5 Dariya News

कश्मीर : मुठभेड़ में सैनिक, 3 आतंकी, 7 नागरिक मारे गए

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पुलवामा 15-Dec-2018

जम्मू एवं कश्मीर में शनिवार का दिन लहूलुहान रहा। आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया और सात नागरिक मारे गए, तथा तीन आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में तीन दर्जन से अधिक नागरिक घायल हो गए। पुलवामा जिले में शनिवार को हुई मुठभेड़ और उसके बाद संघर्षो में 11 लोग मारे गए। घाटी में यहां हाल के इतिहास में यह एक सबसे रक्तरंजित दिन रहा। इलाके में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और इसके बाद सिरनू गांव में मुठभेड़ शुरू हो गई। पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और एक जवान शहीद हो गया। मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक जहूर अहमद ठोकर ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए सेना छोड़ दी थी। मुठभेड़ के तुरंत बाद, कई नागरिक प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गई, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और पेलेट्स दागे। मुठभेड़ स्थल पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष के दौरान गोलीबारी में घायल हुए दो युवक आमिर अहमद और आबिद हुसैन को अस्पताल पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि पांच अन्य घायल प्रदर्शनकारियों -सुहैल अहमद, शाहबाज लियाकत डार, तौसेफ अहमद, मुर्तजा बशीर- की बाद में मौत हो गई। इलाके से मिली रपटों में कहा गया है कि संघर्ष में 35 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। 

उनमें से तीन की हालत नाजुक है। घाटी में नागरिकों के मारे जाने की खबर फैलते ही अचानक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रदर्शनकारियों की उत्तर कश्मीर के सोपार शहर में सुरक्षा बलों के साथ झड़प हुई, जहां सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। इन प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों या सुरक्षाबलों को कोई चोट नहीं आई है।श्रीनगर के पुराने शहर नौहट्टा में भी प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारियों ने यहां आजादी के पक्ष में और भारत विरोधी नारे लगाए। पुलवामा जिले में नागरिकों के मारे जाने के बाद कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी परिसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रशासन ने पुलवामा में कर्फ्यू लगा दिया है और नागरिकों की मौत के चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उच्च सुरक्षा व्यवस्था की गई है। दक्षिण कश्मीर में मोबाइल सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और जम्मू क्षेत्र में कश्मीर घाटी और बनिहाल शहर के बीच रेल सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट किया, कश्मीर में एक और खूनी सप्ताहांत। छह प्रदर्शनकारी मारे गए, ड्यूटी पर तैनात एक जवान शहीद हो गया। सुबह की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों सहित 10 लोग मारे गए। मुठभेड़ स्थल से कई लोगों के घायल होने की खबर है। क्या भयानक दिन है। उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा, राज्यपाल मलिक के प्रशासन में केवल एक काम और सिर्फ एक काम है। 

जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और घाटी में शांति बहाल करना। अफसोस की बात है कि एकमात्र यही चीज प्रशासन नहीं कर पा रहा है। प्रचार अभियान और विज्ञापन भरे पृष्ठ शांति नहीं लाते। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी दिन की घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।उन्होंने कहा, हम अपने युवाओं के ताबूतों को कब तक कंधा देते रहेंगे? पुलवामा में आज मुठभेड़ के बाद कई नागरिक मारे गए। कोई भी देश अपने लोगों की हत्या करके युद्ध नहीं जीत सकता है। मैं इन हत्याओं की दृढ़ता से निंदा करती हूं और एक बार फिर इस खून-खराबे को रोकने के प्रयास करने की अपील करती हूं।वरिष्ठ अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने इस घटना को कश्मीरियों का नरसंहार कहा और पूरी घाटी में शनिवार से शुरू तीन-दिवसीय बंद की घोषणा की।उन्होंने ट्वीट किया, पुलवामा नरसंहार, गोलियों और पेलेट्स की बारिश! चूंकि भारत सरकार ने अपने सशस्त्र बलों के जरिए कश्मीरियों की हत्या करने का फैसला किया है, इसलिए जेआरएल (संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व) और लोग सोमवार 17 दिसंबर को बदामी बाग सेना छावनी की ओर मार्च करेंगे, और कहेंगे कि हमें रोज मारने के बदले एक बार में एकसाथ मार दिया जाए।उन्होंने विश्व समुदाय से अपील की कि कश्मीर की गंभीर स्थिति को संज्ञान में लिया जाए।डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट (डीपीएन) के गुलाम हसन मीर सहित अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी नागरिक हत्याओं की निंदा की।

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