5 Dariya News

भक्त समर्पण भावना से सेवा करता है-निरंकारी सद्गुरु माता जी

5 Dariya News

समालखा 15-Jan-2018

भक्ति उन्हीं की सफल होती है, ‘जो बिना कोई किंतु या परंतु किए‘ गुरू के हर वचन को मानते हैं। केवल सेवा करना ही उनके जीवन का मकसद होता है। भक्त कितना भी परिपूर्ण हो, वो हमेशा एक स्कूल के विद्यार्थी की तरह सीखने की भावना रखता है।चण्डीगढ ब्रांच के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी ने बताया कि यह उद्गार सद्गुरू माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने समालखा स्थित निरंकारी आध्यात्मिक परिसर में आयोजित ‘भक्ति पर्व‘ समागम में पहुंचे लाखों श्रद्वालुओं को संबोधन करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि भक्त में समर्पण भाव तभी आता है, जब भक्त निरंकार का आधार लेता है।सद्गुरु माता जी कहा कि जिसमें दूसरों को सिखाने की प्रवृति अधिक होती है, उसके पास स्वयं सीखने का समय कम होता है। इसलिए हमें केवल बोलने तक सीमित नहीं रहकर, उन गुणों को अपने कर्मों में अपनाना चाहिए। आज जरूरत स्वयं में ‘कान्फीडैंस‘ लाने की नही, बल्कि ‘गॉडफीडैंस‘ लाने की है।सद्गुरू माता जी ने  आगे कहा कि निरंकारी आध्यात्मिक परिसर की योजना स्वयं बाबा हरदेव सिंह जी ने बनाई थी। बेशक अंग्रेजी भाषा में आज इस स्थान पर हुई शुरूआत को ग्राउंड ब्रेकिंग कहा जाएगा परंतु संतो के नजरिए से आध्यात्मिक जगत के प्रारूप की शुरूआत है। आज जिस स्थान पर हम बैठे हैं इसका नाम ‘समालखा‘ है जो संभालने का संदेश देता है, जिसका भाव सद्गुरू की शिक्षाओं को संभाल कर रखना है।उन्होंने पुरातन महात्मा पापा रामचंद जी, संत लाभ सिंह जी, संत संतोख सिंह जी के मिशन को दिए योगदान व अन्थक सेवाओं को याद करते हुए कहा कि आज मिशन जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसमें अनेकों गणमान्य संतों महात्माओं का सहयोग रहा है। भक्ति पर्व उन सबकी शिक्षाओं व सेवाओं को समर्पित दिवस है।