5 Dariya News

आर्यन्स कॉलेज ऑफ लॉ द्वारा सोशल मीडिया और न्यायिक प्रणाली पर सेमिनार आयोजित

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राजपुरा 10-Mar-2019

आर्यन्स कॉलेज ऑफ लॉ, राजपुरा, नजदीक चंडीगढ़ ने अपने कैंपस में '' सोशल मीडिया के बढते प्रभाव बनाम वर्तमान न्यायिक प्रणाली संतुलन की आवश्यकता पर एक सेमिनार का आयोजन किया। डॉ विजय नागपाल, प्रोफैसर, लॉ विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे, जबकि डॉ भूपिंदर सिंह विर्क, प्रोफैसर, लॉ विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला गैस्ट ऑफ ओनर थे। आर्यन्स ग्रुप के चेयरमैन, डॉ अंशु कटारिया ने प्रोग्राम की अध्यक्षता की। इस सेमिनार में एलएलबी, बीए-एलएलबी के छात्रों ने भाग लिया।डॉ विजय नागपाल ने बोलते हुए कहा कि पुलिस के लिए, सोशल मीडिया ने अभूतपूर्व पहुंच प्रदान की है। फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से पुलिस और जनता वास्तविक समय में घटनाओं के बारे में संवाद कर सकते हैं। यह न केवल संकट के समय बल्कि दैनिक आधार पर और स्थानीय स्तर पर भी अमूल्य साबित हुआ है। इसके अलावा, आपराधिक परीक्षणों के सोशल मीडिया प्रसारण ने आपराधिक कार्यवाही में पारदर्शिता का एक अतिरिक्त स्तर जोड़ा है।

डॉ भूपिंदर सिंह विर्क ने कहा कि सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं, विशेषकर युवाओं के लिए जोखिम पैदा करने का आरोप लगाया गया है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल बदला लेने वाले पोर्न जैसे नए अपराधों को आसान बनाने के लिए किया गया है, जो कठोर सजा के लिए संकेत देता है। इसके अलावा, अपराधियों के लिए संभावित पीडितों को ट्रैक करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का उपयोग किया जा सकता है।आर्यन्स कॉलेज ऑफ लॉ के प्रिंसिपल, डॉ हंसराज अरोड़ा ने कहा कि पहले, यह सोचा गया है कि लोग मीडिया में जो देखते हैं या पढ़ते हैं उससे अपराध के बारे में अपनी राय बनाते हैं। लेकिन सोशल मीडिया को हमारे पसंदीदा समाचार स्रोत बनाने के साथ अपराधों की समझ अब बदल गई है। लोग वास्तविक तथ्यों को जाने बिना भी सोशल मीडिया के ट्रेंड को फॉलो और स्वीकार करते हैं।आर्यंस कॉलेज ऑफ लॉ के वाइस प्रिंसिपल, श्री एसपी वर्मा ने भविष्य के बारे में बोलते हुए कहा कि सोशल मीडिया आपराधिक न्याय अधिकारियों के लिए चुनौतियां और अवसर प्रदान करता रहेगा, साथ ही साथ जनता के विचार और अपराध और उत्पीडऩ के मुद्दों के साथ जुडऩे के तरीके को भी बदलता रहेगा। इसके लाभों पर पूंजीकरण, और अपराध के संबंध में इसके नकारात्मक प्रभावों को रोकने या कम करने और आपराधिक न्याय प्रणाली की आवश्यकता है।