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'मी टू' : पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने पर जोर

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सोनीपत (हरियाणा) 28-Oct-2018

'मी टू' अभियान में कुछ पुरुषों द्वारा अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल उजागर होने और पीड़ितों की अतिसंवेदनशीलता का खुलासा होने पर विशेषज्ञों ने देश में पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया है। यहां ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) में पीड़िताओं की सहायता पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग के पूर्व विशेष प्रतिवेदक और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) चमन लाल ने कहा, "हम हमेशा आलोचना करते हैं कि हमारे पास शिष्टाचार नहीं हैं, जो पीड़ितों के प्रति चिंता दिखाती हों क्योंकि पीड़िता के हित को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है।" जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंस (जिब्स) के सेंटर फॉर विक्टीमोलॉजी एंड साइकोलॉजिक स्टडीज (सीवीपीएस) ने सप्ताहांत पर इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया है। सम्मेलन का उद्धघाटन करने के बाद पूर्व डीजीपी ने कहा, "विक्टीमोलॉजी और पीड़ित अधिकार जैसी चीजें हमारे देश में हाल ही में शुरू हुई हैं। यह सम्मेलन इन मुद्दों पर चर्चा और समाधान निकालने की ओर कैसे कार्य करे, इसके लिए एक अच्छा मंच है।"

सम्मेलन में पीड़ितों की सहायता : पीड़ितों के अधिकार एवं आपराधिक न्याय प्रणाली, परिवार के भीतर हिंसा : सेक्स, लिंग व लैंगिकता, गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका : महिलाओं व बच्चों के साथ हिंसा, मीडिया एवं साइबर विक्टीमाइजेश्न : मानव तस्करी और प्रवासियों का विक्टीमाइजेशन जैसे कई मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। जेजीयू के कुलपति प्रोफेसर सी. राज कुमार ने कहा, "शिक्षा क्षेत्र में विक्टीमोलॉजी की जागरूकता को बढ़ाना होगा, कई क्षेत्र और संस्थान इस तरह की घटना का सामना कर रहे हैं।" विशेषज्ञों ने कहा, "आज के समय में हिंसा और अपराध से पूर्ण विक्टीमोलॉजी न केवल नागिरकों को व्यवहार के बारे में शिक्षित करने का एक प्रबल औजार बन गई है बल्कि यह आपराधिक न्याय, कानून प्रवर्तन और पीड़ितों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कार्य कर रहे लोगों की भी मदद कर रही है।"जेजीयू ने एक बयान में कहा, "सम्मेलन में दुनिया भर से आए प्रसिद्ध व्यवहार वैज्ञानिकों, विक्टीमोलॉजी और मनोवैज्ञानिक अध्ययन के विद्धानों ने 70 पेपर प्रस्तुत किए।"