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कर्नाटक चुनाव : वरुणा सीट पर कांग्रेस के यतींद्र का मुकाबला थोटाडप्पा से

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नई दिल्ली 02-May-2018

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। एक तरफ जहां राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने अपनी पिछली सीटों पर किलेबंदी शुरू कर दी है, तो वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उसमें सेंध लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जहां अपनी दो बार की जीती हुई वरुणा सीट अपने बेटे को सौंपकर दूसरे निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने का फैसला किया है, वहीं भाजपा इसे परिवारवाद बताकर सरकार पर निशाना साध रही है। कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र संख्या-219 वरुणा विधानसभा क्षेत्र। मैसूर जिले के अंतर्गत आने वाला वरुणा विधानसभा क्षेत्र में पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2008 में हुआ था। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बाजी मारी थी। दरअसल मार्च 2007 में न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता वाले भारतीय परिसीमन आयोग (डीसीआई) ने बन्नूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को खत्म कर वरुणा विधानसभा क्षेत्र के गठन को मंजूरी दी थी, जिसका कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया था।

डीसीआई ने इसे 23 मार्च, 2007 को भारत के राजपत्र और कर्नाटक राजपत्र राज्य में भी प्रकाशित किया था।वर्ष 2008 में हुए विधानसभा सभा चुनाव में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया (71,908) ने भाजपा उम्मीदवार एल. रवीनसिद्धैया ( 53,071 प्राप्त मत) को 18,837 मतों के भारी अंतर से धूल चटाई थी। वहीं 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में सिद्धारमैया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कर्नाटक जनता पक्ष (केजीपी) के उम्मीदवार कापू सिद्धा लिंग्स्वामी को 29,641 मतों के भारी अंतर से हराया था। सिद्धारमैया ने यहां 84,385 वोट हासिल किए थे।2013 में राज्य की कमान संभालने वाले सिद्धारमैया ने अपने बड़े बेटे राकेश सिद्धारमैया को राजनीति में लाने की इच्छा जताई थी, लेकिन पिछले साल जुलाई माह में निधन हो जाने के कारण उनके छोटे बेटे यतींद्र सिद्धारमैया को विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की कमान सौंपी गई। राज्य सरकार ने पेशे से चिकित्सक यतींद्र को वरुणा विधानसभा क्षेत्र की सतर्कता समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया और उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों की निगरानी करने के लिए सशक्त बनाया गया।

वहीं विपक्षी भाजपा ने थोटाडप्पा बस्वाराजू को सिद्दारमैया के बेटे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। 56 वर्षीय थोटाडप्पा बस्वाराजू लिंगायत समुदाय से हैं और 1980 से भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं। टी. नरसिंहपुर के रहने वाले बस्वाराजू क्षेत्र में ‘थोटाडप्पा होम नेस्ट’ नाम के एक होटल का मालिक हैं।वरुणा सीट पर पहले पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे और भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव बी.वाई. विजयेंद्र को यहां से टिकट दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन आलाकमान ने उनका टिकट काटकर बस्वाराजू को दे दिया, जिससे पार्टी के भीतर आतंरिक कलह पैदा हो गया।टिकट काटे जाने पर विजयेंद्र ने कहा, “पार्टी ने वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं दिया, लेकिन मैं निराश नहीं हूं। पार्टी ने मुझे बलि का बकरा नहीं बनाया है।”उन्होंने कहा कि वह पार्टी के फैसले का पालन करेंगे और वरुणा में पार्टी उम्मीदवार के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने वर्षों से पार्टी के लिए काम किया है। मैंने 20 दिन पहले वरुणा में अपना काम शुरू कर दिया है।”

इनके अलावा चुनाव मैदान में जनता दल (सेक्युलर) के अभिषेक एस. मानेगर, कनार्टक जनता पक्ष के उमेश सी., इंडियन न्यू कांग्रेस पार्टी के गुरुलिंघैया, समाजवादी पार्टी की निर्मला कुमारी समेता 16 अन्य विभिन्न क्षेत्रीय दलों और बतौर निर्दलीय उतरे हैं।वरुणा विधानसभा क्षेत्र पर एक तरफ जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र के सामने अपने पिता की सीट को बचाने का दबाव होगा तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा के बेटे को टिकट नहीं मिलने के कारण प्रत्याशी के रूप में उभरे थोटाडप्पा बस्वाराजू पर खुद को साबित करने का भार।ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन पहले ही जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है, जिससे मुस्लिम वोटों के कटने की आशंका भी दोनों पार्टियों को सता रही है। ऐसे में 23 उम्मीदवारों के मैदान में होने से वरुणा विधानसभा सीट पर मुकाबला कांटे का हो गया है। कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 मई को मतदान होगा और मतों की गणना 15 मई को होगी।