5 Dariya News

मध्यप्रदेश उपचुनाव को 'सिंधिया बनाम सिंधिया' बनाने की कोशिश

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भोपाल 09-Feb-2018

मध्यप्रदेश में दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए होने वाला उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए 'नाक का सवाल' बन गए हैं, इसलिए दोनों दल पूरा जोर लगाए हुए हैं। कांग्रेस की कमान जहां सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया संभाले हुए हैं, तो भाजपा की कोशिश है कि उनकी बुआ और राज्य की खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को सक्रिय कर इस सेमीफाइनल मुकाबले को 'सिंधिया बनाम सिंधिया' बना दिया जाए। दरअसल, ये दोनों विधानसभा क्षेत्र- अशोकनगर के मुंगावली और शिवपुरी के कोलारस सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं। यहां 24 फरवरी को मतदान होना है। इस उपचुनाव को दोनों दलसेमीफाइनल के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने वाला है। दोनों विधानसभा सीटें कांग्रेस के कब्जे में थीं और विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव होने जा रहा है। ये दोनों विधानसभा क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना के हिस्से हैं, लिहाजा यहां से उनकी प्रतिष्ठा का जुड़ा होना लाजिमी है। तो दूसरी ओर राज्य में किसान आंदोलन, कर्मचारी आंदोलनों के चलते सरकार की कमजोर होती स्थिति पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह चुनाव जीतकर अपनी लोकप्रियता पर मुहर लगवाना चाहते हैं।

दोनों क्षेत्रों में नामांकन भरे जाने से पहले ज्येातिरादित्य की सक्रियता से भाजपा की चिंता बढ़ गई थी और वह किसी तरह उनकी बुआ यशोधरा को प्रचार में लाना चाहती थी। पार्टी अपनी इस कोशिश में उस वक्त कामयाब हो गई, जब नामांकन भरे जाते समय यशोधरा पधारीं।राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस उपचुनाव को चौहान बनाम सिंधिया नहीं बनाना चाहते, क्योंकि हार होने पर अपयश उनके खाते में चला जाएगा। इसीलिए कोलारस में यशोधरा को आगे कर वे मुकाबले को सिंधिया बनाम सिंधिया बना देना चाहते हैं और मुंगावली में प्रभात झा बनाम सिंधिया। जीत हुई तो चौहान की वाहवाही और हार हुई तो यशोधरा व झा जिम्मेदार होंगे।"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "यह बात सही है कि मध्य भारत विजयाराजे सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र रहा है, उनकी दो बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भाजपा में हैं। यशोधरा का कोलारस में प्रभाव है, इसे नकारा भी नहीं जा सकता।"राजनीति के जानकारों की मानें, तो सिंधिया परिवार के सदस्य भले ही परस्पर विरोधी दलों में रहे हों, मगर उन्होंने न तो कभी भी एक-दूसरे की आलोचना की और न ही खुलकर विरोध में आए। यही कारण था कि जब कोलारस में सभा हो रही थी, यशोधरा राजे के मंच पर न होने की स्थिति में ही मुख्यमंत्री शिवराज ने ज्योतिरादित्य की आलोचना की। वहीं दूसरी ओर, सिंधिया पर हमले की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया को सौंप दी गई है। 

पवैया ने सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा कि अब तो उनकी स्थिति तहसीलों को बचाने की आ गई है।भाजपा सीधे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमले बोल रही है, वहीं दूसरी ओर सिंधिया अपनी सभाओं में केंद्र व राज्य सरकार की आलोचना तो करते हैं, मगर किसी नेता का नाम नहीं लेते हैं।

उनका कहना है कि, मुंगावली और कोलारस की जनता इस सरकार को जवाब देंगी कि उसने प्रदेश की जनता के साथ किस तरह का बर्ताव किया है। ज्योतिरादित्य कोलारस और मुंगावली दोनों विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हैं, वहीं यशोधरा राजे सिर्फ कोलारस में सक्रिय दिख रही हैं। भाजपा ने यशोधरा राजे को सामने लाकर उपचुनाव को 'सिंधिया बनाम सिंधिया' बनाने का पांसा फेंका है। यह तो जनता पर निर्भर है कि वह भतीजे की बात पर भरोसा करती है या बुआ की बात पर।चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते भाजपा का भी सिंधिया राजघराने की जरुरत महसूस होने लगी और उसने यशोधरा राजे को प्रचार के लिए मना ही लिया। शुरू में भाजपा उनके बिना ही चुनाव में जाने का मन बना चुकी थी।भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने आईएएनएस से कहा, "कोलारस व मुंगावली में चुनाव भाजपा-कांग्रेस के बीच है। कांग्रेस की चाहे जो रणनीति हो, भाजपा अपने नेताओं का उनकी क्षमता और प्रभाव के मुताबिक उपयोग करेगी।"सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाले क्षेत्र में भाजपा ने सिंधिया पर दो तरह से हमले शुरू किए हैं। एक तो यशोधरा राजे को आगे कर पारिवारिक समर्थकों केा बांटने का दांव खेला है, तो दूसरी ओर ज्योतिरादित्य पर विकास विरोधी होने का आरोप लगाने में भाजपा नेता पीछे नहीं हैं। मुख्य तौर पर यह कमान मुख्यमंत्री शिवराज, मंत्री जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा संभाले हुए हैं। सवाल एक ही उठ रहा है कि सिंधिया पर व्यक्तिगत हमलों का लाभ क्या भाजपा को मिल पाएगा?