5 Dariya News

पुस्तक में केवल मात्र शब्द ही नहीं होते , बल्कि लेखक के जीवंत का अनुभव होता है : डॉ. एसपी सिंह

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लुधियाना 03-Dec-2018

लुधियाना के गुजरांवाला गुरु नानक खालसा कॉलेज के पंजाबी स्नातकोत्तर विभाग ने सोमवार को यहां एक समारोह आयोजित किया, जिसमें कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. अरविंदर सिंह की लिखित पुस्तक 'जदों स्मृतियां जागदियां ने’ का विमोचन किया गया। इस समारोह में पदम विभूषण डॉ. एसएस जोहल मुख्य मेहमान थे। वह सुप्रसिद्ध शिक्षाविद्द, बठिंडा स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर और पटियाला स्थित पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर हैं। इस मौके पर डॉ. एसएस जोहल ने पुस्तक के बारे में अपनी हार्दिक भावनाएं और टिप्पणियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया ऐसे लोगों की है, जो प्रौद्यौगिकी अथवा तकनीकी उपकरणों के साथ व्यस्त हैं, जिनको ये उपभोग कर रही हैं। उनके लिए यह पुस्तक एक स्मरण है कि वे अभी भी जीवित हैं, विस्तार और उद्घाटित होने के लिए उनकी  चेतना अभी यहीं है, ताकि उसका इस्तेमाल मानवता की सेवा के लिए किया जा सके। इस पुस्तक पर चर्चा के लिए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के पंजाबी स्टडीज स्कूल के पूर्व प्रमुख प्रो. हरभजन सिंह भाटिया और जाने-माने पंजाबी लेखक व पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गुरभजन सिंह गिल इस अवसर पर मौजूद थे। कॉलेज के पंजाबी विभाग के प्रमुख प्रो. सबरजीत सिंह के द्वारा मुख्य मेहमान, अतिथियों और प्राध्यापकों का गर्मजोशी से स्वागत करने के साथ समारोह का आगाज हुआ। गुजरांवाला खालसा एजूकेशनल सोसाइटी के ऑनरेरी महासचिव और जीएनडीयू, अमृतसर के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. एसपी सिंह ने पुस्तक के बारे में अपने अमूल्य विचार साझा कर प्रिंसिपल के प्रसायों की सराहना की। उन्होंन कहा कि पुस्तक में केवल मात्र शब्द नहीं हैं, बल्कि लेखक के जीवंत अनुभव हैं, जो पाठकों के साथ खूबसूरती से बांटे गए हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तक वर्णित चरित्रों का न सिर्फ आलोचनात्मक विश्लेषण करती है, बल्कि भावी विस्तार और चर्चा के लिए जगह रखकर मनुष्यों को सही मार्ग भी दिखाती है।उन्होंने पुस्तक का स्वागत किया, जो एक ऐसे लेखक की कलम से सामने आई है, जिसने कठिन अभ्यास के जरिये चेतना प्राप्त की। पंजाबी साहित्य समीक्षा की दुनिया में जाने-माने चेहरे प्रो. हरभजन सिंह भाटिया ने कहा कि पुस्तक के अध्याय कभी निरर्थक नहीं साबित होंगे, क्योंकि ये अपने साथ पाठ के संबंध में कई अर्थ और विभिन्न व्याख्याएं लिए हुए हैं, जिनके निशान सामयिक और लौकिक सीमाओं से परे हैं। यही कारण है कि यह कृति एक तरफ तो एक विशुद्ध संरचनात्मक निर्भरता दर्शाती है, तो दूसरी तरफ यह किसी भी तरह की संरचनात्मक निर्भरता से मुक्त भी करती है। यह इस पुस्तक की साहित्यिक विशेषता है। प्रो. गुरभजन सिंह गिल बोले कि ये स्मृतियां न तो शिक्षाप्रद और न ही पूरी तरह स्वप्रतिनिधित्व हैं। यह पुस्तक समाज में व्याप्त सांस्कृतिक भौतिकवाद से लेकर मानव के मन और अंतस्चेतना की यात्रा को दर्शाने का एक प्रयास है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के पूर्व प्रो-वाइस चांसलर प्रो. पृथ्वीपाल सिंह कपूर ने यह कहते हुए लेखक के सृजन की सराहना की कि यह पुस्तक हमें न केवल प्रेरित करती है, बल्कि जीवन में नैतिक और सही रास्ता अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। उन्होंने आगे कहा कि लेखक को शैक्षिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन देखने का आशीर्वाद मिला हुआ है। 

सरे (कनाडा) में पंजाब भवन के संस्थापक सुखी बाथ ने लेखक-प्रिंसिपल डॉ. अरविंदर सिंह की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं कि यह पुस्तक युवा पीढ़ी को उसकी जीवन यात्रा में सही रास्ता अपनाने में मार्गदर्शन करेगी। लेखक ने इस पुस्तक में जीवन के कड़वे-मीठे अनुभव साझ किए हैं। इस पुस्तक के लेखक डॉ. अरविंदर सिंह ने कहा कि यह पुस्तक न केवल मानव जीवन के कड़वे-मीठे अनुभव साझा करती है, बल्कि मनुष्यों की दिशाहीन चेतना को एक उत्प्रेरणा भी प्रदान करती है। वह एक आदमी बन गया, जिसकी आंखें हैं लेकिन दृष्टि नहीं। उन्होंने यह भी कहा, "मैं आमतौर पर इस पर विचार करता हूं कि जीवन एक स्कूल और थिएटर भी है। यह हमें जीवन के अमूल्य पाठ सिखाता है और जीवन नाम के रंगमंच पर विभिन्न भूमिकाएं निभाने का एक अवसर भी प्रदान करता है। यह पुस्तक मेरे व्यक्तिगत अनुभवों व सुझावों और सुप्रसिद्ध बुद्धिजीवियों, शुभचिंतकों सलाहकारों और समर्थकों के परामर्शों की देन है, जिन्होंने मुझे जीवन के रूढ़िवादी ढांचे को त्यागने के लिए प्रेरित किया। किताब, 'जदों स्मृतियां जागदियां ने' में यह सब हैं। गुजरांवाला खालसा एजूकेशनल कौंसिल के सदस्यों सरदार भगवंत सिंह, डॉ. गजिंदर सिंह, सरदार कुलजीत सिंह और सरदार हरदीप सिंह ने भी अन्य के साथ इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डॉ. भूपिंदर सिंह ने सबका आभार जताया। प्रो. सरबजीत सिह ने स्टेज संचालन किया। डॉ. गुरप्रीत सिंह, प्रो. शरणजीत कौर और प्रो. हरप्रीत सिंह दुआ भी इस मौके पर मौजूद थे।