रयात बाहरा यूनिवर्सिटी में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित सैमीनार का आयोजन
5 Dariya News
खरड 18-Oct-2019
रयात बाहरा यूनिवर्सिटी में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित सैमीनार गुरू नानक वाणी -सरबकाली परिप्रेक्ष का आयोजन किया गया।श्री अकाल तख़्त अंमृतसर साहिब के हैड ग्रंथी भाई मलकीत सिंह ने श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के सम्बन्ध में रयात बाहरा यूनिवर्सिटी की तरफ से करवाए तीन दिवसीय समागम दौरान रखे एक सैमीनार मौके संबोधन करते हुए कहा कि गुरू नानक देव जी ने सामाजिक भेदभाव की विरोधता करते हुए समाज में एकता और इकजुट्टता को बढावा दिया। उन्होंने सामुहिक मानवता के कल्याण और भलाई के लिए नाम जपने और गुरबानी के लड़ लगकर अपना जीवन सफल करने के लिए समाज को प्रेरित किया। श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं बारे रखे इस सैमीनार दौरान भाई मलकीत सिंह ने बताया कि बाबा नानक की सरबसांझी वाणी हर धर्म के लिए सांझेदारी और भाईचारक सांझ की प्रतीक है,जिस में मर्द और औरत को बराबर बताया गया है। सो क्यों मंदा आखीए, जित जम्मै राजान के वाक्यों के द्वारा भी गुरू नानक देव जी ने स्त्री की महानता को बताया है।इस के इलावा विशेष वक्ता के तौर पर उपस्थित हुए स. बलविन्दर सिंह जौड़ासिंघा और डा. मनमोहन सिंह ने सैमीनार में बोलते कहा कि गुरू जी ने किर्त करो, बंड छको (रोटी कमाने के लिए कुछ काम करो और ज़रूरतमंदों में अपनी कमाई सांझी करो) का प्रचार किया।उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को मनाना, उनके पदचिन्हों पर चलना और उनकी धारणाओं को मानना समय की ज़रूरत है।रयात बाहरा यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डा. दलजीत सिंह ने आए हुए सभी मेहमानों का धन्यवाद किया और विद्यार्थियों को सत्य के रास्ते पर चलते गुर्बानी के साथ जुडऩे और असली अर्थों को समझने के लिए प्रेरित किया।इससे पहले रयात बाहरा यूनिवर्सिटी के चांसलर गुरविन्दर सिंह बाहरा ने सैमीनार में महमानों का स्वागत किया। इसी सम्बन्ध में समारोह के पहले दिन श्री अखंड पाठ शाहिब के भोग आरंभ करवाए गए और आज भोग डाले गए। इस मौके श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हजूरी में भाई साहब भाई गुरदेव सिंघ सिंह हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अंमृतसर और भाई हरपाल सिंह हैड ग्रंथी श्री फतेहगड़ साहिब की तरफ से गुरबानी और शब्द कीर्तन के द्वारा संगतेंा को निहाल किया गया। इस के बाद गुरू का लंगर अटूट बाँटा गया।