5 Dariya News

क्षेत्रीय भाषाओं को बढावा देने के लिए चितकारा यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरु

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चंडीगढ 24-Apr-2018

क्षेत्रीय भाषाएं पंजाबी व हिंदी, को बढावा देने के लिए चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब में आज से पांच दिनों का इंटरनेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरु किया गया। यूरोपियन यूनियन के इरेमस प्लस (यूरोपीय संघ द्वारा चलाये जा रहे शिक्षा के लिए कार्यक्रम ) की इस पहल को (कंटेंट लैंग्वेज इंटीग्रेटेड लर्निंग) सी.एल.आई.एल इंडिया इनिशिएटिव की तरफ से आयोजित किया जा रहा है।  डिपार्टमेंट आफ फारेन लैंग्वेज एंड लिटरेचर यूनिवर्सिटी आफ मिलान के डाक्टर लुसियाना पेंड्राजनी व डाक्टर एंड्रिया नावा ने आज इस वर्कशाप का संचालन किया गया।चंडीगढ कमीशन फार प्रोटेक्शन चाइल्ड राइट्स की चेयरपर्सन हरजिंदर कौर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल रही । प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए हरजिंदर कौर ने पंजाब में बहुभाषीय चरित्र के बारे में सबको विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों में प्रोफेशनल स्किल्स विकसित करने के लिए निर्देश का माध्यम बन रही केवल एक ही भाषा - अंग्रेजी के प्रयोग पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा की यह एक मुख्य कारण है की अन्य क्षेत्रीय भाषओं के विकास पर एक अंकुश लग गया है । उन्होंने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय भाषाओं के लिए जगह प्रदान करने के लिए पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में संशोधन की जरूरत है। अपने निष्कर्ष में उन्होंने साझा किया कि क्षेत्रीय भाषाओँ को किसी पर थोपने की जगह हमें इससे प्यार करना चाहिये।

सीएलआईएल इंडिया इनिशिएटिव की कोआर्डिनेटर व मनीपाल एकेडमी आफ हायर एजुकेशन की डिपार्टमेंट आफ यूरोपियन स्टडीज की हैड प्रोफेसर नीता इनामदार भी इस मौके पर मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद थीं। प्रोफेसर नीता इनामदार ने सीएलआईएल इंडिया के बारे में सबको बताया। भारत में उच्च शिक्षा में विभिन्न विषयों में पाठ्य पुस्तकों का बड़े पैमाने पर अंग्रेजी भाषा में हो रहे प्रकाशन पर उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने जर्मनी के साथ परिदृश्य की तुलना की, जहां अपनी भाषा को संरक्षित करने के लिए; कक्षाओं में शिक्षा का माध्यम उनकी मातृभाषा है। उन्होंने प्रकाश डाला कि चूंकि भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है, इसलिए यूरोपीय सीएलआईएल मॉडल को नहीं अपनाया जा सकता और  इसलिए, भारत में क्षेत्रीय भाषाओं की रक्षा के लिए सीएलआईएल @ भारत बचाव के रूप में कार्य करेगा है।छात्र के रूप में अपने अनुभव के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए चितकारा यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डाक्टर मधु चितकारा ने बहुभाषीयता के फायदे बताए। उन्होने कहा है कि बहुभाषीयता ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क बनाने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढी मातृभाषा से दूर होती जा रही है जबकि मातृभाषा का अपना ही एक महत्व है। उन्होंने कहा कि इसलिए इस दूरी को कम करने के लिए जरूरी है कि पाठ्यक्रम को क्षेत्रीय भाषाओं में भी तैयार करना चाहिए क्योंकि इससे छात्रों पर बेहतर प्रभाव पडता है। पांच दिनों तक चलने वाली इस वर्कशाप में शुरू में दो दिनों तक प्रतिभागियों के बीच में आपसी विचार विमर्श किया जाएगा, वर्कशाप के तीसरे दिन में हिस्सा लेने वालों को चितकारा इंटरनेशनल स्कूल का दौरा कराया जाएगा और चौथे दिन सीएलआईएल लेसन प्लान व पढाने की नई विधियों को तैयार किया जाएगा। पांचवे दिन सीएलआईएल क्लास का असेसमेंट कराया जाएगा।  वर्कशाप की सबसे अहम बात यह है कि इसका प्रसारण रेडियो चितकारा 107.8 पर लाइव किया जाएगा।