5 Dariya News

राणा के.पी. और नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 6वीं विश्व पंजाबी कांफ्रैंस की शुरूआत

कल्चर पार्लियामेंट के ज़रिये साहित्यकारों और कलाकारों के जन्म दिवस बड़े स्तर पर मनाए जाएंगे- नवजोत सिंह सिद्धू

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चंडीगढ़ 10-Mar-2018

वल्र्ड पंजाबी कांफ्रैंस और पंजाब कला परिषद द्वारा करवाई जा रही दो दिवसीय 6वीं विश्व पंजाबी कांफ्रैंस का उद्घाटन पंजाब विधान सभा के स्पीकर राणा के.पी.सिंह और पंजाब के संस्कृतिक  और पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने किया। पंजाब यूनिवर्सिटी के लॅा आडीटोरियम में करवाए उद्घाटनी सैशन में राणा के.पी. सिंह और स. सिद्धू ने पंजाबी भाषा के विकास के लिए सभी पक्षों को मिल कर प्रयास करने का न्योता देते नयी पीढ़ी को पंजाबी मातृभाषा, समृद्ध विरासत और सभ्याचार से जुडऩे की वकालत की। कांफ्रैंस का आग़ाज़ ज्योति जला कर किया गया।पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज चाहे पंजाबी भाषा का प्रसार दुनिया भर में हो चुका है परन्तु अभी भी विभिन्न कोर्सो की पढा़ई, नौकरियाँ और रोजग़ार के साधनों में हमारी भाषा दरकिनार ही है। बहुत से कोर्स जैसे कि एल.एल.बी., विज्ञान के साथ सम्बन्धित कोर्सो और आई.टी. क्षेत्रों की पढ़ाई केवल पंजाबी भाषा में नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि पंजाबी के विकास के लिए प्रत्येक को मिल कर प्रयास करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस कांफ्रैंस में पंजाबी भाषा के पतन के लिए जिन उपायों पर चर्चा की गई हैं, उनके हल निकालने के लिए पंजाबी भाषा विज्ञानियों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, राजनीति के साथ जुड़े लोगों, सामाजिक नेताओं और दूसरे धड़े को इकठ्ठा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा का प्रसार आज विश्व स्तर पर हो चुका है और इसको किसी ख़ास साम्प्रदाय  या क्षेत्र के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। जहाँ -जहाँ पंजाबियों ने प्रवास किया वहा वह पंजाबी को साथ ले कर गए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त कि विश्वभर में पंजाबी भाषा को प्यार करने वाले हज़ारों डेलिगेट्स द्वारा कांफ्रैंस में से विचारों के ज़रूर सार्थक नतीजे निकल कर सामने आऐंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा सीखना बुरी बात नहीं परन्तु हमें हमारी मातृभाषा पंजाबी पर गर्व होना चाहिए। इसके विकास के लिए प्रत्येक को अपना -अपना योगदान डालना चाहिए।

संास्कृतिक और पर्यटन मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के लिए विभिन्न मंचों पर काम करने वाली संस्थायों और शख्शियतोंं को इकठ्ठा हो कर काम करने का न्योता देते कहा कि यदि आने वाली पीढ़ी पंजाबी भाषा से बेमुख हो गई तो हमारे महान पंजाबी लेखकों /शायरों को कौन पढ़ेगा और सुनेगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के ज़माने में हमें नयी पीढ़ी को पंजाबी विरासत, साहित्य और सभ्याचार के साथ जोडऩे के लिए नयी तकनीकों का प्रयोग करना पड़ेगा। बड़े साहित्यकारों, लेखकों और कलाकारों को कौम का सरमाया बताते हुए स.सिद्धू ने कहा कि लेखकों के साथ जुड़ी स्थानों पर शहरों /कस्बों को साहित्यक सैलानी सर्कट अधीन लाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाबी के बड़े लेखकों के जन्म दिन बड़े स्तर पर मनाने चाहिएं। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ा दुख होता है जब कोई बड़ा साहित्यकार बड़ी उम्र में पैसो की कमी कारण इलाज के लिए तरसता है, इस सम्बन्धित उन्होने यह वकालत की कि हम सभी को मिलकर एक कॉर्प्स फंडज बनाना चाहिए जो बड़े लेखकों, फऩकारों की कठिन समय पर मदद कर सके। उन्होंने कहा कि साहित्य और पंजाबी भाषा के साथ जुड़ी सभी संस्थाए इस दिशा में पहलकदमी करें और सबसे पहला वह स्वयं 50 लाख रुपए में इस फंड में डालेगेे।

स.सिद्धू ने कहा कि डा.सुरजीत पातर के नेतृत्व अधीन पंजाब कला परिषद द्वारा संास्कृतिक पार्लियामेंट बना कर गाँवों, शहरों, कस्बों को इन गतिविधियेां का हिस्सा बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक और मानक सांस्कृतिक गतिविधियों के द्वारा ही सभ्याचार पर भारी पड़ रही लच्चरता और हिंसा को नकेल पाई जा सकती है। उन्होंने इस मौके पर इस बात पर तसल्ली व्यक्त कि पिछले दिनों पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में पाँच दिनों के पुस्तक मेलो में एक करोड़ रुपए की पुस्तकों की बिक्री हुई। उन्होंने अपने आप के पंजाबी होने का गर्व करते कहा कि हमें पंजाबी बोलते समय हीन भावना का शिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने फ्रांस की उदाहरण देते वहाँ के निवासियों द्वारा फ्ऱैंच भाषा को दिए जाते गर्व और सत्कार का भी जि़क्र किया। उन्होंने एक घटना का जि़क्र करते कहा कि गुरुदेव राबिन्दर नाथ टैगोर की प्रेरणा स्वरूप ही बलराज साहनी ने मातृ भाषा पंजाबी में लिखना शुरू किया।

इससे पहले विश्व पंजाबी कांफ्रैंस के चेयरमैन एच.एस. हंसपाल ने स्वागती भाषण दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि पंजाब के सभी व्यापारिक संस्थाओं, सड़की बोर्डों और दुकानों पर लगने वाले बोर्डों में पहले स्थान पर पंजाबी लिखा जाना लाजि़मी किया जाना चाहिए। सतगुरू ऊदय सिंह ने कहा कि हमें पंजाबी बोलने पर गर्व करना चाहिए और इस सम्बन्धित किसी हीनभावना का शिकार नहीं होना चाहिए।पंजाब कला परिषद के चेयरमैन डा.सुरजीत पातर ने अपने संबोधन दौरान उदाहरणों समेत पंजाबी भाषा के विकास के लिए सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि सब से पहले अपनी मातृभाषा को अच्छी तरह सीखे और उस के बाद अन्य भाषाओं की महारत हासिल करें। उन्होंने कहा कि विदेशों में बसते पंजाबियों का पंजाबी भाषा के साथ प्रेम ज़्यादा है जबकि पंजाब निवासी अपने घरों में हिंदी -अंग्रेज़ी बोलने में ज़्यादा गर्व महसूस करते हैं।अंत में डा.दीपक मनमोहन सिंह सभी मेहमानों और कांफ्रैंस में हिस्सा लेने आए लेखकों का धन्यवाद करते कांफ्रैंस के मंतव्यों और इस के इतिहास पर भी प्रकाश डाला। स्टेज संचालन विश्व पंजाबी कांफ्रैंस के सचिव जनरल डा.रवेल सिंह ने किया। उद्घाटनी सैशन के अध्यक्षीय मंडल में उक्त प्रवक्ताओं के साथ पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के उप कुलपति प्रो.अरुण ग्रोवर, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के उप कुलपति प्रो.बी.एस.घुंमण और पंजाबी जागृति मंच के जनरल सचिव श्री सतनाम मानक में शामिल थे। इस मौके पर राणा जंग बहादुर गोयल, सुखी बाठ, इकबाल माहल और अमृत कुमारी को पंजाबी भाषा के लिए डाले योगदान बदले सम्मानित किया।इस मौके पर पंजाब कला परिषद के सचिव जनरल डा.लखविन्दर सिंह जौहल, पंजाबी साहित्य अकैडमी के प्रधान डा. सुखदेव सिंह सिरसा, पंजाब साहित्य अकादमी के प्रधान डा.सरबजीत कौर सोहल, पंजाब यूनिवर्सिटी के पंजाबी विभाग के प्रमुख डा.योगराज अंगरीश के अलावा बड़ी संख्या में नामी लेखक और सीनियर पत्रकार शामिल थे जिनमें बलदेव सिंह सड़कनामा, गुलज़ार संधू, प्रिंसिपल स्वर्ण सिंह, सुरिन्दर सिंह तेज, सिद्धू दमदमी, पंमी बाई, सुखविन्दर अमृत, नछतर, डा.मनमोहन सिंह प्रमुख थे।