5 Dariya News

आम आदमी पार्टी पंजाब के विधायक ने हर महीने विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की

हर महीने 5 दिन का सत्र सरकार, अधिकारियों व विधायकों के कार्य में सुदृढ़ता लाएगा - कंवर संधू

5 Dariya News

चंडीगढ़ 25-Mar-2018

आम आदमी पार्टी पंजाब के विधायक ने सरकार, अधिकारियों व विधायकों के कार्य में सुदृढ़ता लाने के लिए पंजाब विधानसभा का सत्र पूरा साल बुलाने की मांग की है। हर महीने में 5 दिन विधानसभा सत्र होने से सरकार के काम में निष्पक्षता आएगी व सरकार सभी कार्यों को सीमित समय में पूरा करने के लिए मजबूर रहेगी। पंजाब विधान सभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह को लिखे पत्र में आम आदमी पार्टी के विधायक कंवर संधू ने सुझाव दिया है कि पूरे साल में विधान सभा के 12 सत्र जो 5-5 दिन के हों बुलाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे साल में विधान सभा की 60 बैठके होंगी। उन्होंने कहा कि इसको लागू करने के लिए विधान सभा के नियम 14-ए में बदलाव करना चाहिए क्योंकि मौजूदा समय में विधानसभा के केवल तीन ही सत्र बुलाने की व्यवस्था है, जिनमें 40 से ज्यादा बैठक नहीं हो पाती। संधू ने कहा कि यह नियम बदलने के लिए उन्होंने एक पत्र पार्लियामेंट्री मंत्री ब्रहम महिंद्रा को भी भेजा है। संधू ने कहा के हर महीने विधानसभा का सत्र बुलाने से सरकारी अधिकारी, सरकार के मंत्री, व विधायक अपने कामों को पूरा करने के लिए अधिक संजीदा रहेंगे व सरकार के काम एक सीमित समय में संपन्न होगा। उन्होंने कहा कि इससे यह भी निश्चित होगा कि जीरो आवर मे विधायकों द्वारा अपने इलाके के उठाए गए सवालों पर सरकार द्वारा निश्चित तौर पर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब जब विधान सभा का सत्र तीन या चार महीनों के बाद आता है तो विधायकों के पास 500 से 1000 तक सवाल इका हो जाते हैं जिनमें से केवल 20 प्रतिश्त ही विधानसभा में उठा पाते हैं जबकि हर महीने विधानसभा का सत्र बुलाने से सरकार भी उन मांगों व प्रश्नों पर अधिक संजीदगी से काम करेगी। 

मौजूदा विधान सभा सत्र का हवाला देते हुए संधू ने कहा कि सरकार पक्ष के वह विपक्षी दलों के विधायकों द्वारा एससी, बीसी श्रेणियों से संबंधित लोगों को 52 करोड लोन देने की मांग की गई थी, जिसके फलस्वरुप सरकार ने 15000 उपभोक्ताओं के 50000 तक के लोन को माफ करने का फैसला लिया था। इसी तरह से विधानसभा के सत्र में पेंशन स्कीम व शगुन स्कीम के 1220 करोड़ रुपए जारी करने की मांग उठी थी। उन्होंने कहा कि अगर विधान सभा का सत्र न होता तो लंबे समय से लटक रही यह मांगे आने वाले समय में भी वैसी ही पड़ी रहती। संधू ने कहा कि कहा कि हर महीने विधान सभा का सत्र बुलाने से विधानसभा में की जाने वाली तकरीरों का स्तर भी बढ़ेगा क्योंकि विधायक अपने इलाकों की मांगे रख सकेंगे। उन्होंने कहा कि आज के समय में विधायक सिर्फ शोक सभाओं में जाने तक ही सीमित है। हलाकि यह लोगों तक पहुंचने का एक अच्छा जरिया है, लेकिन इस बात को भी मानना पड़ेगा कि विधायक मात्र इन कामों के लिए सरकार से तनख्वाह नहीं लेते। संधू ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के कार्यों में अधिक निष्पक्षता लाने के लिए विधानसभा की सभी कमेटियों की मीटिंगे  मीडीया के लिए खुली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2017-18 की पब्लिक अकाउंट कमेटी के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने यह महसूस किया है कि 'कैग' द्वारा लगाई गई आपत्तियों को ठीक न कर पाने का असल कारण अधिकारियों द्वारा इन कामों पर सही ढंग से काम ना करना है। 

अक्साइज एंव टैक्सेशन विभाग की उदाहरण देते हुए संधू ने कहा कि कैग द्वारा लगाई गई 184 आपत्तियां साल 2010 से वैसे की वैसी ही पड़ी है। उन्होंने कहा कि अगर इन मीटिंगो में मीडिया मौजूद होता तो कभी भी अधिकारी इन कामों को इतना ज्यादा न लटकाते व एक समयबद्ध तरीके से इन को पूरा करते। विधानसभा के मेंबरों द्वारा बैठकों का बहिष्कार करने व नारे लगाने पर बोलते हुए संधू ने कहा कि नियमों को बदलकर ऐसा करने वाले विधायकों को अनुपस्थित माना जाना चाहिए। संधू ने कहा कि विरोधी पार्टियां हमेशा स्पीकर पर विधानसभा में सौतेला व्यवहार करने का इल्जाम लगाती आई है व इस समस्या से निपटने के लिए यह रूल होना चाहिए कि अगर विधानसभा का स्पीकर सत्ताधारी पार्टी से हो तो डिप्टी स्पीकर विपक्ष से होना चाहिए। यह भी अनिवार्य करना चाहिए की विधानसभा की मीटिंगो में से 30 प्रतशित मीटिंगों में डिप्टी स्पीकर अध्यक्षता करें। उन्होंने निवेदन किया है कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों को मौजूदा सत्र में उठाकर इन पर फैसला लिया जाए तांकि सरकार आम जनता के पक्ष में कार्य कर सकें।