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कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा गैलीपोलिस हेलेस और तरकिश यादगार में भारतीयों समेत पहले विश्व युद्ध के सैनिकों को श्रद्धांजलि भेंट

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गैलीपोली (तुर्की) 30-Oct-2018

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीयों समेत राष्ट्रमंडल देशों के सैनिकों को श्रद्धांजलि भेंट करने के लिए ऐतिहासिक विश्व युद्ध-1 हेलेस मेमोरियल का दौरा किया। इन सैनिकों ने गैलीपोली मुहिम के दौरान अपनी जानें न्यौछावर की थी। पहले विश्व युद्ध की समाप्ति की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर मुख्यमंत्री सेयित अली वाबूक की यादगार तुरकिश मेमोरियल में भी गए। सेयित अली वाबूक को आम तौर पर कोरपोरल सेयित के तौर पर जाना जाता है जो कि पहले विश्व युद्ध के दौरान ओटोमैन सेना के गन्नर थे। उसे 18 मार्च, 1915 को डारडैनेलिस के द्वारा इतहादी सेना के द्वारा की गई कोशिश के दौरान एक तोपखाने की टुकड़ी में बारूद के तीन गोले लेकर घुसने के लिए जाना जाता है। कैप्टन अमरिंंदर सिंह ने हेलेस मेमोरियल या कॉमनवैल्थ वार गरेवज़ कमिशन मेमोरियल में कई मिनट गुज़ारे। यह यादगार तुर्की में सेद ऐल बहर के नजदीक है। उन्होंने पंजाब के लोगों द्वारा यादगार में फुलमालाएं भेंट की और कुछ सैनिकों की कब्रों पर फूल अर्पित किये।इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1915-16 के दौरान गैलीपोली मुहिम के दौरान जानें न्यौछावर करने वाले सैनिकों को भी श्रद्धांजलि भेंट की। यह यादगार कॉमनवैल्थ के 20956 सैनिकों की यादगार में बनाई गई है। इन्होंने पहले विश्व युद्ध के दौरान इस इलाके की मुहिम में अपना बलिदान दिया था। ब्रिटिश और इंडियन फोर्सज़ के जिन सैनिकों ने अपनी जानें दी थी, उनके नाम यादगार में उकेरे हुए हैं।विश्व युद्ध के दौरान अपना महान बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को मुख्यमंत्री ने सैल्यूट दिया। उन्होंने अपनी मातृ-भूमि से बहुत दूर इस धरती पर मारे गए और दफनाए गए भारतीय सैनिकों के योगदान की सराहना की। हेलेस मेमोरियल में भी भारतीय सैनिकों के नाम हैं। 

इस जंग में बड़ी संख्या में सिख सैनिक भी मारे गए थे। 29वीं इंडियन इंफैंटरी ब्रिगेड 14वीं फिऱोज़पुर सिख के के साथ सम्बन्धित थी और सूज में 10वीं डिविजऩ का हिस्सा थी। इस ब्रिगेड को इससे अलग कर दिया गया था और यह 29वीं ब्रिटिश इंफैंटरी डिविजऩ के पीछे भेज दी गई थी जिस को बड़ा जानी नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा था। 29वीं इंडियन इंफैंटरी ब्रिगेड जो 14 फिऱोज़पुर सिख के साथ सम्बन्धित थी (बाद में पहली सिख और वर्तमान समय में चार मैकेनाईजड), 1/6वीं गोरखा राइफल (वर्तमान समय यू.के गोरखा ब्रिगेड का हिस्सा) 69 पंजाबी (मौजूदा पहली गार्ड) और 89 पंजाबी (मौजूदा पहली बलूच पाक) इस मुहिम में थे। डिटैचमेंट के समय 1530 सैनिक मारे गए थे और 3413 ज़ख्मी हो गए थे। पहली पटियाला ( अब 15 पंजाब इंडिया) ने करिथीया की तीसरी जंग में हिस्सा लिया था जहाँ इसको समूचे सैनिकों से हाथ धोना पड़ा। इसमें 280 सैनिक मारे गए और 800 से अधिक जख्मी हो गए थे। इससे पहले तुरकिश मेमोरियल में मुख्यमंत्री का गैलीपोली के इस ऐतिहासिक स्थान के चेयरमैन और पूर्व संसद मैंबर इस्माइल केशदीमीर ने स्वागत किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को समुची यादगार दिखाई। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यहां दफनाए गए 60000 तुरकिश सैनिकों को श्रद्धाँजलि भेंट की। युद्ध के 250 दिनों के दौरान 5 लाख लोग मारे गए। इनमें तुरकिश और एहतियाती सैनिकों की संख्या बराबर -बराबर थी। इसके बावजूद एहतियाती सैनिक इस समय के दौरान सिफऱ् 4 किलोमीटर ही आगे बढ़े थे। केशदीमीर ने मुख्यमंत्री को एक मीमैंटो पेश किया जबकि मुख्यमंत्री ने उनको अपनी किताबों का एक सैट भेंट किया जिस में विश्व युद्ध, ऑनर एंड फिडैलिटी भी थी जो भारतीय सैनिकों के योगदान से सम्बन्धित है।मुख्यमंत्री के साथ खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी, एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल और सलाहकार बी.आई.एस चाहल भी उपस्थित थे।