5 Dariya News

मैं नाम नहीं बेचता, ईमानदारी से लिखता हूं : सुरेन्द्र मोहन पाठक

5 Dariya News

कानपुर 28-Feb-2018

मासिक आयोजन 'जागरण वातार्लाप' के मंच पर उपन्यासकार सुरेंद्र मोहन पाठक द्वारा हाल ही में लिखी गई आत्मकथा 'न बैरी न कोई बेगाना' और संपादक आशुतोष शुक्ल ने 'बड़ी चुनौती क्या' अपराध कथा या आत्मकथा विषय पर चर्चा की। सुरेंद्र मोहन पाठक ने कहा कि मैंने जिंदगी में ऐसा कुछ किया नहीं कि आत्मकथा लिखी जाए। जब प्रकाशक ने मुझसे कहा कि आत्मकथा लिखिए तो मैं सोच में पड़ गया कि क्या लिखूं। सोचा था कि 50 पन्ने भी न लिख सकूंगा, लेकिन लिखना शुरू किया तो सात माह में 1200 पन्ने लिख डाले। उन्होंने कहा, "अच्छा लिखना बहुत कठिन है। मैं कभी नाम नहीं बेचता, हमेशा ईमानदारी से लिखता हूं।"अपनी कहानियों के हीरो सुनील कुमार चक्रवर्ती, विमल, सुधीर कोहली पर भी उन्होंने कहा कि मुझे जब कुछ याद आता है, मैं तभी लिख लेता हूं। 

सुनील सीरीज पर मेरी तैयारी हमेशा चलती रहती है। वह बताते हैं कि सुनील सीरीज में जब एकरसता की शिकायत आने लगी तो सुधीर के रूप में उसका विपरीत कैरेक्टर बना डाला।पसंदीदा अपराध कथा लेखक के सवाल पर सुरेंद्र मोहन ने कहा कि उन्होंने 20 साल से किसी जासूसी उपन्यास को नहीं पढ़ा। हिदी की स्थिति पर उन्होंने काफी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार हिदी पखवाड़े का तमाशा करती हैं। उन्होंने कहा कि सच यह है कि मेरी ही किताब को हिदी में सस्ती और अंग्रेजी अनुवाद में महंगी कर बेचा जाता है।वह पढ़ने की आदत को ही हिदी की मजबूती का रास्ता मानते हैं।