5 Dariya News

किरेन रिजिजू ने की 'ह्वाई आई एम ए हिंदू' की आलोचना, शशि थरूर का पलटवार

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नई दिल्ली 06-Feb-2018

कांग्रेस सांसद और दिग्गज लेखक शशि थरूर अपनी पुस्तक 'ह्वाई आई एम ए हिंदू' के प्रचार के लिए साहित्य महोत्सव के दौरे पर हैं, लेकिन इस बीच उन्हें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू की नाराजगी का सामना करना पड़ा। रिजिजू ने ट्विटर के माध्यम से थरूर की किताब पर कटाक्ष किया। रिजिजू ने किताब के एक संक्षिप्त अंश की तस्वीर साझा की, जिसमें थरूर ने जिक्र किया है कि वह एक हिंदू हैं, क्योंकि वह उसी कुल में पैदा हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि भूगोल की दुर्घटनाओं और उनके माता-पिता की सांस्कृतिक विरासत के जरिए लोगों द्वारा धर्म का चयन जन्म के साथ ही हो जाता है। रिजिजू ने थरूर की उनकी धार्मिक निष्ठा में भारी कमी को लेकर आलोचना की। रिजिजू ने ट्विटर पर लिखा, "शशि थरूर ने प्रत्यक्ष तौर पर अपने पूर्वाग्रह को दर्शाया है। निर्विवादित तथ्य का एक आदर्श मामला। अपनी धार्मिक निष्ठा में विश्वास की भारी कमी, जिसने बाहरियों द्वारा भारत पर आक्रमण का नेतृत्व किया और कई हजारों सालों तक शासन किया।"तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद थरूर ने रिजिजू पर पलटवार करते हुए कहा, "रिजिजू ने पृष्ठ संख्या 302 पर लिखे पहले वाक्य का हवाला दिया है और मेरी सलाह की पहले वह पूरी किताब पढ़ें।" थरूर ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "प्रिय एट द रेट किरेन रिजिजू, आपने 302वें पन्ने पर लिखे पहले वाक्य का हवाला दिया है, बाकी की पूरी किताब मेरी धार्मिक निष्ठा में मेरे विश्वास को दर्शाती है, जिनकी कथित अनुपस्थिति की आप निंदा करते हैं। तथ्य आपकी पार्टी के लिए महत्व नहीं रखते, लेकिन डीयू के एक पूर्व छात्र होने के नाते आप बेहतर कर सकते हैं। पढ़ें।"पद्मभूषण से सम्मानित और आयुर्वेद शिक्षक व लेखक डेविड फ्रावले ने भी एक ट्वीट में थरूर की आलोचना की और कहा, "शशि थरूर के माध्यम से नया कांग्रेस लिबरल हिंदू धर्म हिंदुओं को बदनाम करने, हिंदुओं को विभाजित करने और भारत में नए हिंदू पुनरुत्थान को कमजोर करने का महज एक धर्मनिरपेक्ष धोखा है।"थरूर ने ट्वीट में पलटवार करते हुए कहा, "प्रिय एट द रेट डेविड फ्रावलेवेद, मैंने आपके लिए आपकी किताबों पर पढ़े बिना टिप्पणी करने में विनम्रता बरती है। मैं निराश हूं कि आपने मेरा साथ देने के बजाय मेरी किताब पर किसी का हवाला और किसी भी एक तर्क को खारिज किए बिना इसकी आलोचना की। राजनीतिक बुराई करना बहस नहीं है।"