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राष्ट्रीय किसान मोर्चा अंधी और बहरी हो चुकी केंद्रीय सरकार तक पहुंचाना चाहती है मजबूर किसानों की आवाज : ओम प्रकाश धनखड़

7 फरवरी को देश व्यापी रेल रोको

5 दरिया न्यूज

चंडीगढ़ 03-Feb-2014

देश के किसानों की पटरी से उतरी हुई जिंदगी की वजह से सभी किसान आखिरकार पटरी पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। किसान मोर्चा भारतीय जनता पार्टी आने वाली 7 फरवरी को 'किसान आक्रोश दिवस के रूप में मनाने को पूरी तरह तैयार है। किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि देश भर के किसान पटरी पर प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं। गत वर्षों में कांग्रेसी सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों ने 1 लाख 45 हजार किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया है। इन्हीं नीतियों को बदलने के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के माध्यम से पूरे देश का ध्यान आ$कृषट करना चाहेंगे। 

आज यहां किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनीत जोशी, राष्ट्रीय मंत्री सुखमिन्द्र ग्रेवाल, प्रदेशाध्यक्ष किसान मोर्चा हरियाणा महिपाल ढांडा, जतिन्द्र ङ्क्षसह अटवाल पंजाब, चंडीगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष बलजीत ङ्क्षसह सिद्धू, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा. संजय शर्मा, पंजाब के महामंत्री अश्वनी राणा कि हाजिरी में प्रैस से बातचीत करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि मैं देश के किसान व समस्त किसान संगठनों को इस किसान आक्रोश में शामिल होने के लिए निवेदन करता हूं। हम यह कतई नहीं चाहते कि यात्री भाइयों को किसी भी तरह की असुविधा हो पर पर हमारे पास बस दो ही रास्ते हैं- या तो यूं ही मरते रहें या पूरे देश को अपना दर्द सुनाएं। श्री धनखड़ ने यह भी बताया कि गत 7 वर्षों में हम बार-बार लोकतांत्रिक तरीके से धरना-प्रदर्शन, पद यात्रा, ज्ञापन व मांग पत्रों के माध्यम से सरकार से बार-बर निवेदन कर चुके हैं, उन्हें चेता चुके हैं, प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री के घर तक जा चुके हैं। पर सरकार तो जैसे किसानों के लिए पत्थर ही बन गई है। 

सरकार आज भी 50 साल पहले तय किए गए फॉर्मूले से फसलों के दाम तय कर रही है। स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाया लाभकारी मूल्य का फॉर्मूला सात साल से ठंडे बस्ते में डाल कर रखा हुआ है। अब तो फसलें सिर्फ घाटे का सौदा बनकर रह गई हैं। किसान की सारी इनपुट खुले बाजार के हवाले है। महंगे बीज, पेस्टीसाइड, डीजल व बिजली के दाम खेती की लागत को लगातार बढ़ा रहे हैं। हमारी यही मांग है कि किसान के दाम यानी समर्थन मूल्य को सरकार 50 फीसदी मुनाफे के साथ तय करे। इसी समस्या की वजह से हर रोज हजारों-लाखों किसान ऋण जाल में फंसते चले जा रहे हैं। कुर्की के नोटिस आ रहे हैं, कोई किडनी बेचने को मजबूर है। बैंक वैसे भी पैकेज डकार चुके हैं जो किसानों की कर्ज माफी के लिए बनाए गए थे। खेती के घाटे का सौदा होने के कारण से अब कोई भी खेती करने को तैयार नहीं और चपरासी, चौकीदार बनने को खुशी से तैयार हैं। एक तरफ कर्मचारियों के लिए 7 वेतन आयोग लागू हुए हैं, दूसरी ओर किसानों के लिए एक भी आयोग की सिफारिश लागू नहीं हुई।

ये होंगे किसान आक्रोश दिवस के मुद्दे:

स्वामीनाथन कमीशन की 50 फीसदी लाभांश के साथ लाभकारी मूल्य की सिफारिश तुरंत प्रभाव से लागू करो।

जोखिम प्रबंधन की 10,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की मुख्यमंत्रियों की कमेटी की सिफारिश क्रियान्वित करो। कृषि बीमा योजना लागू करो।

मिश्रित खादों के बढ़े हुए दाम वापस लो। किसानों को सस्ते इनपुट उपलब्ध करवाओ।

नदी जोड़कर, जल संरक्षण व टपका सिंचाई से हर खेत को पानी दो।

एक वर्ष के लिए मध्य प्रदेश की तर्ज पर ब्याज रहित पूंजी उपलब्ध करवाओ।

डी-नोटिफाई हो रहे स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन (एसईज़ेड) की जमीनें किसानों को वापस दो, यदि किसान प्राप्त पैसे वापस न कर पाए तो अगली सेल पर लाभांश में हिस्सा दो।

अभी पाला व औलों से प्रभावित किसानों को 10,000 रुपए प्रमि एकड़ तुरंत मुआवजा दो।

रबि की फसल बचाने के लिए किसानों को कम से कम दिन में आठ घंटे बिजली दो।

हमारी मांगों का कृपया समर्थन करें, अन्यथा इस किसान विरोधी सरकार को भारत से विदाई दो।