5 Dariya News

हिमाचल प्रदेश के लोक साहित्य में देव परंपरा का विशेष महत्व : प्रो. अग्नि

साहित्यकार कलाकार प्रलेखन योजना के तहत कार्यक्रम आयोजित

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धर्मषाला 18-Jan-2019

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने साहित्यकार कलाकार प्रलेखन योजना के अंतर्गत शुक्रवार को धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय में साहित्य संगोष्ठी एवं लेखक संवाद व साक्षात्कार कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के प्रख्यात लेखक एवं लोक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान प्रो. वेद प्रकाश अग्नि का डाक्यूमेंटेशन किया गया।इस मौके प्रो. वेद प्रकाश अग्नि ने हिमाचल प्रदेश लोक साहित्य पर आधारित अपने व्याख्यान में हिमाचली परंपरा में सिद्ध एवं नाथ परंपरा, इतिहास तथा लोक मान्यताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सिद्ध और नाथ परंपरा पर शोध कार्य किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोक साहित्य में देव परंपरा का विशेष् महत्व है। हिमाचल लोक मानस में, पारंपरिक लोक गीतों, गाथाओं, सामाजिक धार्मिक रीति-रिवाज़ों, लोक आस्थाओं, देव गाथाओं, लोक संगीत, संस्कार गीतों में देवी-देवताओं के इतिहास, उनकी उत्पत्ति तथा देव संस्कृति से संबन्धित अनेक धारणाएं प्रचलित हैं जिनके अध्ययन से सिद्ध तथा नाथ परंपरा को समझा जा सकता है।प्रो. अग्नि ने कहा कि गुरू गोरखनाथ, भतृहरी, बाबा बालक नाथ की मान्यता आज भी लोक साहित्य में विशेष स्थान रखती है। सिद्ध चानो के प्रति लोक आस्था एक संत परंपरा को समेटे हुए है।डॉ. ओम प्रकाश शर्मा ने प्रो. वेद प्रकाश अग्नि के जीवनवृत, कृतित्व तथा उनके साहित्यिक योगदान पर परिचर्चा करते हुए उनसे संवाद किया।कार्यक्रम में डॉ. इन्द्र ठाकुर, चेतराम, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. भाग सिंह चौहान, विजय मोहन पुरी, भूमिदत्त शर्मा, डॉ. चंद्र, डॉ. आशा भंडारी ने भाग लिया।

हिमाचल की सांस्कृतिक परंपरा को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास 

हिमाचल अकादमी के सचिव डॉ. कर्म सिंह ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए कहा किहिमाचल अकादमी द्वारा प्रदेश के मेले, पर्व, त्योहारों का फिल्मांकन किया जाता है। वर्तमान में अकादमी द्वारा लगभग 20 वृत्तचित्रों के निर्माण के बाद दूरदर्शन केन्द्र, शिमला, सिटी चैनल, चैनल 9 आदि संचार माध्यमों से प्रसारित करवाए जाने की योजना है, ताकि हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक परंपरा को लोगों तक पहुंचाया जा सके।डॉ. सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मार्गदर्शन में प्रदेश की पारंपरिक कला, संस्कृति भाषा एवं साहित्य संरक्षण, प्रलेखन, प्रचार-प्रसार तथा प्रकाषन का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि डॉ. पूर्णिमा चौहान सचिव भाषा संस्कृति की अगुवाई में अकादमी द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार के दृष्टिपत्र के अन्तर्गत हिमाचली भाषा की विभिन्न बोलियांे के संरक्षण हेतु बधारी, सिरमौरी, कुल्लुई तथा अन्य बोलियों की पुस्तिका तैयार की जा रही है। ‘आज पुरानी राहों में’ योजना के अन्तर्गत कला एवं संस्कृति से संबंधित स्मृति चिन्ह तैयार किए जा रहे हैं और प्रदेश के वरिष्ठ कलाकारों तथा साहित्यकारों के योगदान तथा जीवनवृत्त पर आधारित डाक्यूमेंट्री तैयार की जा रही हैं। इस योजना में अब तक प्रख्यात लेखक, आर.सी षर्मा तथा  प्रो. केषव षर्मा का डाक्यूमेंटेशन किया जा चुका है तथा प्रो. वेद प्रकाश अग्नि और डॉ. गौतम शर्मा व्यथित का धर्मशाला तथा नेरटी में फिल्मांकन किया जा रहा है। साहित्यकारों तथा कलाकारों के जीवन वृत्त तथा योगदान पर डाक्यूमेंटरी तैयार करकेे उनके योगदान तथा लोक साहित्य की परंपरा को संरक्षित किया जा रहा है।