5 Dariya News

'आप' ने पंजाब के लिए की मांग पंजाब को मिले विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा

पुननिर्धारण की जाएं 15वें वित्त कमीशन की हवाला शर्तें- कंवर संधू

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चंडीगढ़ 19-Apr-2018

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने सूबे के लिए 'विशेष राज्य' का दर्जा मांगते हुए पंजाब को 'विशेष श्रेणी' सूची में शामिल करने पर जोर दिया है। इस के साथ ही 15वें वित्त कमीशन की हवाला शर्तों पर पुन-निर्धाण की मांग भी की है।आज यहां प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधन करते हुए 'आप' विधायक और सीनियर नेता कंवर संधू ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली को दो पत्र लिख कर तर्क के आधार पर यह मांगें रखी हैं। कंवर संधू ने मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को भी पत्र लिख कर 'पंजाब के लिए विशेष राज्य के दर्जे और 15वें वित्त कमीशन की शर्तों में संशोधनों के मुद्दों पर पंजाब की सर्व पार्टी बैठक बुलाने की मांग की है जिससे पंजाब और पंजाब के लोगों के हितों के लिए केंद्र के पास से एकजुटता और मज़बूती के साथ यह अहम मांगें मनवाई जा सकें।कंवर संधू ने दलील दी है कि विशेष राज्य के दर्जे और इस की स्पैशल कैटागरी स्टेटस (ऐससीऐस) सूची में शामिल करने के लिए पंजाब का केस आंधरा प्रदेश जैसे सूबों की अपेक्षा कहीं ज़्यादा मजबूत है। पंजाब को विशेष राज्य का दर्जा जहां सूबे के लोगों की नजरअन्दाज राजनैतिक इच्छा की पूर्ति के लिए सही विधानिक तरीकों के साथ खरा उत्तरेगा वहीं पंजाब की ऐससीऐस सूची में शामूलियत राज्य को पेश आ रही आर्थिक वित्तीय संकट में से निकालेगी।कंवर संधू ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि 1966 के पुन- गठन के उपरांत किसी ने भी इस तर्कसंगत मांग के लिए कोई कोशिश नहीं की। इसी तरह यदि 15वें वित्त कमीशन की हवाला शर्तों पुन निर्धाण न की गई तो केंद्र के पास से फंडों के अधिकारों पर पंजाब को कर्नाटक और केरला जैसे सूबों की अपेक्षा भी बड़ा धक्का लगेगा, जो यही मांग अपने के लिए करते आ रहे हैं।कंवर संधू ने कहा कि जिस तरह के गंभीर वित्तीय और आर्थिक संकट का सामना पंजाब कर रहा है, उस के सही हल के लिए इन अहम मांगों को बहुत ही मजबूती और एकजुटता के साथ उठाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन मांगों की पूर्ति एक मात्र विधानिक रास्ता है जिस के साथ पंजाब के लोगों की केंद्र प्रति यह धारणा दूर हो सकती है कि केंद्र कभी भी पंजाब की आशाओं और उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता।

अरुण जेतली को 15 अप्रैल 2018 को लिखे पहले पत्र में कंवर संधू ने तर्क दिया कि विशेष श्रेणी राज्य दर्जा सूची में शामिल होने के लिए पंजाब कुल 5 निर्धाण मापदण्डों में से तीन, देश के लिए अहम सीमावर्ती क्षेत्र, आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापण और खेती प्रधान सूबा होने के नाते विवहारिक वित्तीय संसाधनों की अस्थिरता, पर पूरा उतरता है। बाकी दो मापदंड पहाड़ी और छीदी आबादी वाले क्षेत्र बचते हैं। जबकि पंजाब ने 'राष्ट्रीय हितों' के लिए अपने दरियाई पानियों की कुदरती सौगात गैर -रिपेरियन राज्यों को लुटा कर देश के अन्न भंडार को भरने के लिए धरती निचले पानी का हद से अधिक निकालने के लिए मजबूर किया।कंवर संधू ने बताया कि 28 राज्यों में से 11 राज्य एससीएस की सूची में शुमार हैं, इन में पंजाब के पास के पड़ोसी जम्मू -कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं। जिस कारण पंजाब का उद्योग और व्यापार -कारोबार बेहद प्रभावित हुआ है और पंजाब की आर्थिकता को बड़ी चोट लगी है।कंवर संधू ने कहा कि संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण पंजाब भी जम्मू -कश्मीर की तरह विशेष श्रेणी राज्य के दर्जे के लिए पूरी तरह योग्य सूबा है। कंवर संधू ने बताया कि जब संसद में दो तिहाई बहुमत के साथ विशेष राज्य का दर्जा दे दिया जाता है तो राष्ट्रीय विकास कौंसिल (ऐनडीसी) सम्बन्धित सूबे को विशेष श्रेणी राज्य सूची में शामिल कर लेती है। केंद्रीय वित्त मंत्री को 17 अप्रैल को लिखे दूसरे पत्र के द्वारा खरड़ के विधायक कंवर संधू ने वित्त कमीशन की हवाला शर्तों की पुननिर्धारण मांगते हुए कहा कि केंद्रीय फंडों में राज्यों के अधिकार के लिए हिस्सेदारी, योग्यता और पारदर्शिता वाली अतिरिक्त मद के साथ पिछले दशकों दौरान जनसंख्या पर सफलतापूर्वक कंट्रोल का नुक्ता भी जोड़ा जाए। पंजाब के लिए यह इस लिए जरूरी है क्योंकि कमीशन 1971 की जनगणना की बजाए 2011 की जनगणना को विचार रहा है। कंवर संधू ने कहा कि वित्त कमीशन की हवाला शर्तों में टैकस और नान-टैकस शर्तों को 'संभावनाएं और वित्तीय समर्था' के आधार पर लिया जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे जो राज्यों ने बिना किसी कसर अपने सभी संसाधन देश के लिए दाव पर लगा दिए और देश के लिए पेश हर चुनौती के साथ अपने दम पर निपटते हुए बेह्द आर्थिक संकट झेला, ऐसे राज्यों के लिए वित्त कमीशन की हवाला शर्तों में विशेष संशोधन किया जाए।