5 Dariya News

पंजाब में फसलों के अवशेष जलाने की समस्या के निपटारे हेतु संबंधत पक्षों द्वारा पहल संबंधी एक दिवसीय वर्कशाप

पंजाब में पराली जलाने को नकेल डालने के लिए किसानों को और विकल्प दिए जाएं- वी.पी. सिंह बदनौर

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चंडीगढ़ 27-Apr-2018

पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक श्री वी.पी. सिंह बदनौर ने कहा है कि यदि हम पंजाब में फसलों जलाने के मुद्दों के साथ नजीठना चाहते हैं तो हमें इस संबंधी अहम कदम उठाने की ज़रूरत है।आज चंडीगढ़ में पंजाब में फसलों के अवशेष जलाने की समस्या के निपटारे हेतु संबंधित पक्षों द्वारा पहल पर एक दिवसीय वर्कशाप के मौके पर संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि किसानों को परिवर्तनी ढंग-तरीके अपनाने के प्रोत्साहन देने की सख्त ज़रूरत है जिससे धान के अवशेष को जलाने की बजाय इसका सभ्यक ढंग के साथ निपटारा यकीनी बनाया जा सके। उन्होंने धान की पराली जलाने से होने वाले वातावरण पर पडऩे वाले खतरे संबंधी चिंता भी व्यक्त की और यह भी कहा कि इसके साथ न सिफऱ् लोगों के स्वास्थ्य को नुक्सान हुआ है बल्कि पंजाब की मिट्टी के जैविक तत्वों को बहुत नुक्सान हुआ है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अब पंजाब में बड़े स्तर पर बाग़बानी, फलों की पैदावार और खुम्बों की काश्त को प्रौत्साहन दिए जाने की ज़रूरत है जिससे राज्य में रिवायती धान की फ़सल-गेहूँ के फ़सली चक्कर में से बाहर निकला जा सके।श्री बदनौर ने किसानों में सार्वजनिक स्तर पर जागरूकता पैदा करने और उपलब्ध तकनीकें को सस्ते भाव पर मुहैया करवाने के साथ-साथ व्यापक रणनीति तैयार करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कृषि की नयी तकनीकों संबंधी मुकम्मल जानकारी रखने के लिए पंजाब के किसानों की सराहना की। उन्होंने ख़ास तौर पर पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की पंजाब के किसानों के साथ नज़दीकी संपर्क रखने और उनको समय-समय पर ज़रुरी सुझाव देने के लिए सराहना भी की। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहन देने पर ज़ोर भी दिया जिन्होंने फसलों के अवशेष न जला कर अन्य विकल्प को अपनाया। राज्यपाल ने सम्बन्धित अधिकारियों की टीम के साथ किसानों को फसलों के अवशेष को न जलाने और अधिक ठोस हल अपनाने सम्बन्धित जानकारी देने और उत्साहित करने के लिए प्रत्येक जिले का दौरा करने की पेशकश भी की।

मुख्यमंत्री पंजाब के मुख्य प्रमुख सचिव श्री सुरेश कुमार ने इस मौके पर खुलासा करते हुए कहा कि पंजाब सरकार राज्य में फ़सली अवशेष को जलाने से रोकने संबंधी तत्काल कार्यवाही की योजना बनाने के लिए एक राज्य स्तरीय सलाहकार गुप का गठन भी करेगी और राज्यपाल पंजाब को इसका सरप्रस्त बनने की अपील की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंधी राज्य स्तरीय सलाहकार गुप के फ़ैसलों को व्यावहारिक रूप देने के लिए तकनीकी वर्क फोर्स का छोटा सा गुप भी बनाया जायेगा। उन्होंने वर्कशाप में शामिल कृषि माहिरों को धान की फ़सल अवशेष में से सिलिका की दर को घटाने और इसको पशुओं के खाने के अनुकूल बनाने के लिए काम करने के लिए भी कहा। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य जहाँ पशुओं के चारों की कमी है, को कम कीमत पर चारा दिया जा सकता है।उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान धान की पराली के प्रंबधन की नई तकनीकों संबंधी नवयुवकों को जागरूक करें। श्री सुरेश कुमार ने आगे बोलते हुये कहा कि राज्य में किसानों को विभिन्नता प्रंबधन अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। जिससे राज्य में पराली जलाने के लिए मशीनों को इस्तेमाल भी होगा और इसलिए किसानों को कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नही पड़ेगा।विधायक श्री कुलजीत सिंह नागरा ने बोलते यह सुझाव दिया कि पंजाब में भूमि जांच वाली और प्रयोगशाला खोले जाने की ज़रूरत है और सरकार की तरफ से तैयार की रणनीतियां और योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावशाली तरीकों से लागू किया जाये।वर्कशाप में हिस्सा लेने वालों में विधायक श्री कुलजीत सिंह नांगरा , डब्लयू डब्यलू एफ के एसजी और सीईओ श्री रवि सिंह , टाटा ट्रस्ट को प्रोग्राम डायरैक्टर श्री अरूण पांधी, पंजाब स्टेट फार्मज कमीशन के चेयरमैन श्री अजयवीर जाखड़, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना के उपकुलपति डा. बीएस ढिल्लों, पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड के चेयरमेन श्री काहन सिंह पन्नू , कृषि कमिश्रर डा. बलविन्द्र सिंह सिद्धू सहित पंजाब सरकार के और भी सीनियर अधिकारी शामिल थे।