5 Dariya News

जलवायु परिवर्तन से निपटने विकासशील देशों को मदद की दरकार : भारत

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नई दिल्ली 22-Jun-2018

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को विकसित देशों को उनकी प्रतिबद्धता की याद दिलाते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से निपटने के लिए विकासशील देशों को मदद की दरकार है। जलवायु परिवर्तन के मसले पर ब्रसेल्स में आयोजित यूरोपीय संघ के उच्चस्तरीय कार्यक्रम में सुषमा स्वराज ने कहा कि विकसित देशों की राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को मूर्त पहल व परियोजना के रूप में परिवर्तित करने की उनकी क्षमता में अभिरुचि, स्थाई व पर्याप्त वित्त और प्रौद्योगिकी का अभाव रुकावट पैदा करता है। उन्होंने कहा, पेरिस समझौता या 2030 के एजेंडा को महत्वाकांक्षी व प्रभावी तरीके से हासिल करने के लिए जरूरी संसाधन का पैमान बहुत बड़ा है। सुषमा स्वराज ने कहा, इन प्रक्रियाओं में वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता है, जोकि इसके लिए प्रस्तावित समाधानों के केंद्र में है।

ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते के तहत जलवायु संबंधी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए विकसित देशों को 2020 से विकासशील देशों की मदद के लिए कम से कम 100 अरब डॉलर की रकम देनी होगी। यह रकम विकासशील देशों को उनके राष्ट्रीय निर्धारित योगदान को पूरा करने के लिए प्रदान करना जरूरी है। भारत को अपने जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2030 तक कम से कम 2,500 अरब डॉलर की रकम की दरकार है। हाल ही में सरकार ने बताया कि उनकी दो परियोजनाओं को 13.44 करोड़ डॉलर विश्व जलवायु कोष (जीसीएफ) से मिला है। सुषमा स्वराज ने कहा, अगर हमें पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को हासिल करना है तो धन और प्रौद्योगिकी के लिए दुनिया में एक समान योजना की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, इसके बिना विकासशील देशों को अपने मौजूदा राष्ट्रीय निर्धारित योगदान लक्ष्य को हासिल करने में गंभीर व्यवधान का सामना करना पड़ेगा। उनसे किसी भी प्रकार की आकांक्षा बढ़ाने के लिए उनकी मदद में बढ़ोतरी करनी होगी।