5 Dariya News

स्व टंडन वर्तमान पीढ़ी के लिये आज भी उतने ही अनुकरणीय - एम वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति ने श्री बलराम दास टंडन जी की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी

5 Dariya News

चंडीगढ़ 14-Aug-2019

छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल और पंजाब के उपमुख्यमंत्री रहे स्व बलराम जी दास टंडन की प्रथम पुण्य तिथि पर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के लॉ सभागार भवन में उनके जीवन पर संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमे देश के उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया |इस कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनोर, केंद्रीय मंत्री, सोम प्रकाश, पंजाब के लोक निर्माण विभाग मंत्री विजय इंद्र सिंगला, पंजाबऔर हरियाणा सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों तथा पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार, वरिष्ठप्रशासनिक व् पुलिस अधिकारी, राजनैतिक दलों के नेताऔर टंडन परिवार सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया | इस अवसर पर स्व टंडन के पुत्र भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन द्वारा लिखित पुस्तक के पंजाबी रूपांतरण की प्रति का विमोचन भी उपराष्ट्रपति महोदय के कर कमलों द्वारा हुआ | गौरतलब है कि ये पुस्तक संस्कृतऔर हिंदी संस्करण में तो थी परन्तु इसका पंजाबी अनुवाद आर एस लिबरेट द्वाराकिया गया |कार्यक्रम की शुरुआत में सर्वप्रथमदिवंगत आत्मा को श्रधान्जली प्रदान की गयी और उसके उपरान्त यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो राजकुमार ने उप राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि चार माह के भीतर ही उनका चंडीगढ़ का दौरा ये दर्शाता है कि श्री नायडू का चंडीगढ़ से काफी लगाव है जिसके लिए हम सभी उनका विशेष आभार व्यक्त करते हैं |इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने स्वर्गीय बलराम दास टंडन जी के जीवन से जुडी बातों को स्मरण करते हुए कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में, टंडन जी ने नि:स्वार्थ राष्ट्र सेवा, निष्ठापूर्ण समाज सेवा के प्रमाणिक मानदंड स्थापित किये जो जनप्रतिनिधियों और सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्त्ताओं की वर्तमान पीढ़ी के लिये आज भी उतने ही अनुकरणीय हैं।जनता हमसे अपेक्षा करती है कि हम उन मानदंडों का अनुसरण करें जो टंडन जी जैसे विभूतियों ने सार्वजनिक जीवन में स्थापित किये। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपना राजनैतिक सफ़र शुरू किया था तब उनकी बलराम जी दास टंडन से काफी भेंटवार्ता हुई और उनके साथ लगाव था | ऐसे तपस्वी लोग उस समय राजनीति को एक जनसेवा और जन जागरण अभियान के रूप में लेकर चलते थे परन्तु ये विडम्बना है कि बीच के समय में राजनैतिक क्षेत्र में काफी कुछ उलट फेर हुआ | आज जरूरत है फिर से राजनैतिक क्षेत्र को फिर से अभियान बनाने की और मुझे पूरा भरोसा है कि अब देश के लोग इस और अपना रुख करने लगे हैं | आज देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना है और ऐसे में हम सब का कर्तव्य है कि हम अपने देश में आदर्श राजनीति को स्थापित कर विकास की धारा के अभियान से जुड़े और विश्व के लिए उच्च प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत करें | उन्होंने आग्रह किया कि राजनैतिक दल अपने सदस्यों और विधायकों के लिये आचार संहिता बनायें और उन्हें अपने घोषणा पत्र में शामिल करें, जिससे राष्ट्रीय जीवन में हम वह आदर्श पुन: स्थापित कर सकें जिसे टंडन जी जैसे समाजसेवी नेताओं ने स्थापित किया। 

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज कहा कि “हमारे लोकतंत्र के लिये यह आवश्यक है कि जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक आदर्शों और संस्थाओं में जनता की आस्था को बनाये रखें।” उन्होंने कहा कि दलीय राजनीति, लोकतंत्र में स्वाभाविक है, “विभिन्न दल राजनैतिक विकल्प उपलब्ध कराते हैं। परंतु राष्ट्रहित और समाज के आदर्शों का कोई विकल्प नहीं होता।”राष्ट्रहित के मुद्दों पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सर्वसहमति होनी चाहिए। इस संदर्भ मैं धारा 370 को निरस्त किए जाने की चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि धारा 370 केवल एक अस्थाई प्रावधान था।  संसद में पंडित नेहरू के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए, उन्होंने बताया कि27 नवंबर1963 को धारा 370 को निरस्त करने के मुद्दे पर जवाब देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने स्वयं कहा था कि धारा 370 महज एक अस्थाई प्रावधान है। वह संविधान का स्थाई भाग नहीं है। इस अवसर पर श्री नायडू ने उस समय के राष्ट्रीय समाचार पत्रों में इस विषय पर  छपी खबरों को स्वयं पढ़ा।उन्होंने कहा कि धारा 370 के निरस्त होने का देश भर में स्वागत हुआ है। उन्होंने कहा ये मसला देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा का है। परन्तु पश्चिमी मीडिया का एक वर्ग इस विषय में भारत विरोध भ्रामक प्रचार फैला रहा है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि “आज हम बढ़ती आकांक्षाओं और रोज बदलती संभावनाओं के युग में रह रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से जनअपेक्षाएं भी बढ़ी है। लेकिन क्या हम उन आकांक्षाओं के साथ न्याय कर पा रहे हैं?” विधायी संस्थानों में व्यवधान की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विधायी संस्थान विचार-विमर्श और सहमति का माध्यम हैं, व्यवधान का नहीं, “जनप्रतिनिधियों का  दायित्व है कि वे लोकतांत्रिक मर्यादाओं और आस्थाओं को और दृढ़ करें।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं सदैव एक तत्पर और सक्षम प्रशासन, न्यायिक सुधारों और सांसद एवं विधाई निकायों सार्थक सकारात्मक बहस का आग्रह करता रहा हूं। Discuss, Debate, Decide, Decentralise and Deliver यही आगे भावी प्रगति का मार्ग है। उन्होंने आगे कहा किन सिर्फ विधायिका और प्रशासन की जन आकांक्षाओं के प्रति जवाबदेही आवश्यक है बल्कि न्यायिक प्रणाली और प्रक्रिया को भी जनसाधारण के लिए सुलभ और सुगम होना चाहिए।कानून को लागू कराने वाली संस्थाएं और न्याय प्रदान करने वाले अधिष्ठान लोगों के लिए सुगम, विश्वसनीय, पारदर्शी और सामान रूप से न्यायपूर्ण होने चाहिए।त्वरित न्याय की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कियह आवश्यक है कि सालों से लंबित मुकदमों को कम करने के कारगर प्रयास किए जाएं। कहा गया है Justice Delayed is Justice Denied.

 श्री नायडु ने कहा कि लोकनीति में आचरण विचारधारा से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि  चुनाव याचिका या जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध आपराधिक मामलों जैसे मामलों में  समयबद्ध और शीघ्रता से फैसला होना चाहिए। ये देखा गया कि ऐसे मामले या दल बदल कानून के तहत मुकद्दमे, जनप्रतिनिधि का कार्यकाल समाप्त होने तक भी लंबित रहते है। ऐसे विलंब से तो इन कानूनों का उद्देश्य ही निरर्थक हो जाता है। दल बदल कानून के प्रावधानों को संबंधित पीठासीन सभापति/अध्यक्ष द्वारा लागू करने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने कहा किदल बदलने वाले जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध पीठसीन सभापति/अध्यक्ष को शीघ्रता से निर्णय लेना चाहिए। देखा गया है कि कतिपय पीठासीन अधिकारियों द्वारा शीघ्रता से कार्यवाही न किए जाने के कारण, दल बदल कानून का अक्षरशः पालन नहीं हो रहा है।ऐसे मामलों में देरी से न्यायिक और विधाई अधिष्ठानों से जनता का विश्वास क्षीण होता है। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे मामलों की सुनवाई विशेष न्यायिक प्राधिकरण द्वारा हो और फैसला भी समयबद्ध एक वर्ष के अंदर ही हो।इसी संदर्भ में देश की न्यायिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें न्यायिक प्रणाली को जनता के लिए सुगम सुलभ बनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट की बेंच का विस्तार करके तथा अलग क्षेत्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट की अलग पीठ स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा किसमय आ गया है कि इतने विशाल देश में न्याय को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय की और पीठ स्थापित की जाए।उपराष्ट्रपति ने आह्वाहन किया कि स्वाधीनता दिवस के अवसर पर  देश को जातीय, लैंगिक भेदभाव, गरीबी और अशिक्षा से मुक्त करने के लिए साझा प्रयास करने का संकल्प लें।कार्यक्रम के अंत में भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन ने आये हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके पिता स्व बलराम जी दास टंडन उनके परिवार के लिए आदर्श थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सादगी भरा और दूसरों की सहायता करते हुए बिताया | वे समाज के उत्थान में लगी कई समाजसेवी संस्थायों को वितीय सहायता प्रदान करते थे और अंतिम समय भी उन्होंनेपत्र के माध्यम से मुझे संकल्प करवाया कि मैं भी उनके क़दमों पर चलते हुए उन सभी संस्थायों को सारी उम्र सेवा करता रहूँ | इसके लिए उन्होंने कहा कि वे नवम्बर माह में उनके जन्मदिवस पर इस प्रकार की स्वयंसेवी संस्था का निर्माण करने जा रहे हैं जो चंडीगढ़ और उसके आसपास के जरूरतमंद लोगों की सेवा कर सके | कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय गान के साथ हुआ |