरु है। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि लेह लदाख, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, उतराखंड, हिमाचल, राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी लोक कलाएं या तो लुप्त हो चुकी है या फिर लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है।उन्होंने कहा कि एनजेडसीसी नोर्थ ईस्ट के राज्यों की लुप्त हो रही 2 से 4 लोक कलाओं को संरक्षित करने का काम कर रही है। इसके लिए गुरु-शिष्य योजना को लागू किया है। इस योजना के तहत वास्तिविक गुरु तक शिष्यों को पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत गुरु को 10 हजार रुपए, सहायक को 7 हजार रुपए और गुरु के 5 शिष्यों को 2-2 हजार रुपए 6 माह तक दिए जाएंगे। इसके पश्चात परीक्षण करने के बाद इसकी अवधि 3 साल तक बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में नगाड़ा, बीन जोगी और सारंगी की लोक कलाओं को संरक्षित करने का निर्णय लिया है। 

इस समय इसमें से सारंगी के 2 या 3 कलाकार, नगाड़ा पार्टी के 3 या 3 ग्रुप और जंगम जोगी के भी 1 या 2 ग्रुप ही शेष रह गए है। इन कलाकारों को गुरु-शिष्य योजना के साथ जोड़ा जा रहा है।निदेशक ने कहा कि जम्मू कश्मीर की शिल्प कला ब्लैक पोट्री को बचाने के लिए करीब 4 किलोमीटर दुर्गम मार्ग से होकर गांव सफुरा पहुंचे जहां पर एक परिवार में 4 बेटे है और सभी अपनी शिल्पकला ब्लैक पोट्री को छोडक़र मनरेगा के तहत काम कर रहे थे। इस परिवार के सभी लोगों को एनजेडसीसी के साथ जोडक़र कलाग्राम में ब्लैक पोट्री को रखा गया और नि:शुल्क स्टाल दिया गया और हर प्रकार का सहयोग किया गया। इस प्रकार की शिल्पकला को भी एनजेडसीसी संरक्षित करने का काम कर रही है। इस समय नोर्थ ईस्ट के राज्यों के करीब 8 हजार कलाकार जूड़े हुए है। इन कलाकारों को भारत सरकार की तरफ से 800 रुपए प्रति कलाकार के हिसाब से राशि दी जाती है और आने-जाने के खर्चे के अलावा 400 रुपए प्रति कलाकार डीए के रुप में दिए जाते है। इसके अलावा इनको अलग-अलग मंचों पर एक मुकाम हासिल करने के लिए अवसर मुहैया करवाए जाते है।उन्होंने कहा कि 365 दिनों में नोर्थ ईस्ट के 8 राज्यों में 200 इवेंटस होते है, इन इवेंटस के अलावा स्पेशल ट्रिप मेले, मिजोरम सहित आतंकवाद व नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों में आक्टिव कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 22 से ज्यादा राज्यों की 45 टीमों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को पर्यटकों के समक्ष रखा और इन टीमों में 700 से ज्यादा कलाकार थे। इसके अलावा बाजीगर, बहरुपिए, कच्ची घोड़ी, लौहार-लुहारी, नगाड़ा पार्टी, बीन बांसुरी पार्टी के कलाकारों ने भी लोगों का मनोरंजन किया और एनजेडसीसी की तरफ से देशभर से शिल्पकारों को आमंत्रित किया गया और इस महोत्सव में शिल्पकारों को 250 स्टाल आंवटित किए गए थे। इस मौके पर एनजेडसीसी के अधिकारी राधे श्याम उपस्थित थे।