5 Dariya News

डीजीपी अरोड़ा द्वारा ‘रिपोर्ट ऑन पंजाब रोड एक्सीडेंट एंड ट्रैफिक़ 2017’ नामक किताब रिलीज़

रोज़ाना 12 लोगों की सडक़ हादसों में होती है मौत: डा. चौहान एडीजीपी ट्रैफिक, राष्ट्रीय और राजमार्गों पर होती हैं कुल मौतों में से 60 से 67 प्रतिशत मौतें

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चंडीगढ़ 02-Nov-2018

पंजाब के डी.जी.पी सुरेश अरोड़ा ने डा. शरद सत्या चौहान, एडीजीपी ट्रैफिक़ और नवदीप असीजा, ट्रैफिक़ सलाहकार, पंजाब द्वारा संकलित ‘रिपोर्ट ऑन पंजाब रोड एक्सीडेंट एंड ट्रैफिक़ 2017’ नाम की किताब रिलीज़ की जिससे राज्य में सुरक्षित सडक़ यातायात सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है। डा. चौहान और असीजा ने लगातार दूसरे साल राज्य में हुए सडक़ हादसों और ट्रैफिक़ से सम्बन्धित अनुमानों के तथ्यों को प्रकाशित करने में कामयाबी हासिल की है। इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि सडक़ यातायात और हाईवे बारे मंत्रालय द्वारा उक्त विषय पर हर साल राष्ट्रीय स्तर पर एक पुस्तिका रिलीज़ की जाती है परन्तु पंजाब द्वारा अपनी ट्रैफिक़ सम्बन्धी स्थितियों को पूरा करने के लिए अलग तौर पर प्रयास किया गया जिससे सडक़ सुरक्षा प्रबंधों का विश्लेषण किया जा सके। उन्होंने बताया कि सडक़ सुरक्षा का जायज़ा लेने वाली सुप्रीम कोर्ट की समिति की तरफ से भी पंजाब के इस प्रयास की प्रशंसा की गई है। उन्होंने आगे बताया कि यह किताब सभी डिप्टी कमीशनरों /कमिशनर्ज /एसएसपी को उपलब्ध करवाई जायेगी जिससे उनकी तरफ से अपने सम्बन्धित क्षेत्र में सडक़ हादसों बारे जांच की जा सके और जिससे इन हादसों के दौरान हुई मौतों की दर को घटाया जा सके। इसके साथ ही आम जनता, विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं की सुविधा के लिए भी यह किताब ई -बुक्क के रूप में पंजाब पुलिस की वैबसाईट पर उपलब्ध करवाई जायेगी जिससे इसका भरपूर लाभ लिया जा सके।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए डा. शरद सत्या चौहान, एडीजीपी ट्रैफिक़ ने कहा कि पिछले साल सूबे में सडक़ दुर्घटनाओं के दौरान रोज़मर्रा की 12 मौतें दर्ज की गई। उन्होंने आगे कहा कि पिछले सालों के दौरान हुए इन हादसों की फीसद में 12.1 की कमी दर्ज की गई है जोकि मौजूदा दशक के दौरान राज्य की तरफ से दर्ज की गई यह सबसे बड़ी प्राप्ति है। डा. शरद सत्या चौहान ने कहा कि देश की कुल 2.25 फीसद आबादी पंजाब में बसती है परन्तु पिछले पाँच सालों में सडक़ हादसों के दौरान हुई मौतों की कुल फीसद 3.3 से 3.5 है। रोज़ाना राष्ट्रीय और राज मार्गों पर होने वाली कुल मौतों में से 60 से 67 फीसद मौतें होती हैं खुशी से 5.4 फीसद बनता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में सडक़ हादसों में हुई कुल मौतें में से 15 फीसद मौतें लुधियाना, पटियाला, श्री अमृतसर साहिब, बठिंडा, मोहाली और जालंधर जैसे शहरों में होती हैं। एडीजीपी ने कहा कि प्रति दस लाख आबादी के हिसाब में सडक़ मौतों की राष्ट्रीय औसत 119 है जिसकी अपेक्षा पंजाब में हुई मौतों की संख्या 148 है। सूबे के तीन जिले रूपनगर, एसएएस नगर और फतेहगड़ साहिब क्रमवार 1,2,3 स्थान पर आते हैं जहाँ सडक़  हादसों के दौरान हुई मौत की दर समूचे सूबे में होने वाली मौतों की औसत से लगभग दोगुनी है। रिपोर्ट अनुसार साल 2017 के दौरान राज्य में रूपनगर, एस.ए.एस. नगर, फाजिल्का, तरनतारन जिलों को छोड़ कर बाकी 18 जिलोंं में सडक़ दुर्घटनाओं में कमी आई है। इसके अलावा साल 2016 के मुकाबले साल 21017 में सडक़ दुर्घटनाओं में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

डा. चौहान ने बताया कि रिपोर्ट अनुसार पंजाब में ज़्यादातर मौतों का कारण वाहनों की तेज गति था। साल 2017 में तेज़ गति के कारण सडक़ हादसों में कुल 2,363 लोग मारे गए। राज्य में सडक़ दुर्घटनाओं के हादसों के कुल हिस्से में तीन पुलिस कमिश्नरेटों लुधियाना, जालंधर और अमृतसर में दुर्घटनाओं के कारण कुल 462 व्यक्तियों की मौत हुई, जोकि कुल दुर्घटनाओं का 10.4 प्रतिशत है। इन सडक़ दुर्घटनाओं में 75 प्रतिशत लोग 18 से 45 साल की उम्र के थे। इस दौरान 2017 में पड़ोसी राज्य हरियाणा में सडक़ हादसों में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राजस्थान में नामात्र -0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पंजाब में नये मोटर वाहनों का 9-10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है और पिछले साल औसत रोज़मर्रा की 300 नयी कारों और 1700 दोपहिया वाहनों की रजिस्ट्रेशन पंजाब में की गई। मार्च 2017 तक पंजाब में कुल रजिस्टर किये नये वाहनों की संख्या 98,59,742 थी। डा. चौहान ने बताया कि सामाजिक -आर्थिक लागत विश्लेषण के अनुसार पंजाब योजना कमीशन और मंडेल ऐट अल द्वारा बनाई सामाजिक आर्थिक लागत गणना के आधार पर पिछले साल की तुलना में सडक़ दुर्घटनाओं में आई कमी के कारण 620 करोड़ की बचत की है।