5 Dariya News

मीडिया बाल अपराधों पर अधिक ध्यान दे : कैलाश सत्यार्थी

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नई दिल्ली 20-Mar-2018

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) की ओर से यहां पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बाल अधिकारों पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में भाग लेने आए पत्रकारों को बाल अधिकारों, बाल श्रम, बच्चों के साथ यौन अपराध, शिक्षा व पोषण से दूर बच्चों के आंकड़ों और उनके कारणों व समाधान पर चर्चा की गई। इसके साथ ही बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला की शुरुआत केएससीएफ की निदेशक ज्योति माथुर ने की। उन्होंने पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बाल अपराध के आंकड़ों और उससे जुड़े कानूनों पर चर्चा की। ज्योति ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के हवाले से बताया, "वर्ष 2015 की तुलना में 2016 में बच्चों के साथ अपराधों के मामलों में 14 फीसदी वृद्धि हुई है। यह मामलों की रिपोर्टिग में सुधार के कारण हो सकता है, क्योंकि अभी भी हमारे यहां बच्चों से जुड़े अधिकांश मामले सामने नहीं आते हैं। वहीं, वर्ष 2014-15 में पांच फीसदी की वृद्धि हुई थी। 2016 में भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो के तहत बच्चों से जुड़े अपराध के 1,06,958 मामले दर्ज हुए।"उन्होंने बताया, "2016 में पॉक्सो अधिनियम 2012 के तहत देश में कुल बाल यौन शोषण के केवल चार फीसदी (36,022 मामलों में 1,620) मामले दर्ज हुए।" कार्यशाला में मौजूद पत्रकारों को संबोधित करते हुए केएससीएफ के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी ने कहा, "हम इस कार्यशाला के माध्यम से पत्रकारिता क्षेत्र के लोगों को बाल अधिकारों के प्रति अपने विजन व मिशन की जानकारी दे रहे हैं और साथ ही हम चाहते हैं कि मीडिया इस गंभीर मुद्दे पर अधिक से अधिक ध्यान दे। 

बच्चों से जुड़े अपराधों पर नीति निर्माताओं, न्यायपालिका, पुलिस और मीडिया को संवेदनशील होने और उन्हें गंभीरता से लेने की सख्त जरूरत है, ताकि किसी पीड़ित बच्चे और विशेषकर यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की गरिमा को ठेस पहुंचे बगैर उन्हें न्याय मिल सके।" सत्यार्थी ने कहा, "हमारी संस्थान का विजन और मिशन है कि दुनिया के हर बच्चे के पास सुरक्षित व स्वतंत्र वातावरण और शिक्षा व पोषण के मूलभूत अधिकार हों और समाज से बाल मजदूरी, अपराध, यौन शोषण की बुराइयां दूर हों और इसके लिए हम शहरों के साथ ही गांवों में भी इस तरह की कार्यशाला आयोजित करेंगे।"कार्यशाला में मौजूद बाल अधिकार कानूनों के जानकार भुवन ऋभु ने कहा, "कानूनों के क्रियान्वयन के लिए सरकार, न्यायपालिका, मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। बच्चों के साथ अपराध की स्थिति में समाज के हर वर्ग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उसके खिलाफ आवाज उठाए, अपराध पर चुप्पी तोड़े।"उन्होंने कहा, "इसके साथ ही मीडिया को किसी भी अपराध पर अपनी रिपोर्ट का फॉलो-अप करने की बहुत जरूरत है। अगर किसी मामले पर आरोपी की गिरफ्तारी की खबर छपी है तो मीडिया को उस मामले पर नजर रखनी चाहिए जब तक कि अदालत उस पर अपना अंतिम फैसला नहीं दे देती है।"