5 Dariya News

तीर्थन घाटी के लिए वरदान साबित हो सकती है होमस्टे योजना

शाईरोपा के सभागार में हुआ प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरण समारोह

5 Dariya News (परस राम भारती)

तीर्थन घाटी गुशैनी (कुल्लू) 28-Jun-2019

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही होमस्टे योजना के तहत तीर्थन घाटी में इस समय करीब 80 होमस्टे इकाइयाँ कार्य कर रही है जिनमे 100 के करीब होमस्टे आने वाले समय के लिए तैयार हो रहे है। इस समय तीर्थन घाटी के लगभग सभी होमस्टे में एडवांस बुकिंग चली हुई है। मैदानी इलाकों की तपती गर्मी से राहत पाने के लिए काफी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे है। होमस्टे के माध्यम से यहाँ के स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सीधा लाभ मिल रहा है।यहां पर आने वाला अधिकतर पर्यटक होमस्टे में रहना पसन्द करता है। जिससे यहाँ के ग्रामीण पर्यटन को खूब बढ़ावा मिल रहा है और लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार देखने को मिल रहा है। यह घाटी ग्रामीण पर्यटन के लिहाज से एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल बन रहा है, यहाँ का शीत एवं शान्त और शुद्ध वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यहाँ के ग्रामीण और प्राकृतिक रूप से सुन्दर क्षेत्रों मे बने होमस्टे पर्यटकों को अपने घर से दूर एक और घर जैसा अनुभव प्रदान कर रहे है। यहां पर रह कर देशी विदेशी मेहमान यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य, पुरातन कला संस्कृति, मेलों एवं त्यौहारों का खूब आनंद ले रहे है। इसके अतिरिक्त्त जैविक विविधिता के लिए महशूर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, प्राचीन मंदिर, किले, घाटियाँ, नदी ,नाले, झरने व झीलें यहाँ पर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। तीर्थन घाटी में साहसिक, इको और ग्रामीण, सांस्कृतिक, धरोहर और धार्मिक पर्यटन की बहुत अधिक संभावना है, ग्रामीण पर्यटन के लिहाज से इसका महत्व इसलिए और भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ की लगभग 99℅ आवादी गांव में ही वास करती है।होमस्टे योजना हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों और पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए एक बरदान साबित हो सकती है। 

तीर्थन संरक्षण एवं पर्यटन विकास एसोसिएशन के मीडिया सचिव एवं पर्यटन कारोबारी परस राम भारती का कहना है कि घाटी में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जो गांव मे रह रहे है या गांव से बाहर कहीं और बस गए है, जिनका गांव मे अपना स्वयं का मकान/घर बना हुआ है जिसमें इतने अधिक कमरे हो जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा हो और कमरे खाली पड़े हुए हो, या कोई ऐसा घर जो सालों से बन्द पड़ा हो वे लोग ऐसे हिमालयन घरों को होमस्टे में परिवर्तित करके इसके द्वारा अपनी आमदनी में बृद्धि के सकते है जिससे उस घर के कम से कम दो सदस्यों को घर द्वार पर ही रोजगार मिलेगा और वे आसानी से अपनी आजीविका चला सकते है। गांव में अपना घर या कमरे उपलव्ध होने के पश्चात उसमे  बिजली, पानी व शौचालय एवं सुगम रास्तों जैसी कुछ मूलभूत सुविधाएं जोड़नी पड़ेगी तथा इसे होमस्टे में परिवर्तित करने के लिए कुछ आवश्यक सरकारी नियमों के तहत पर्यटन विभाग में पंजीकृत करवाना पड़ता है। अगर इस कार्य के लिए पैसों की कमी आड़े आती हो तो मुख्यमंत्री आजीविज योजना के तहत बेरोजगार युवाओं के लिए बैंक के माध्यम से कोई भी पर्यटन इकाई चलाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है जिसमें सब्सिडी का भी प्रावधान है।बशर्तें अप्लाई करने वाला स्वयं उस भूमि का मालिक हो।तीर्थन घाटी में पर्यटन को बड़ावा देने,प्रचार प्रसार औरआधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा यहां की दो पंचायतों नोहन्ड़ा और कंडिधार को समुदाय आधारित परियोजना के तहत लिया गया है जिसके अन्तर्गत इन पंचायत के लोगों को कौशल विकास के लिए गाईड, होमस्टे, कुकिंग और हस्तशिल्प के आधारभूत प्रशिक्षण दिए जा रहे है। इस परियोजना के नोडल अधिकारी अंकित सूद का कहना है कि आने वाले समय में यहां के युवाओं को अग्रणी प्रशिक्षण के इलावा एंगलिंग, बर्ड्स वॉचिंग, प्रथमिक चिकित्सा, आग से लड़ने, हस्तशिल्प व आर्गेनिक साबुन बनाने के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की योजना पर कार्य चल रहा है। इस परियोजना के समन्वयक जय गोपाल शर्मा का कहना है कि स्टाफ की कमी होने के कारण इस प्रकार के शिक्षण प्रशिक्षण में अविलम्ब हो रहा है।तीर्थन संरक्षण एवं पर्यटन विकास एसोसिएशन के प्रधान वरुण भारती का कहना है कि तीर्थन घाटी के लोग होमस्टे योजना तथा प्रशिक्षण से काफी लाभान्वित हो रहे है तथा इससे यहाँ के लोगों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। संघ यहां के स्थानीय लोगों के प्रति सम्मानजनक भाव रखता है यहां के लोगों का इस घाटी को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को पर्यटन के विश्वपटल पर ले जाने के भरसक प्रयास किए जा रहे है।जिससे यहां के इको टूरिज़म को बड़ावा मिलेगा और लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़ कर सीधा रोजगार हासिल कर सकते। उन्होंने बतलाया कि घाटी को स्वच्छ और यहां की प्राकृतिक सुन्दरता को बनाए रखने के लिए समय समय पर सफाई व पौधरोपण अभियान चलाया जाएगा जिसमे यहां के स्थानीय लोगों और स्कुली विद्यार्थियों की सहायता ली जाएगी।