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पदमश्री सुभाष पालेकर ने किया शून्य लागत प्राकृतिक खेती के अंतर्गत किसान प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ

5 Dariya News (मनोज रतन)

पालमपुर 30-Sep-2018

कृषि ऋषि पद्मश्री सुभाष पालेकर ने आज कांगड़ा जिले के पालमपुर में कृषि विभाग द्वारा शून्य लागत प्राकृतिक खेती के अंतर्गत ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ के तहत आयोजित छः दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ किया। इस शिविर में कांगड़ा, चम्बा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर तथा मंडी जिलों के 1000 कृषि, उद्यान, टी बोर्ड तथा पशु पालन विभाग के अधिकारियों तथा किसानों व बागवानों ने भाग लिया।शुन्य बजट-प्राकृतिक कृषि के प्रवर्तक पदमश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि आज देश में किसान जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उन सबका निदान प्राकृतिक कृषि में ही निहित है। उन्होंने कहा कि ‘‘शून्य बजट-प्राकृतिक खेती’’ ऐसी तकनीक है जिसमें खेती करने के लिए न किसी रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया जाता है और न ही बाजार से कीटनाशक दवाएं खरीदने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को शून्य बजट-प्राकृतिक खेती पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।पालेकर ने कहा कि रासायनिक तथा जैविक खेती का पुराना चलन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उचित नहीं है। जहां तक रासायनिक खेती का सवाल है, इसके द्वारा उत्पादित फसल व उत्पाद विषैले तथा हानिकारक होने के साथ-साथ मंहगे भी हैं। इसी प्रकार जैविक खेती की लागत अधिक है तथा इससे मिट्टी में मौजूद आवश्यक तत्वों का अत्यधिक उपयोग होता है इसीलिए शून्य लागत प्राकृतिक खेती ही राज्य में खेती का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को प्राकृतिक खेती से ही कम किया जा सकता है।पालेकर ने कहा कि रासायनिक खेती में अधिक लागत आती है और इससे खेत खराब होते हैं और मानव, पशुओं तथा पर्यावरण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से शुरू में उत्पादन बढ़ता है लेकिन कुछ वर्षों बाद उत्पादन में गिरावट आने लगती है जबकि प्राकृतिक खेती में उत्पादन लगातार बढ़ता है, फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और खेती की लागत कम होती है। इस पद्धति का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की यह पद्धति दिन प्रतिदिन लोकप्रिय हो रही है।उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती राष्ट्र को कृषि क्षेत्र में स्वयं निर्भर बनाने का बेहतर विकल्प है तथा प्राकृतिक खेती के उत्पाद न केवल स्वस्थ जीवन जीने में सहायक होते हैं बल्कि पर्यावरण मित्र भी हैं।

पालेकर ने कहा कि किसानों को बचाने तथा उनकी आय को दोगुणा करने का एकमात्र उपाय शून्य लागत प्राकृतिक खेती है। इस खेती के अंतर्गत किसानों को एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा बल्कि उन्हें बंजर भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने, पानी का न्यूनतम उपयोग करने, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद तैयार करने तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए किसानों से भारतीय नस्ल की गाय को पालने तथा उसके गोबर को खेतों में प्रयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने का कि यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि जिन पांच राज्यों ने इस तकनीक हो अपनाया है उनमें हिमाचल प्रदेश भी एक है।प्रधान सचिव(कृषि) ओंकार शर्मा ने पदमश्री सुभाष पालेकर का स्वागत किया तथा मुख्यमंत्री द्वारा आरम्भ की गई नई योजना ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ के अंतर्गत आयोजित शिविर का शुभारम्भ करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि योजना के अन्तर्गत किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक तथा प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि कई अन्य मायनों में भी सुरक्षित है। इसलिए राज्य सरकार ने इस ओर कार्य आरम्भ कर दिया है तथा प्रदेश के किसानों के हित के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी किया गया है।इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो.अशोक सरयाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में भविष्य में शोध कार्य और अधिक किसान केन्द्रित होंगे। उन्होंने कहा कि शोध में लावारिस पशुओं, रसायनों के दुष्प्रभावों को कम करने तथा शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर बल दिया जा रहा है।शून्य लागत प्राकृतिक खेती के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने कहा कि परियोजना के तहत प्रदेश में ऐसे और शिविर भी आयोजित करेंगे ताकि और अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि कृषि की इस प्रणाली को प्रदेश में व्यापक रूप से कार्यान्वित करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि यह किसानों की आर्थिकी से जुड़ा है।निदेशक कृषि डॉ. देस राज शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।इस अवसर पर संयुक्त सचिव नरेश ठाकुर, संयुक्त निदेशक(नोडल अधिकारी) डॉ.एनके बधान, उप निदेशक कृषि नरेश कुमार धिमान, परियोजना निदेशक(आत्मा)बिन्ता सूद, भू-संरक्षण अधिकारी राहूल कटोच सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा प्रगतिशील किसानों व बागवानों ने शिविर में भाग लिया।