5 Dariya News

धान की पराली को न जलाने के चेतना अभियान का दिखा असर, किसान विभिन्न तरीकों से कर रहे हैं पराली प्रबंधन

पराली ना जलाने के होते हैं अनेकों फायदे

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श्री मुक्तसर साहिब 12-Nov-2018

जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा धान की पराली न जलाने के लिए कृषकों को प्रेरित करने के लिए आरंभ की किए अभियान से प्रभावित होकर बहुत से किसान इस अभियान से जुड़ रहे हैं। ये वातावरण के रक्षक किसान विभिन्न तकनीकों द्वारा पराली को बिना जलाए गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। ऐसा ही एक किसान है रविंद्र सिंह जो के चक दुहे वाला में 8 एकड़ में अपनी जमीन के अतिरिक्त 20 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती करता है। उसने 7 एकड़ में पराली खेत में बिखेर कर उसके ऊपर हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करवाने के लिए हैप्पी सीडर की बुकिंग करवा ली है। जबकि शेष 20 एकड़ में उसने गांठें बनवाई हैं। उसने पिछले साल भी पराली नहीं जलाई थी। वह कहता है कि पराली जलाने से होने वाला धूंआ जहां मनुष्य के लिए घातक बीमारियों का कारण बनता है वहीं इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। उसने हैप्पी सीडर से बिजाई का पहले साल प्रयोग करना है। उसका मानना है कि इस तरह के पराली को भूमि में मिलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। गांव विर्कखेड़ा के किरणदीप सिंह ने शेष खेत में से तो पराली की गांठे बनवाई है पर 2 एकड़ में उसने प्रयोग के तौर पर मलचर चला कर प्लाओ हल से पराली को जमीन में दबा दिया है। 

उसका कहना है कि इस तकनीक से उसका प्रति एकड़ 7 लीटर डीजल ज्यादा खर्च हुआ है पर जो पराली खेत में दबाई गई है बाद में यह खाद में तब्दील होकर इस खर्चे से कहीं ज्यादा लाभ का कारण बनेगी। उसने कहा कि पराली को खेत में दबाने से भूमि में जैविक मादा व अन्य पोषक तत्व बढ़ते हैं और जमीन उपजाऊ होती है और ऐसा करने से पर्यावरण पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं होता है। गांव सेखू के जस्सी बराड ने 15 एकड़ में लगाए परमल धान की पराली को पहले तविओं से जोत दिया उसके बाद दो बार रोटावेटर से खेत में मिला दिया। वह कहते हैं कि अगेते लगाए धान के लिए यह बढिय़ा तकनीक है क्योंकि पराली मिट्टी में जल्दी नष्ट हो जाती है और बढय़िा खाद में तब्दील हो जाती है। दूसरी तरफ जिला कृषि अधिकारी बलजिंदर सिंह बराड़ ने कहा कि पराली को जलाने से सबसे पहले खतरा हमारे गांवों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को होता है। उन्होंने कहा कि इसका खतरनाक धूंआ बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती स्त्रियों के लिए बहुत घातक है। पराली जलाने से जमीन के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और जमीन बंजर होने लगती है। उन्होंने किसानों को आग्रह किया कि वे पराली को आग ना लगाएं बल्कि इससे खेत में बिखेर कर हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई कर दें।