5 Dariya News

कैलाश सत्यार्थी ने की तस्करी रोधी विधेयक पारित करने की मांग

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नई दिल्ली 14-Nov-2018

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को यह वादा करना चाहिए कि वे सही मायने में बाल दिवस मनाने के लिए तस्करी रोधी विधेयक (मानव तस्करी रोधी विधेयक) राज्यसभा में पारित करेंगे, क्योंकि बच्चे मानव तस्करी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सत्यार्थी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मानव तस्करी के खिलाफ विभिन्न प्रकार के नियम हैं, लेकिन कोई कानून नहीं। इसलिए हम या अन्य लोग उसके लिए संघर्ष कर रहे हैं।" मानवी तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा व पुनर्वास) विधेयक-2018 जुलाई में लोकसभा में पारित हुआ और बाल अधिकार कार्यकर्ता को उम्मीद है कि यह राज्यसभा में भी पारित होगा। उन्होंने कहा, "किसी भी पार्टी के कोई राजनेता अगर सही मायने में बाल दिवस मनाना चाहता है तो उसे राज्यसभा में विधेयक पारित करवाने का वादा करना चाहिए, क्योंकि तस्करी से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं।"

विधेयक पारित होने पर सभी प्रकार की तस्करी की जांच होगी और तस्करी के शिकार लोगों का बचाव, सुरक्षा व पुनर्वास किया जाएगा। इसमें तस्करी के कुछ उद्देश्यों को अधिक संगीन के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें अधिक सजा का प्रावधान होगा। सत्यार्थी ने कहा कि सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि की बात करती है, लेकिन उसका चार फीसदी भी बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खर्च नहीं करती है। उन्होंने कहा कि देश में बाल-केंद्रित कोई विकास नहीं है। उन्होंने कहा, "भारत में 18 साल से कम उम्र की आबादी 40 फीसदी है, जिसमें करीब 40-42 फीसदी बच्चे हैं। लेकिन इस समूह की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर जीडीपी का महज 3.5 फीसदी खर्च किया जाता है। हम 40 फीसदी आबादी पर अपनी जीडीपी का चार फीसदी भी खर्च करने में समर्थ नहीं हैं। हम नैतिक रूप से कैसे कह सकते हैं कि बच्चे हमारे भविष्य हैं।" सत्यार्थी ने 1980 के दशक में बाल-अधिकार के लिए काम करना शुरू किया था। उन्होंने 80,000 बच्चों को गुलामी के जीवन से मुक्ति दिलाई। उन्होंने कहा कि बच्चे की सुरक्षा हर किसी का कर्तव्य है।