5 Dariya News

तर्कशीलों ने सरकारी लाइब्रेरी को भेंट की 88 प्रसिद्ध पुस्तकें

पाठकों के दिमागों में जलायेंगी वैज्ञानिक सोच का दीया

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एस.ए.एस. नगर (मोहाली) 06-Aug-2018

लोगों तक प्रगतिशील साहित्य पहुंचने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए तर्कशील सोसाइटी पंजाब ने सरकारी ज़िला पब्लिक लाइब्रेरी फेज 4 मोहाली को हिंदी, पंजाबी ओर अंग्रेज़ी की 88 किताबें भेंट की। इन में 72 पंजाबी, 13 अंग्रेज़ी और 3 हिंदी की किताबें शामिल हैं। इन पुस्तकों में 50 तर्कशील पुस्तकें भी शामिल की गई है जो पाठकों की सोच को वैज्ञानिक बनाने में सक्षम हैं। आज इकाई मोहाली के सदस्यों ने यह साहित्य लाइब्रेरियन  भूपिंदर कौर को भेंट किया। तर्कशील नेता जरनैल क्रांति ने बताया कि सभी किताबें सोसाइटी और समर्थकों की तरफ से बिना किसी शुल्क के प्रदान की गईं हैं और सोसाइटी का यह उद्देश्य है कि लोगों तक ज़्यादा से ज़्यादा साहित्य पहुंचना चाहिए। तर्कशील यूनिट मोहाली के मुखी लेक्चरार सुरजीत सिंह ने बताया कि दिए गए साहित्य में मशहूर पुस्तकें जैसे मैक्सिम गोर्की का उपन्यास 'मां', डॉ इब्राहीन टी कावूर की ''ते देव पुरष हार गए', शहीद भगत के लेखों का संग्रैह 'मैं नास्तिक क्यों ?', डॉ मेवा सिंह की पुस्तक 'भागति ते शुद्र', गुलज़ार संधू दी '25 मुल्क, 75 गल्लां', जंग बहादुर गोयल दुआरा संपादित 'विश्व साहित्य दे शाहकार नावल', अमरजीत चंदन दुआरा संपादित 'पाश दीयां चिठियाँ', डॉ श्याम सुंदर दीप्ती की 'नोजवान ते सेक्स समस्यावां', राम स्वर्ण लखेवाली दुआरा संपादित 'ते फिर अग्ग लग्नो बंद हो गयी' शामिल की गईं हैं। सरकारी ज़िला पब्लिक लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन श्रीमती भूपिंदर कौर ने तर्कशील सोसाइटी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा के यह साहित्य अपने उद्देश्य में कामयाब होगा और लोगों का सोचने का तरीका वैज्ञानिक बनाते हुए उनको साहित्य से भी जोड़ेगा। इस मौके गोरा होशियारपुरी, श्रीमती समिति वशिष्य, सहायक, हरपाल सिंह पंजाबी टीचर वाई पी एस स्कूल, चरनजीत कौर, शमशेर सिंह, हरप्रीत शामिल थे।