5 Dariya News

देश के एकसमान विकास और एकता के लिए ग्रामीण-शहरी अंतर को समाप्‍त करना अतिमहत्‍वपूर्ण : एम. वेंकैया नायडू

उप-राष्‍ट्रपति परम आदरणीय जगदगुरु श्री शिवरात्रि राजेन्‍द्र महास्‍वामीजी के 103वीं जयंती समारोह में शामिल हुए

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मैसूरू 28-Aug-2018

उप-राष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश के एकसमान विकास और एकता के लिए ग्रामीण-शहरी अंतर को समाप्‍त करना अतिमहत्‍वपूर्ण है। वे आज मैसूरू में परम आदरणीय जगदगुरु श्री शिवरात्रि‍ राजेन्‍द्र महास्‍वामीजी के 103वीं जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने पवित्र स्‍थान सुतुर में गुरुकुल के नए भवन का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री श्री एच. डी. कुमारस्‍वामी तथा अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्ति उपस्थित थे।परम आदरणीय जगदगुरु श्री शिवरात्रि राजेन्‍द्र महास्‍वामीजी को असाधारण दूरदर्शी बताते हुए उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि वे सही अर्थ में गुरु थे और समय से आगे सोचते थे। वे ऐसे भारत का सपना देखते थे जो विरासत में समृद्ध हो और भौतिक विलासिता में निर्धन हो।उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि सुतुर श्रीक्षेत्र जैसे मठ आध्‍यात्मिकता के प्रति निरंतर कार्यरत हैं और अत्‍यधिक योगदान दे रहे हैं। उन्‍होंने ग्रामीण कर्नाटक में लोगों को शिक्षा व स्‍वास्‍थ्‍य  सुविधा प्रदान करने के लिए मठ की सराहना की और कहा कि लोगों को सुविधाएं और सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए स्‍वयंसेवी संगठनों तथा निजी क्षेत्र को सरकार के प्रयासों में सहायता प्रदान करनी चा‍हि‍ए।उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि गुरुकुल व्‍यवस्‍था, गुरु और शिष्‍य के बीच के असाधारण संबंध को दर्शाती है तथा कोई भी अन्‍य संस्‍कृति गुरु शिष्‍य परंपरा को इतना महत्‍व नहीं देती जितना हम भारतीय इस परंपरा को देते हैं। यह भारत की सबसे अनूठी व प्राचीन परंपराओं में से एक है और इसमें गुरु को भगवान समझा जाता है। गुरु को माता-पिता के बाद सर्वोच्‍च सम्‍मान प्रदान किया जाता है।उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि गुरु से शिक्षा प्राप्‍त करना तपस्‍या के समान है। उन्‍होंने कहा कि प्राचीन गुरुकुल प्रणाली की देश में पुन: शुरुआत की जानी चाहि‍ए तथा एनजीओ व निजी क्षेत्र को गुरुकुलों की स्‍थापना के लिए आगे आना चा‍हि‍ए। शिक्षा में ग्रामीण भारत को बदलने की क्षमता है तथा विकास ऐसा होना चा‍हि‍ए जो ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बना सके।उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि कृषि हमारी मूलभूत संस्‍कृति है और यह हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है। हमें ऐसे कदम उठाने चा‍हि‍ए जिससे कृषि, आर्थिक दृष्टि से लाभकारी बने। हमें किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सम्मिलित प्रयास करने चा‍हि‍ए‍।