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अध्यक्ष महोदया, यह कैसी विडंबना है, किसान का दूध 35 रुपए और कंपनी का पानी 180 रुपए लीटर बिकता है देश में : दुष्यंत चौटाला

दुष्यंत ने मूल्यों में अंतर पाटने के लिए कानून बनाने की मांग

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नई दिल्ली 10-Aug-2018

अध्यक्ष महोदया, यह कैसी विडंबना है कि एक किसान अपने पशु का दूध बेचने मार्केट में जाता है तो उसे कीमत 35 रुपए प्रति लीटर से अधिक नहीं मिलती है और एक कंपनी अपना एक लीटर पानी भी 180 रुपए में बेच देती है। ये शब्द आज लोकसभा में इनेलो संसदीय दल के नेता व हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहे। वे शुक्रवार को लोकसभा में श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दूध व पानी की कीमतों में असमानता को पाटने के लिए देश में कानून बनना चाहिए जिससे कि श्वेत क्रांति को गति और किसानों की आय बढ़े। उन्होंने पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपए प्रति लीटर करने की मांग भी लोकसभा में की। इनेलो संसदीय दल के नेता व हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला शुक्रवार को श्वेत क्रांति की ओर सरकार का ध्यान दिलवाते हुए कहा कि हिसार लोकसभा क्षेत्र की मुर्राह नस्ल की भैंस विश्व भर में प्रसिद्ध है। मुर्राह नस्ल की भैंस का देश की श्वेत क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पर अफसोस की बात यह है कि जो किसान या पशुपालक के दूध की कीमत मार्केट में 30 से 35 रूपये प्रति लीटर तक लगाई जाती है जबकि विदेशी कंपनी के नाम पर पानी देश में 180 रूपये प्रति लीटर तक बिक रहा है। दुष्यंत चौटाला ने केंद्र सरकार से मांग की कि किसानों की अपनी आय का वैकल्पिक स्त्रोत अपनाने के लिए श्वेत क्रांति के लिए कानून लाना चाहिए और जिस प्रकार से किसानों ने श्वेत क्रांति लाने में अपना योगदान दिया है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार को दूध का न्यूतनम समर्थन मूल्य 40 रूपये प्रति लीटर तय करे। इससे देश में दुग्ध उद्योग को एक नई गति मिलेगी। उन्होंने यह भी मांग की कि जो कंपनी देश में पानी को 180 रूपये लीटर बेच रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित करे। इससे पहले सांसद दुष्यंत चौटाला ने सरकार द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों और लैब सहायकों को डिग्री की अनिवार्यता को लेकर दिए गए नोटिस का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि सरकार के पास ऐसे लोगों के लिए भी क्या स्किलिंग की क्या योजना है जो पिछले कई वर्षों से तकनीकी अथवा प्रयोगशाला सहायक के रूप में स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनके पास कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है।