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विधायकों के मूल्यवान सुझावों से जम्मू कश्मीर के वित्तीय ढांचा, आर्थिक प्रवाह को सुगम बनाने में मदद मिलेगी : डा हसीब द्राबू

राज्य विधानसभा ने 2018-19 के लिए 95666.97 करोड़ रुपये का बजट पारित किया, वित्त मंत्री ने पहली बार, खर्च में तेजी लाने के लिए विनियोग विधेयक को व्यय सुधारों के व्यापक विस्तार के साथ जोड़ा

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जम्मू 03-Feb-2018

विधान सभा ने शनिवार को वर्ष 2018-19 के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए 95666.97 करोड़ रुपये का बजट पारित किया जो पिछले वर्ष के 79472 करोड़ रुपये के बजट से 20 प्रतिशत अधिक है। इस संबंध में वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू द्वारा पेश जम्मू व कश्मीर विनियोग विधेयक 2018 को ध्वनि मत से पारित कर दिया था।विशेष रूप से, जम्मू-कश्मीर विधायी इतिहास में पहली बार, वित्त मंत्री ने कुशल राजकोशीय प्रबंधन के लिए नियत्रंण और संतुलन सुनिश्चित करने तथा और बड़े जन सुविधा के लिए संसाधनों का उत्पादक उपयोग करने के लिए खर्च में तेजी लाने के लिए व्यापक व्यय सुधारों के साथ विनियोग बिल को जोड़ा है।इससे पहले, डॉ द्राबू ने इस वर्श 11 जनवरी को सदन में 2018-19 के लिए बजट प्रस्ताव पेश किए थे, जिसमें 51244.72 करोड़ रुपये का राजस्व घटक और 44422.24 करोड़ रुपये का पूंजी घटक शामिल था।इस वर्ष विनियोग विधेयक में राजकोशीय सुधारों का उल्लेख करते हुए डॉ द्राबू ने कहा कि विनियोग विधेयक के पारित होने के दो सप्ताह के भीतर वित्त एवं योजना, विकास व निगरानी विकास सभी प्रशासनिक विभागों को राजस्व व पूंजी दोनों बजट को जारी करेगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक विभाग, बदले में, अधीनस्थ कार्यालयों को राशि मिलने के चार सप्ताह के भीतर धन जारी किए जाने को सुनिश्चित करेगा। असफल रहने पर इन निधियों को उन डीडीओ को स्थानांतरित कर दिया जाएगा जिन्हें प्रशासनिक विभागों/नियंत्रण अधिकारियों द्वारा जारी किया गया था। उन्होंने कहा ‘योजना विकास एवं निगरानी विभाग अगले वित्त वर्ष में सभी योजना आवंटन उचित वर्गीकरण में किए जाएंगे, जो मद -115 में कार्य का नाम/योजना का नाम इंगित किए जाने को सुनिश्चित करेगा।  उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध वर्गीकरण की अनुपस्थिति में, प्रासंगिक जारी केपक्स को अमान्य समझा जाएगा और संचालन के लिए खुला नहीं होगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि 1 अप्रैल 2018 से किसी भी खजाना/ पीएओ द्वारा किसी भी व्यय के अधीन कोई भुगतान नहीं किया जाएगा,  अगर इसके लिए राशि जारी नहीं की गई और अधिकारियों द्वारा पास किए गए खर्च और बिल को बीईएएमएस के माध्यम से प्राप्त किया नहीं गया है। उन्होंने कहा, ‘बीईएएमएस को दरकिनार करके जारी किए गए और प्राप्त धन पर भुगतान करने के लिए खजाना अधिकारी/ पीएओ व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।’’डॉ द्राबू ने आगे कहा कि नियोजन, विकास एवं निगरानी विभाग को अपनी वेबसाइट पर विभाग-वार ‘योजना/कार्य/ परियोजनाओं का नाम’, जो कि 2018-19 के वित्तीय वर्ष के लिए केपेक्स बजट का हिस्सा होगा, साथ ही संबंधित आवंटन अपलोड करना होगा।उन्होंने कहा कि आईटी के विस्तार के माध्यम से वित्तीय और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पूर्ण पारदर्शिता लाने सहित सभी विभागों में व्यय सुधारों को मजबूत किया जाएगा, ऐसी कार्यवाही को केवल निष्पादन के लिए प्राधिकरण सुनिश्चित करना जो पूर्व प्रशासनिक अनुमोदन, तकनीकी मंजूरी और उपयुक्त वित्तीय बैक अप है  और बीईएमएस और पीएफएमएस के माध्यम से वास्तविक समय के आधार पर व्यय निगरानी सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए विभागों की खरीद योजना 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 60 दिनों की सीमा तक सीमित होगी। उन्होंने कहा ‘निविदाएं/ आरएफक्यू/  ईओआई को तैयार करने के लिए सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की प्रकृति और मात्रा की प्राप्ति से लेकर आखिरकार अनुबंध देने के लिए, विभाग 30 मई 2018 तक पूरी प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से पूरा करेगा।’’ उन्होंने कहा कि समय-सीमा में किसी भी देरी  को स्वचालित रूप से उपयुक्त अनुशासनात्मक कारवाई हेगी। वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि निधि केवल व्यय के अनुमोदित मदों पर ही खर्च की जाएगी और उन्हें जारी किए गए उद्देश्य के लिए सख्ती से खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा ‘‘जहां तक ​​विभागों ने दिसंबर 2017 को समाप्त होने वाले धन का 55 प्रतिशत खर्च किया है, इसके अलावा, धन के पुनः विनियोजन नहीं होंगे।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, जहां खर्च का स्तर 55 प्रतिशत से नीचे है, शेश फंड का 70 प्रतिशत सरकार के पास चला जाएगा।उन्होंने कहा कि अंतिम तिमाही के दौरान संशोधित अनुमानों को 30 प्रतिशत से अधिक नहीं तक सीमित किया जाएगा। उन्होंने कहा ‘खजाना अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी कि विभागों को उपरोक्त व्यय की अधिकतम सीमा के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।’’डॉ द्राबू ने कहा कि पीएमडीपी परियोजनाओं के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित योजनाओं के राज्य हिस्सेदारी और उपयोगिता स्थानांतरण, भूमि मुआवजा आदि पर खर्च होने वाला व्यय, पिछली तिमाही के दौरान सरकार को वापस जाले वाली निधियों में पहला होगा।

वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि अब से, किसी भी विभाग द्वारा कैजुअल श्रमिकों, जरूरत-आधारित श्रमिकों को लगाया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा,  ‘योजना, निगरानी एवं  विकास विभाग सभी विभागों के लिए सभी विकास/ योजना जारी की शर्त को बाद में वचन के साथ देगा कि वे नए लोग नही लगाएगें। डॉ द्राबू ने कहा कि यह ध्यान देने के लिए आश्वस्त है कि जम्मू-कश्मीर में एक व्यापक राजनीतिक आम सहमति उभर रही है जो कि एक व्यवहार्य आर्थिक ढांचा, एक मजबूत वित्तीय प्रबंधन संरचना और एक योग्य बजट की नीति है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजस्व के बड़े हित में संसाधनों के उत्पादक उपयोग को सुनिश्चित करने और व्यय नीति में सुधार करने के लिए मूल्यवान सुझावों को पूरा करने के लिए इस सत्ता और विपक्श, दोनों पक्षों से इस सदन के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि गत तीन वर्षों से शुरू हुए राजकोशीय सुधारों का उद्देश्य जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था में स्थिरीकरण लाने और बेहतर निवेश, सार्वजनिक व्यय और सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के जाल को चौड़ा करने के माध्यम से आर्थिक पुनरुत्थान की अस्थिरता को कम करना है।राजनीतिक संबंधों से उपर उठ कर, विधायकों ने वित्त मंत्री द्वारा विनियोग विधेयक में उल्लिखित असाधारण व्यय सुधारों की सराहना की, जिसमें राजकोशीय अनुशासन और बड़े सार्वजनिक अच्छे के लिए संसाधनों का तेज और उत्पादक उपयोग सुनिश्चित किया गया है।