5 Dariya News

नितिन गडकरी ने स्वच्छ गंगा मिशन की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया

मार्च, 2019 के बाद महत्वपूर्ण बदलाव दिखाई पड़ेंगे सीसामऊ नाले के कुप्रभावों से कानपुर मुक्त हुआ

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नई दिल्ली 05-Dec-2018

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने स्वच्छ गंगा मिशन की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और देश के लोगों को आश्वस्त किया कि स्वच्छ गंगा का उनका सपना जल्द ही पूरा होगा। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के समर्थन से स्वच्छ गंगा मिशन का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। सभी हितधारकों की कड़ी मेहनत के सुखद परिणाम दिखाई पड़ने लगे है। 128 सालों के बाद सरकार ने सीसामऊ नाले के कुप्रभावों से कानपुर शहर को मुक्त किया है। 140 एमएलडी प्रदूषित पानी को गंगा नदी में बहने से रोका गया है। गडकरी विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित इंडिया वॉटर इम्पेक्ट समिट 2018 (5-7 दिसंबर, 2018) को संबोधित कर रहे थे।इस अवसर पर 6 रिपोर्टे जारी की गई, जो मुख्यतः गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना से संबंधित हैं। इसरो द्वारा विकसित ग्रीन गंगा एप को भी लांच किया गया। नामामि गंगे कार्यक्रम के तहत वनीकरण गतिविधियों के जियो-टैगिंग के लिए इस एप का उपयोग किया जाएगा। नामामि गंगे कार्यक्रम के लिए सूचना कियोस्क को भी लांच किया गया इसे एनएमसीजी और इसरो ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।श्री गडकरी ने कहा कि गंगा सफाई कार्यक्रम (1985 से लेकर 2014 तक) के लिए केन्द्र सरकार ने 4000 करोड़ रुपये से भी कम व्यय किया था। नामामि गंगे कार्यक्रम के लिए पांच वर्षों के दौरान 20000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 24000 करोड़ रुपये मूल्य की 254 परियोजनाओं की स्वीकृति दी है और पिछले पांच वर्षों में 5000 करोड़ रुपये खर्च किए है। इन 254 परियोजनाओं में 133 सीवर प्रबंधन, 64 घाट और श्मशान घाट, 6 जैव विविधता और 16 वनीकरण परियोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 133 सीवर परियोजनाओं की लागत 19789 करोड़ रुपये है जिससे 3969 एमएलडी सीवर शोधन होगा तथा 4871 किलोमीटर लम्बा सीवर नेटवर्क निर्मित किया जाएगा।

नितिन गडकरी ने कहा कि गंगा की सहायक नदियों पर विशेष ध्यान देते हुए 26 परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई है। सहायक नदियों में यमुना, सरयू, रामगंगा, गोमती, काली, कोसी, गंडक, दामोदर आदि शामिल हैं। गंगा नदी की अविरलता पर ध्यान दिया गया है। पारिस्थितिकीय बहाव के आवश्यक स्तर को बनाए रखने के लिए अक्टूबर में एक अधिसूचना प्रकाशित की गई थी। इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक आयोजित की गई थी।केन्द्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने नामामि गंगे कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इसे एक जनांदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए तीन प्रमुख कार्य है- गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाना, जल शोधन को लागू करना तथा ठोस कचरा प्रबंधन। उन्होंने कहा कि नामामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी के पांच किलोमीटर के दायरे में 97 शहरों की पहचान की गई है। स्वच्छ भारत मिशन गंगा तट पर स्थित गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने में मदद कर रहा है।केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में व्यक्त विचारों से स्वच्छ गंगा मिशन को बहुत लाभ होगा। गंगा को अविरल बनाने के लिए विदेशी सहयोग आवश्यक है।जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह ने गंगा को स्वच्छ बनाने की समस्या को भू-जल के अत्याधिक दोहन से जोड़ते हुए कहा कि जल संसाधनों के प्रबंधन में बड़े बदलाव की जरूरत है। इससे गंगा नदी की अविरलता को बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने जल स्रोतों के कम होते जल स्तर पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भू-जल रिचार्ज, वर्षा जल संचय, जलाशयों का पुनरुद्धार, बाढ़ के मैदानों को बनाए रखने पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। ‘वैश्विक मुद्दें के लिए वैश्विक सहयोग’ के उद्घाटन सत्र को घाना की जल मंत्री सुश्री सेसिलिया अबेना दपाह, इजरायल की राजदूत माया कडोश, स्लोवेनिया के राजदूत श्री जोजेफ ड्रोफेनिक, जर्मनी के मिशन के उप-प्रमुख श्री जस्पर वियेक, विश्व बैंक के निदेशक श्री स्टीवेन एन स्कॉनबर्गर ने भी संबोधित किया।