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अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर्यटकों के लिए बना अनूठा संगम स्थल

संस्कृति, संस्कार, अध्यात्म, गीत-संगीत, मनोरंजन, मेला, सामान मिल रहे एक जगह, कहीं बीन तो कहीं नगाड़ों पर थिरक रहे युवक-युवतियां

5 Dariya News (संजीव बंसल)

कुरुक्षेत्र 08-Dec-2019

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जनमानस के लिए एक अनूठे संगम के रूप में परिवर्तित हो गया है, जिसने हर आयुवर्ग के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। महोत्सव में संस्कृति और संस्कार है तो यहां अध्यात्म भी है। यहां गीत-संगीत है तो लोगों के लिए घरेलू व साज-सज्जा तथा वस्त्रों की भी भरमार है। मनोरंजन के लिए मेला भी लगा है तो धर्मलाभ के लिए रोजाना महाआरती का आयोजन किया जा रहा है।धर्मनगरी कुरुक्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन के लिए विश्व स्तर पर अलग पहचान मिल रही है। देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटकों तथा कलाकारों से सुसज्जित महोत्सव एक लघु भारत की छठा बिखेर रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये कलाकार अपने-अपने राज्य की संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वहीं शिल्पकार सरस व क्राफ्ट मेले में अपने प्रदेशों की सभ्यता व वेशभूषा आदि का प्रचार कर रहे हैं।स्थानीय लोगों के बीच यह संगम उत्सुकता का विषय बना हुआ है। कुरुक्षेत्र के गांव बाबैन की सुधा रानी कहती हैं कि वैसे तो उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में जाने का अवसर पता नहीं कब मिलेगा, लेकिन गीता महोत्सव में उन्हें देश की अद्भुत संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं। संस्कृति व संस्कार की जड़ों को मजबूती देने में गीता महोत्सव मील का पत्थर साबित होगा। मेले में लोग परिवार सहित आ रहे हैं, जिन्हें अपने देश की संस्कृति से रू-ब-रू होने का स्वर्णिम अवसर मिल रहा है। ब्रह्मसरोवर में प्रतिदिन सांयकाल महाआरती का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृत के शोकोच्चारण तथा गीता पर आयोजित किये जाने वाले आयोजन हमें हमारी समृद्धशाली संस्कृति का बोध कराते हैं। गीता महोत्सव में वाटर लेजर शो के माध्यम से लोगों को गीता का संदेश दिया जा रहा है। 

यूं तो आयोजन स्थल में प्रवेश मात्र से ही गीता के संदेशों से किसी न किसी रूप में परिचित होने का अवसर मिल रहा है। साथ ही इस प्रकार के आयोजन व विचार गोष्ठियां विषय को विस्तार से समझाने में मदद करते हैं। महोत्सव में लाखों की संख्या में पर्यटक व श्रद्धालुगण पहुंच रहे हैं, जो हर तरह से महोत्सव आनंद ले रहे हैं। हरियाणा की संस्कृति के साथ अन्य प्रदेशों की संस्कृति लोगों के लिए दर्शनीय है। विभिन्न विभागों की स्टॉलों पर सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही है।महोत्सव स्थल पर जगह-जगह बीन तथा नगाड़े बज रहे हैं, जहां से गुजरने वाले युवक-युवतियां कलाकारों के साथ थिरकने को विवश हो उठते हैं। इससे सरस व क्राफ्ट मेले में स्टॉल लगाने वाले शिल्पकारों का भी भरपूर मनोरंजन हो रहा है। हिमाचल से आई कविता कहती हैं कि महोत्सव में समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। ब्रह्मसरोवर से हटकर भी गीता महोत्सव की छठा बिखेरी जा रही है। मेला ग्राउंड में बच्चों के लिए झूले लगाये गये हैं तो संध्या को संगीतमय बनाने के लिए प्रतिदिन प्रसिद्ध कलाकारों की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है। सोनीपत से आये बिजेन्द्र सिंह व यमुनानगर के सतबीर तथा राजस्थान के बृज मोहन का कहना था कि महोत्सव अपने आप में एक अनूठा व बेहतरीन आयोजन है। यहां लोगों को नायाब वस्तुओं की खरीददारी के लिए भी बेहतरीन मंच मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन नियमित रूप से किये जाते रहने चाहिए।

स्टाल नम्बर 798 को चुना उत्कृष्टï स्टाल के रुप में

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्स्व में रविवार के उत्कृष्टï स्टाल के रुप में गांव भौर जिला रोहतक की ओम विदया महिला स्वयं सहायता समुह के स्टाल नम्बर 798 को सर्वश्रेष्ठï स्टाल चुना गया। इस स्टाल की संचालिका विदया देवी है। इस समुह द्वारा आदमी, औरत व बच्चों की हर साईज की हाथ से तैयार जुतियां तैयार की जाती है। इस स्टाल को अतिरिक्त उपायुक्त पार्थ गुप्ता के मार्गदर्शन में सरस मेला प्रबंधन टीम के सदस्यों ने उत्कृष्टï स्टाल के रुप में चुना है। ओम विदया महिला स्वयं सहायता समुह की संचालिका विदया ने बातचीत करते हुए बताया कि इस महोत्सव में उनकी अभी तक 5 लाख रुपए तक की आमदनी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उनके बनाए उत्पादों को पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किए जा रहे है। इस समुह द्वारा बेरोजगार महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है और अभी तक 300 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।प्रबंधक सरस मेला कमेटी टीके राणा ने बताया कि अतिरिक्त उपायुक्त पार्थ गुप्ता के मार्गदर्शन में सरस मेला प्रबंधक कमेटी द्वारा विभिन्न राज्यों से सरस मेले में आए शिल्पकारों को भी प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।