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हमें अपनी समूची शिक्षा प्रणाली के लिए नई योजना तैयार करनी होगी; ‘हर परिस्थिति में उपयुक्त’ वाला दृष्टिकोण हमें कहीं नहीं ले जाएगा : एम. वेंकैया नायडू

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नई दिल्ली 19-Nov-2018

‘आप भाग्यशाली हैं कि आपने इस महान विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है लेकिन आज के दिन उनके बारे में सोचिए जिन्हें लायक होने के बावजूद ऐसा अवसर नहीं मिल रहा है। शिक्षा और अंतिम मील तक खुले अवसरों का लाभ उठाना हम पर निर्भर करता है।’ उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दिल्ली विश्वविद्याल के स्नातक छात्रों से यह बात कही। श्री नायडू आज दिल्ली विश्वविद्यालय के 95वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।उप-राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय को बधाई दी और कहा कि विश्वविद्यालय की परिकल्पना और मिशन उसकी राष्ट्र निर्माण और सार्वभौमिक मानव मूल्यों का दृढ़ता से पालन करने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य निष्ठा धृति सत्यम में इसकी झलक मिलती है। सभी स्नातक और पुरस्कार विजेता, खास तौर से युवा महिलाओं को बधाई देते हुए उप राष्ट्रपति ने महिला शिक्षा पर विश्वविद्यालय के विशेष रूप से ध्यान देने की सराहना की।श्री नायडू ने कहा कि भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक और कठिन कार्य को हाथ में लिया है, लेकिन प्राचीनकाल में पेड़ की छाया में सीखने की गुरू शिष्य परम्परा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्थान बनाने की यात्रा अभी पूरी नहीं हुई है।उप राष्ट्रपति ने भारत के विश्वविद्यालयों से कहा कि वे युवाओं को उपयोगी, प्रबुद्ध नागरिक बनाएं। सभी को याद दिलाते हुए कि भारत का लक्ष्य निरन्तर समग्र विकास है, उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग देश के उत्साही, बुद्धिमान और संसाधन संपन्न युवाओं द्वारा प्रशस्त किया जाना चाहिए।

उप राष्ट्रपति ने भारत में शिक्षण संस्थानों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इनकी संख्या के अनुरूप देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है। उनकी राय थी कि समूची शिक्षा प्रणाली के लिए नई योजना तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि हर परिस्थिति में उपयुक्त’ वाला दृष्टिकोण हमें कहीं नहीं ले जाएगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वतंत्र रूप से सोचने की जगह मिलनी चाहिए हम विज्ञान में उत्कृष्ट छात्र और संगीत के प्रतिभावान छात्र पर एक ही पाठ्यक्रम नहीं थोप सकते। उन्होंने कहा कि छात्र का केवल आधा समय कक्षा में बीतना चाहिए और शेष समय समुदाय, खेल के मैदान, प्रकृति और खुली हवा में बीतना चाहिए।श्री नायडू ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी डिग्रियों और अंकों तक ही खुद को सीमित नहीं रखे। उन्होंने कहा कि यह तो केवल आधार मात्र है। आप यहां से जीवन में कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं और आगे क्‍या बनना चाहते हैं यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है।उप राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के प्रमुख स्थान के रूप में भारत के प्राचीन गौरव को बहाल करने की आवश्यकता है। भारत किसी समय विश्व गुरू के नाम से जाना जाता था और हमारे विश्वविद्यालय उत्कृष्टता का अंतरराष्‍ट्रीय केन्द्र थे। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वे उच्च शिक्षा की मांग को पूरा करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं तथा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए महंगी शिक्षा के स्थान पर सस्ती शिक्षा की व्यवस्था करें।उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जनसांख्यिकी लाभ के शीर्ष पर खड़ा है जहां उसकी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपनी विशाल युवा आबादी को उचित तरीके से शिक्षित और कौशल युक्त नहीं बनायेंगे तो जनसंख्या लाभ की यह स्थिति चुनौती में बदल जाएगी।इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री सत्यपाल सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी, छात्र, विभाग और विश्वविद्यालय के कर्मचारी तथा अभिभावक मौजूद थे।